यह उड़िया मिठाई है बेहद दुर्लभ, एक बाइट खाकर हो जाएंगे स्वाद के दीवाने

सभी राज्य और क्षेत्र की अपनी अपनी लोकप्रिय और पारंपरिक व्यंजन और मिठाई होते हैं, जो हर जगह मशहूर नहीं होते हैं। ऐसे ही लेजर नोन स्वीट के बारे में बताएंगे, जो ओडिशा के गांवों की मिठास है।

 
sarsatia recipe and making tips and tricks

खानपान के मामले में भारतीय संस्कृति का जवाब नहीं है। यहां एक बॉर्डर क्रॉस करने के बाद संस्कृति, बोली, भाषा, रहन-सहन, परिवेश और खानपान सभी चीजें बदल जाती है। भारत के राज्य एवं ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी कई चीजें हैं, जो वहां की संस्कृति का हिस्सा है, लेकिन उतना मशहूर या लोकप्रिय नहीं है। ऐसे ही एक लोकप्रिय मिठाई के बारे में आज हम आपको बताएंगे, जो ओडिशा के संबलपुर में मशहूर है, लेकिन आम लोग इससे वाकिफ नहीं हैं। तो चलिए ओडिशा के इस सुपर टेस्टी मिठाई के मिठास के बारे में जान लें।

सरसतिया मिठाई के बारे में

sarsatia

सरसतिया एक स्वादिष्ट मीठा व्यंजन है, जो ओडिशा के संबलपुर क्षेत्र में पारंपरिक रूप से बनाया जाता है। बता दें कि यह धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रहा है। यह मिठाई धीरे-धीरे दुर्लभ होते जा रही है, क्योंकि इस मिठाई को गांजर पेड़ की टहनियों की राल से बनाया जाता है। तेजी से वनों की कटाई के चलते गांजर का पेड़ धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रहा है, इसलिए अब यह मिठाई भी दुर्लभ होते जा रही है।

सरसतिया बनाने की विधि

तेजी से पेड़-पौधे की कटाई के चलते अब गांजर की टहनियों की कीमत 100 रुपये से बढ़कर 500-600 रुपये तक हो गया है। बता दें कि गांजर की टहनियों की कटाई का मौसम अक्टूबर से लेकर मार्च तक होता है। इस मौसम में जब गांजर की टहनियों में ओस की बूंद पड़ती है तो उससे राल निकलने लगती है। टहनियों की छाल को निकालकर पानी में खमीर किया जाता है। पानी में टहनी का राल पानी में घुल जाता है और उसे चावल के आटे में चीनी के साथ घोलकर मिश्रण बनाया जाता है। तैयार मिश्रण से तेल में सेवई की तरह तला जाता है और हल्की मिठास और कुरकुरेपन से भरपूर इस दुर्लभ मिठाई को तैयार किया जाता है।

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ढेंकी से किया जाता है सरसतिया का आटा तैयार

how to make sarsatia

सरसतिया मिठाई बनाने के लिए गांवों में पारंपरिक कुटाई की मशीन ढेंकी का उपयोग किया जाता है। ढेंकी एक तरह से लकड़ी का कोल्हू है, जो आमतौर पर गांव में होता है। इसका उपयोग आटा पीसने से लेकर दाल-चावल की कुटाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस ढेंकी में अरुआ चावल यानी भीगे हुए चावल के पानी को सुखाकर कूटा जाता है। अरुआ चावल को ढेंकी में पीसकर उसमें गांजर के पानी और चीनी के साथ घोल तैयार किया जाता है। सरसतिया को दूध की खीर और करी के साथ खाया जाता है।

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Image Credit: Instagram

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