माया नगरी यानि मुंबई में घूमने के लिए बहुत कुछ है। इस मायावी नगरी में हर साल लाखों सैलानी घूमने के लिए आते रहते हैं। कोई अपने सपनों को पूरा करने के लिए आता है तो कोई इस माया नगरी में घूमने के लिए। इस शहर की हवाओं में कुछ ऐसी बात है जिसे महसूस करके सभी मुंबई का ही हो जाना चाहते हैं। मरीन ड्राइव आदि ऐसी कई बेहतरीन जगहे हैं, जहां सुकून से दो पल बिताने के लिए हजारों लोग समुद्र के किनारे बैठ कर एक दूसरे से हाल-चाल पूछते हैं। लेकिन, इस माया नगरी में कुछ ऐसी भी जगहे हैं, जो प्राचीन काल से लेकर आज तक लोगों के लिए एक मायावी जगह बनी हुई है। आज इस लेख में हम आपको मुंबई नगरी की एक मायावी गुफा के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां हर साल लाखों सैलानी घूमने के लिए आते हैं। तो चलिए जानते हैं।
कान्हेरी की गुफाएं
शायद, आपने इससे पहले इसके बारे में सुना होगा। अगर नहीं सुना है, तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कान्हेरी की गुफाएं आज भी लोगों के लिए यह एक मायावी गुफाएं हैं। मुंबई के बोरीवली के करीब संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान है, जहां ये कान्हेरी की गुफाएं मौजूद है। मुंबई के साथ-साथ भारत के सबसे प्राचीन गुफाओं में से एक है ये गुफा। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस गुफा में लगभग सौ से अधिक द्वार है, जो यह किसी मायावी गुफाओं से कम नहीं है। संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान से ट्रेकिंग करते हुए इस जगह आसानी से जा सकते हैं।
इतिहास के बारे में
प्राचीन काल से आज तक कान्हेरी की गुफाओं का बेहद ही रोचक इतिहास रहा है। लगभग 9 वीं शताब्दी से लेकर पहली शताब्दी तक बौद्ध भिक्षुओं के लिए एक महत्वपूर्ण बौद्ध शिक्षा केंद्र और एक तीर्थ स्थल के रूप में ये गुफाएं प्रचलित थे। इस गुफा से बौद्ध भिक्षु शहर के अन्य जगहों पर जाकर लोगों के बीच बौद्ध शिक्षा को दिया करते हैं। इस गुफा को लेकर आज भी उचित प्रमाण नहीं है कि इसे किसने बनवाया। लेकिन, कई लोगों को कहना है और शिलालेखो पर लिखे शब्दों के अनुसार कहा जाता है इन गुफाओं को मौर्य और कुशना सम्राटों के शासनकाल में निर्माण हुआ था।(मुंबई की इन जगहों पर वीकेंड ट्रिप पर जाएं)
प्राचीन वास्तुकला का परफेक्ट नमूना
बेसाल्टिक पत्थरों को काटकर निर्माण किये गए ये गुफाएं प्राचीन वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना है। यहां के हर दीवारों पर मूर्तियों, जटिल नक्काशीदार, संस्कृत के शब्द आदि को बेहद ही बारीकी से तराशा गया है। इस गुफा को लेकार कहा जाता है कि लगभग सौ से अधिक रॉक-कट गुफाओं का एक संग्रह है, जहां लगभग 34 स्तंभों का भी एक संग्रह है। यहां के हर दीवारों पर बौद्ध शिक्षा से प्रेरित कुछ न कुछ शब्दों या फिर चित्रों का उल्लेख ज़रूर देखने को मिलता है।(महाराष्ट्र में दिवेआगर घूमने ज़रूर जाएं)
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गुफा में घूमने के लिए
अगर आप इस गुफा में घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो आपको सुबह-सुबह घूमने जाना चाहिए। क्यूंकि, दिन में यहां सैलानियों की बहुत अधिक भीड़ रहती है। इस गुफा में आप सुबह 7 बजे से लेकर शाम 5 बजे के बीच कभी भी घूमने के लिए जा सकते हैं। हालांकि, सोमवार के दिन ये गुफाएं सैलानियों के लिए बंद रहती है। अगर टिकट की बात करें तो भारतीय सैलानियों के लिए पांच रुपये और विदेशी सैलानियों के सौ रुपये हैं। यह जगह ट्रेकिंग के लिए बेहद फेमस है।
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