महात्मा गांधी जिन्हें मोहनदास करमचंद गांधी, बापू या राष्ट्रपिता के नाम से भी पुकारा जाता है, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेता थे। उन्होंने देश की जनता को हिंसा का मार्ग छोड़कर अहिंसा के आधार पर स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने असहयोग आंदोलन से लेकर नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे कई आंदोलन के जरिए भारत को स्वतंत्रता दिलवाने में अहम् भूमिका निभाई। आज पूरे देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम बेहद सम्मान के साथ लिया जाता है।
साथ ही आने वाली पीढ़ी को उनके विचारों से अवगत करवाने और उनके सादे जीवन की झलक दिखाने के लिए देश के कई राज्यों में गांधी म्यूजियम बनाए गए हैं। बता दें कि बापू ने हमेशा परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनी जिसे वे स्वयं चरखे पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे। आज हम आपको इन्हीं गांधी म्यूजियम में से कुछ के बारे में बता रहे हैं, जहां पर आपको एक बार जरूर जाना चाहिए-
नेशनल गांधी म्यूजियम नई दिल्ली में स्थित एक संग्रहालय है। यह महात्मा गांधी के जीवन और सिद्धांतों को प्रदर्शित करता है। 1948 में गांधी की हत्या के तुरंत बाद मुंबई में सबसे पहले यह संग्रहालय खोला गया। 1961 में राज घाट, नई दिल्ली जाने से पहले संग्रहालय कई बार स्थानांतरित हुआ। दरअसल, 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई थी। उनकी मृत्यु के कुछ समय बाद, कलेक्टरों ने गांधी के जीवन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना शुरू किया। मूल रूप से गांधी से जुड़ी व्यक्तिगत वस्तुओं, समाचार पत्रों और पुस्तकों को मुंबई ले जाया गया। इसके बाद 1951 में, आइटमों को नई दिल्ली में कोटा हाउस के पास इमारतों में ले जाया गया। बाद में 1959 में, महात्मा गांधी की समाधि के बगल में गांधी संग्रहालय, राजघाट, नई दिल्ली में स्थानांतरित हुआ। महात्मा गांधी की हत्या की 13 वीं वर्षगांठ पर 1961 में आधिकारिक तौर पर संग्रहालय खोला गया, जब भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने इसे औपचारिक रूप से खोला।
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गांधी मेमोरियल म्यूजियम 1959 में स्थापित, गांधी के लिए एक स्मारक संग्रहालय है जो भारत के तमिलनाडु के मदुरै शहर में स्थित है। यह अब देश के पांच प्रमुख गांधी संग्रहालय में से एक है। इसमें गांधी द्वारा पहने गए खून से सने कपड़ों का भी एक हिस्सा शामिल है जब उनकी हत्या नाथूराम गोडसे ने की थी। इस संग्रहालय में एक मूल पत्र है जो व्यक्तिगत रूप से गांधीजी द्वारा देवकोटाई के नारायणन सत्संगी को लिखा गया है। गांधीजी द्वारा स्वतंत्रता सेनानी और कवि सुब्रमण्यम भारती को भेजे गए बधाई संदेश को भी इस संग्रहालय में संरक्षित किया गया है। एक और दिलचस्प पत्र महात्मा गाँधी द्वारा एडोल्फ हिटलर को “प्रिय मित्र“ के रूप में संबोधित करते हुए लिखा गया है।
मणि भवन एक साधारण पुराने स्टाइल से बनी दो मंजिला इमारत है। जो मुंबई के लबर्नम रोड पर स्थित है। जब भी गांधीजी 1917 से 1934 के बीच मुंबई में थे, वे यहीं रहे। अब इसे एक संग्रहालय और अनुसंधान केंद्र में बदल दिया गया है। यह श्री रेवाशंकर जगजीवन झावेरी का था, जो गांधी के मित्र थे और उस अवधि के दौरान उनकी मेजबानी करते थे। यह मणि भवन ही था, जहां से गांधी ने रौलट एक्ट के खिलाफ सत्याग्रह शुरू किया और स्वदेशी, खादी और हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रचार किया। 1955 में यह भवन गांधीजी के स्मारक के रूप में समर्पित किया गया था।
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इस म्यूजियम की स्थापना 1963 में की गई। अगर आप बापू के जीवन को करीब से देखना चाहती हैं तो आपको इस म्यूजियम में जरूर जाना चाहिए। यहां पर गांधी जी के मूल व फोटोस्टेट दोनों रूपों में 34,065 पत्र मौजूद हैं। इसके अलावा, पुस्तकालय में गांधीजी के जीवन, काम और शिक्षण से संबंधित अंग्रेजी, हिंदी और गुजराती में 50 से अधिक पत्रिकाओं के साथ पढ़ने के कमरे के साथ लगभग 21,500 किताबें हैं।
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