महाराष्ट्र देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। यह शहर अपनी विविध संस्कृति और लैंडस्केप के लिए जाना जाता है। यहां की आबोहवा हर सैलानी को रास आती है। पुणे एक समय में पेशवाओं की राजधानी हुआ करती थी, ऐसे में यहां सैलानियों के लिए घूमने को इतना कुछ है कि आपके लिए समय कम पड़ जाएगा। यहां के लोग, जगहें और मौसम ये सबकुछ आपको यहां के शानदार टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स की सैर करने के लिए प्रेरित करेगा। यूं तो यहां घूमने के लिए ढेर सारी जगहें मशहूर हैं लेकिन हमारी सलाह यह है कि आपको पुण के इन पांच टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स पर कम से कम एक बार जरूर जाना चाहिए-
इस महल को देखने पर आपको गुजरे जमाने की बेहतरीन शिल्प और स्थापत्य कला के दर्शन होंगे। भारतीय इतिहास के बड़े लैंडमार्क्स में से जाने जाने वाली यह इमारत सन 1892 में बनकर तैयार हुई थी। यहीं महात्मा गांधी सहित देश के अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने जेल में अपना समय काटा था। आगा खां पैलेस में इतालवी मेहराबें, हरे-भरे लॉन और बड़े-बड़े गलियारे आपका मन मोह लेंगे। इन जगहों पर आपको स्वतंत्रता सेनानियों का जीवन दर्शाने वाले चित्र भी नजर आएंगे। यहीं गांधी नेशनल मेमोरियल सोसाइटी भी है, जहां खादी और दूसरे हैंडलूम टेक्सटाइल खरीदे जा सकते हैं।
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शनिवार वाड़ा को एक समय में पेशवाओं की शक्ति का केंद्र माना जाता था। यहां की स्थापत्य कला देखते ही बनती है। तीसरे आंग्ल-मराठा युद्ध के बाद यहां पेशवा बाजीराव ने किले की सुरक्षा पर खास ध्यान दिया था, ताकि दुश्मन इसे किसी भी सूरत में लांघ ना सकें। लेकिन 1823 में लगी आग में यह महल जलकर खाक हो गया था। इसके बाद इस महल ने एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन का रूप ले लिया। शनिवार वाड़े में आपको साज-सज्जा वाले बड़े-बड़े दरवाजे, महल और फव्वारे नजर आएंगे।
पुणे से 30 किलोमीटर दूर सिंहगढ़ किला ट्रेकिंग के लिए बेहतरीन जगह है। चूंकि यह सहयाद्रि की पहाड़ियों के भूलेश्वर रेंज में पड़ता है, ऐसे में यह जगह ट्रेकिंग के लिए पूरी तरह माकूल है। यहां आप न सिर्फ ठंडे-ठंडे मौसम का मजा उठा सकती हैं, बल्कि मजबूत किलेबंदी को देखकर इस बात का अंदाजा भी लगा सकती हैं कि एक समय में किस तरह मराठा साम्राज्य की गतिविधियों का यह प्रमुख गढ़ बना हुआ था। मराठाओं की शिल्पकला का बेहतरीन नमूना पेश करता है सिंहगढ़ किला और इसी वजह से यह एक पॉपुलर टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। यहां से आप सहयाद्रि के खूबसूरत लैंडस्केप की तस्वीरें क्लिक कर सकती हैं।
सरकार की तरफ से पाटलेश्वर को एक संरक्षित स्थल घोषित किया गया है। 8वीं सदी का यह चट्टान को काटकर बनाया गया मंदिर राष्ट्रकूटों के समय में बनकर तैयार हुआ था। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर के अंदरूनी हिस्से में लिंग स्थापित है और इसके दोनों तरफ दो छोटी कोठरियां बनी हुई हैं। इस गुफा के सामने नंदी मंडप है जो पाटलेश्वर की स्थापत्य कला का अनूठा नमूना है। इस मंदिर में अभी भी शिव जी की घी और दही से पूजा-अर्चना की जाती है। अगर आपको पुराने समय के भारतीय स्थापत्य कला के नमूने देखने की इच्छा है तो पाटलेश्वर इस लिहाज से बेहतरीन है।
सेनापति बापत रोड पर स्थित चतुरश्रिंगी मंदिर एक पहाड़ी की ढलान पर स्थित है। यह मंदिर 90 फीट ऊंचा है और 125 फीट चौड़ा। 125 फीट चौड़े और 90 फीट की ऊंचाई पर बने इस तीर्थस्थल में देवी चतुर्श्रिंगी का निवास स्थान है। श्रद्धा और विश्वास की मूरत मानी जाने वाली इस देवी के दर्शन करने के लिए आपको 100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ेंगी। इसमें भगवान गणेश और दुर्गा की भी मूर्तियां हैं। साथ ही यहां अष्टविनायक की छोटी प्रतिमाएं भी हैं, जो चार अलग-अलग पहाड़ियों पर हैं। चतुर्श्रिंगी को पुणे पर शासन करने वाली देवी माना जाता है, इसीलिए यहां सैलानियों का जमघट लगा रहता है।
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