पुरी रथ यात्रा में शामिल होने के लिए जा रहे हैं ओडिशा, तो इन 3 मंदिरों में दर्शन करके जरूर आएं

ओडिशा के पुरी में होने वाली यात्रा 7 जुलाई से शुरू हो रही है। इस यात्रा के शुरू में होने में अभी कुछ दिन बचे हैं, लेकिन इसका उत्साह अभी से लोगों के बीच देखा जा रहा है। 

 

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ओडिशा भारत के सबसे पुराने राज्यों में से एक है। यहां भारत के प्राचीन मंदिर स्थित हैं। इस समय ओडिशा अपनी पूरी रथ यात्रा के लिए चर्चा में है। हर साल इस उत्सव में श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं। इस यात्रा का उत्साह आपको अलग ही अहसास करवाता है।

आज के इस आर्टिकल में हम आपको जगन्नाथ मंदिर के अलावा और भी कई फेमस मंदिरों के बारे में जानकारी देंगे, जिनका इतिहास आपको हैरान कर देगा। अगर आप ओडिशा जा रहे हैं, तो आप इन मंदिरों में दर्शन करके जरूर आएं।

कोणार्क सूर्य मंदिर

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पुरी शहर से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर को ओडिशा के सबसे खास मंदिरों से एक माना जाता है। इस मंदिर का इतिहास 13वीं शताब्दी का बताया जाता है। इस मंदिर के नाम से ही पता चलता है कि यह सूर्य देवता को समर्पित है। इस मंदिर को सूर्य देवता के रथ के आकार का बनाया गया है। जिसमें 7 घोड़े रथ को खींच रहे हैं।

  • कैसे पहुंचे- आप पुरी रेलवे स्टेशन से यहां पहुंच सकते हैं। मंदिर पहुंचने में आपको लगभग 50 मिनट का समय लगेगा।

ब्रह्मेश्वर मंदिर

इस मंदिर का इतिहास 11वीं सदी का बताया जाता है। यह मंदिर लिंगराज मंदिर से सिर्फ एक किमी की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर की तरफ लोग इसकी आकृति की वजह से आकर्षित होते हैं। मंदिर की दीवारों पर नर्तकियों और संगीतकारों की आकृतियां भी उकेरी गई हैं। यह मंदिर भारत के ओडिशा राज्य के भुवनेश्वर में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर की दीवारें बलुआ पत्थर से बनी हैं। यह मंदिर अपनी खूबसूरत मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है।

  • ब्रह्मेश्वर मंदिर से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन।
  • आप पुरी रेलवे स्टेशन से भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन तक के लिए ट्रेन ले सकते हैं।
  • ओडिशा में घूमने के लिए अच्छी जगह में से एक है।

राजा रानी मंदिर

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इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां किसी भी भगवान की मूर्ति नहीं है। फिर भी यहां पर्यटक जाते हैं। लोगों का मानना है कि इस जगह को पहले ओडिशा पर शासन करने वाले राजा और रानी के आराम करने और मौज-मस्ती करने के लिए बनाया गया था।

आज भी हम इस मंदिर की दीवारों पर चमकदार मूर्तियां देख सकते हैं। प्यार और वासना का जश्न मनाने वाली इस जगह को 'पूर्व का खजुराहो' भी कहा जाता है। कोई भी यहां हरे-भरे लॉन में बैठ सकता है और यहां की मूर्तियों को निहारते हुए शांति से आराम कर सकता है। इस मंदिर को "प्रेम मंदिर" के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि

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image credit-freepik

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