Prayagraj Shiv Mandir: महाशिवरात्रि पर खास तरीके से सजाया जाता है सुजावन देव मंदिर, नदी के बीच स्थित...जानें संगम से है कितनी दूर

प्रयागराज में नदी के बीच बना सुजावन देव मंदिर, महाशिवरात्रि पर खास तरह से सजाया जाता है। आइए, यहां जानते हैं कि इस मंदिर की महत्वता क्या है और यह संगम से कितना दूर है।
How to reach Sujavan Dev Temple

हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का दिन अहम माना जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए भक्त पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत भी करते हैं। इतना ही नहीं, महाशिवरात्रि पर शिवालयों में भक्तों का सैलाब भी उमड़ता है। ऐसे तो महादेव के देशभर में कई प्राचीन मंदिर हैं, लेकिन आज हम यहां प्रयागराज में स्थित भगवान शिव के उस शिवालय के बारे में बताने जा रहे हैं जो यमुना नदी के बीच में स्थित है। जी हां, हम यहां बात कर रहे हैं प्रयागराज के सुजावन देव मंदिर के बारे में।

यमुना नदी में छोटे द्वीप पर है सुजावन देव मंदिर

सुजावन देव मंदिर में भगवान शिव के साथ माता यमुना की पूजा होती है। ऐसे तो इस मंदिर में साल भर ही भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन, महाशिवरात्रि पर इस मंदिर की अलग ही छटा देखने को मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में आने और पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सुजावन देव मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं, लेकिन इसकी उत्पत्ति की कहानी भी अनोखी है। ऐसा मान्यता है कि सुजावन देव मंदिर के बारे में अंग्रेजी हुकूमत से पहले ज्यादा लोगों को इसकी जानकारी नहीं थी।

कैसे पहुंचा जा सकता है सुजावन देव मंदिर?

Prayagraj triveni sangam to sujavan dev mandir

अगर आप महाशिवरात्रि के मौके पर प्रयागराज में हैं, तो सुजावन देव मंदिर के दर्शन के लिए जा सकते हैं। प्रयागराज जंक्शन रेलवे स्टेशन से सुजावन देव मंदिर करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वहीं, त्रिवेणी संगम से सुजावन देव मंदिर की दूरी 27 किलोमीटर की है। त्रिवेणी संगम से सुजावन देव मंदिर कैसे पहुंचा जा सकता है, इस बारे में हमें प्रयागराज के जसरथ चितौरी के रहने वाले रामराज पटेल ने बताया है।

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त्रिवेणी संगम से सुजावन देव मंदिर जाने के लिए पहले आपको सिविल लाइन्स आना होगा। सिविल लाइन्स से नैनी पहुंचना होगा और फिर घूरपुर बाजार पहुंचे। घूरपुर चौराहे से लगभग 3 किलोमीटर अंदर जाकर देवरिया नाम का गांव आएगा, जहां यमुना नदी के किनारे पर सुजावन देव मंदिर स्थित है।

सुजावन देव मंदिर जमीन से लगभग 150 फीट की ऊंचाई पर बना है। पहले यह मंदिर यमुना नदी के बीच स्थित था, लेकिन खनन और जल स्तर कम होने की वजह से यह अब तट पर स्थित है। लेकिन अब भी बाढ़ के दिनों में मंदिर तक जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है।

सुजावन देव मंदिर का इतिहास दिलचस्प

sujavan dev temple history

जानकारी के मुताबिक, शाहजहां के समय सन् 1645 में इलाहाबाद के सूबेदार शाइस्ता खां था और उसने सुजावन देव मंदिर को तुड़वा दिया था और वहां जुआ खेलने की बैठक बनवा दी थी। हालांकि, हिंदुओं ने इस बात का विरोध किया और बैठक पर हमला किया और फिर से मंदिर को बनवाया। तब मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा को स्थापित किया गया।

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सुजावन देव मंदिर की पौराणिक मान्यता

प्रयागराज के सुजावन देव मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि इस जगह पर यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए आए थे और खुश होकर वरदान मांगने के लिए कहा था। यमुना ने तब वर मांगा और कहा कि जो भी भक्त यहां भैया दूज के दिन स्नान करे उसे मृत्यु का भय न रहे और देवलोक में स्थान मिले। यमराज ने बहन यमुना को वरदान दिया। इसी मान्यता के अनुसार हर साल दीपावली के बाद भैया दूज पर विशाल मेला लगता है और भक्त यमुना किनारे आकर दीपदान भी करते हैं।

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Image Credit: Jagran.Com and Social Media

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