तंदूरी रोटी आपकी और हमारी थाली तक कैसे पहुंची? जानें कुछ रोचक तथ्य

अगर आप भी तंदूरी रोटी पसंद करते हैं तो क्या आप उससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानना चाहेंगे?

know about tandoori roti history

Tandoori Roti History In Hindi: भारतीय लोग खाने के बहुत शौक़ीन होते हैं। भारतीय लोग लजीज फूड्स के इतने दीवाने होते हैं कि 200 किलोमीटर दूर भी खाने के लिए पहुंच जाते हैं। भारतीय फ़ूड आइटम्स का स्वाद सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर से अलग होता है, क्योंकि हर फ़ूड को एक अलग अंदाज में तैयार किया जाता है।

भारतीय लोग तंदूरी रोटी भी बड़े ही प्रेम के साथ खाना पसंद करते हैं। ऐसे में अगर आपसे यह सवाल किया जाए कि तंदूरी रोटी आपके थाली तक कैसे पहुंची या उससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानते हैं तो फिर आपका जवाब क्या होगा?

इस लेख में हम आपको तंदूरी रोटी का इतिहास और उससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं।

तंदूरी भोजन क्या है?

interesting facts about tandoori roti

तंदूरी रोटी का इतिहास जानने से पहले यह जान लेना बहुत ज़रूरी होता है कि तंदूरी भोजन क्या होता है और इसे पहली बार कब बनाया गया था। कहा जाता है कि तंदूरी भोजन का चालन भारत में बहुत पहले से ही था, लेकिन मुगलों के काल में इसे बहुत पसंद किया जाता था। मुग़ल काल में सिर्फ तंदूरी रोटी ही नहीं बल्कि तंदूरी चिकन, तंदूरी मटन आदि रेसिपीज बनती थी।

इसे भी पढ़ें:प्रेशर कुकर हमारे किचन का हिस्सा कैसे बना? जानें रोचक तथ्य

जहांगीर को था बेहद पसंद

tandoori roti history in hindi

जी हां, ऐसा माना जाता है कि तंदूरी भोजन मुग़ल बादशाह जहांगीर को बेहद पसंद था। कई लोगों का मानना है कि जहांगीर देश के किसी भी हिस्से में जाता था तो उसके लिए तंदूरी रोटी, तंदूरी चिकन, तंदूरी मटन आदि भोजन परोसा जाता था। जहांगीर अपने सफ़र में तंदूरी चूल्हा को भी साथ में लेकर चलता था।

तंदूरी रोटी का इतिहास

origin and history of tandoor roti

तंदूरी रोटी का इतिहास बेहद ही दिलचस्प है। कहा जाता है कि इस रोटी की शुरुआत लगभग पांच हज़ार पहले ही शुरुआत हो चुकी थी। जी हां, कई लोगों का मानना है कि सिंधु घाटी में हड़प्पा सभ्यता के लोग तंदूरी रोटी बनाते थे।

इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि मिट्टी का चूल्हा प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया की सभ्यताओं देखा गया है और वहां भी तंदूरी रोटी पकाने की व्यवस्था थी।

इसे भी पढ़ें:सर्दियों में अंडे कई दिनों तक नहीं होंगे खराब, अपनाएं ये किचन टिप्स


गुरु नानक देव से भी जोड़कर देखा जाता है

tandoori roti history

तंदूरी रोटी और तंदूरी भोजन को लोकप्रिय बनाने के लिए गुरु नानक देव जी का भी श्रेय रहा है। जी हां, कहा जाता है कि आम लोगों के बीच प्यार को बरक़रार रखने के लिए गुरु नानक देव सांझ चूल्हा को बढ़ावा दिया था। सांझ चूल्हा के माध्यम से एक ही स्थान पर तंदूरी होती और अन्य पकवान बनते थे और सभी लोग एक साथ बैठकर खाना खाते थे।

अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। लेख के अंत में कमेंट सेक्शन में आप भी ज़रूर कमेंट करें।

Recommended Video

Image Credit:(@freepik)

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP