हम ज्यादातर महिलाओं का वक्त किचन में ही गुजरता है। सुबह हो, शाम हो या रात...सारे काम किचन में ही निपटाए जाते हैं। ऐसे में खुद के लिए समय निकाल पाना बहुत मुश्किल है। समय निकालने के लिए महिलाएं कई तरह के बर्तन और टूल्स का इस्तेमाल करती हैं। इससे न सिर्फ काम आसान हो जाता है, बल्कि खाना पौष्टिक भी बनता है। अब तो वैसे भी कई तरह की तकनीक आ गई हैं, लेकिन एक वक्त था जब घरों में पारंपरिक बर्तनों में खाना बनता था।
हमारी दादी या नानी खाना बनाने की कुछ पारंपरिक तकनीक का इस्तेमाल करती थीं। तभी खाने का फ्लेवर एकदम अलग और स्वादिष्ट होता है। वह स्वाद आज मिल पाना मुश्किल है, क्योंकि उस समय जिन बर्तनों का इस्तेमाल होता था वह अब नहीं होता है। ये पारंपरिक कुकवेयर भारतीय विरासत की समृद्ध संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
कुछ ऐसे भी बर्तन रहे हैं जो राजा-महाराजाओं के जमाने से इस्तेमाल किए जा रहे हैं। क्या आपको इन बर्तनों के बारे में बता है? अगर नहीं मालूम तो यह लेख आपके लिए मददगार साबित हो सकता है। तो आइए विस्तार से जानते हैं उन बर्तनों के बारे में जिनका इस्तेमाल प्राचीन समय से किया जा रहा है।
मथनी
एक वक्त था जब मथनी का हर घर में इस्तेमाल किया जाता था। हालांकि, अब इसकी जगह मिक्सर ने ले ली है, जिसमें मिनटों में दूध या दही डालकर मिनटों में गाढ़ा कर लिया जाता है। मगर कुछ जगहों पर आज भी मथनी का इस्तेमाल किया जा रहा है। देसी घी, मक्खन आदि निकालने के लिए खासतौर से लड़की की मथनी का उपयोग किया जाता है।
यह राजा-महाराजाओं के जमाने से इस्तेमाल किया जा रहा है। अगर बात करें इसकी बनावट की, तो यह नीचे से गोलाकार होता है। इसका हैंडल भी होता है, जिससे मथनी को पकड़ा जाता है। आज भी गांवों में इसका इस्तेमाल काफी टाइम से किया जा रहा है। अगर आप इसका इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो मार्केट से आसानी से खरीद सकते हैं।
खल दस्ता
खल दस्ता का इस्तेमाल काफी वक्त से किया जा रहा है। इसे और भी कई नामों से पुकारा जाता है जैसे- मोर्टार या पेस्टल। इसका इस्तेमाल हर्ब्स को पीसने के लिए किया जाता है। हालांकि, अब भी यह हमारे किचन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।
इसे जरूर पढ़ें-स्टेनलेस स्टील के बर्तनों में खाना पकाने के टिप्स एंड ट्रिक्स
वर्षों पहले जब मिक्सर और ग्राइंडर उपलब्ध नहीं थे, तो लोग सूखे मसालों और हर्ब्स को पीसने के लिए पत्थर के नक्काशीदार मोर्टार और मूसल का इस्तेमाल करते थे। ये सिल बट्टा की तुलना में कम जगह लेते हैं और आसानी से इस्तेमाल भी किए जा सकते हैं। आज उनके छोटे-छोटे वर्जन भी उपलब्ध हैं।
ताड़ के पत्ते की छलनी
ताड़ के पत्ते की छलनी यानी सोरू वादी थट्टु, जिसका इस्तेमाल प्राचीन समय से किया जा रहा है। बता दें कि उबले चावल की छलनी है, जिसमें चावल को धोया जाता था। यह एक चावल के लिए प्राकृतिक फिल्टर ट्रे के रूप में काम करती है। इसे बहुत ही यूनिक तरीके से तैयार किया जाता है, इसे बनाने के लिए ताड़ के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है।
कल चट्टी
अब तो मार्केट में कई तरह के बर्तन आ गए हैं, जिसका इस्तेमाल खाना पकाने के लिए किया जाता है। मगर एक वक्त था जब इनमें से कोई भी बर्तन नहीं हुआ करते थे, तो कल चट्टी का इस्तेमाल किया जाता था। यह बहुत भारी हुआ करता था, जिसमें सब्जी या खाना पकाया जाता था।
इसे जरूर पढ़ें-भारत के उन पॉपुलर फूड के बारे में जानें जो यहां बने ही नहीं
यूं समझ लीजिए यह एक तरह की कड़ाही है, जिसमें चावल, सब्जी और शोरबा पकाया जाता है। हालांकि, यह पकने के दौरान बहुत गर्म हो जाती है, लेकिन खाना का स्वाद यकीनन अलग होता था। क्या आपने कभी इनमें से किसी भी बर्तन का इस्तेमाल किया है या अपने घर के बुजुर्गों को खाना बनाने के लिए इनका उपयोग करते देखा है? अगर हां, तो अपने अनुभव भी हमारे साथ शेयर करें।
आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है! हमारे इस रीडर सर्वे को भरने के लिए थोड़ा समय जरूर निकालें। इससे हमें आपकी प्राथमिकताओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। यहां क्लिक करें
अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
Image Credit- (@Freepik)
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों