स्ट्रेस और भागदौड़ वाली इस लाइफ में ट्रैवलिंग किसी थेरेपी से कम नहीं होती है। यही वजह है कि दो दिन की छुट्टी में भी हम घूमने निकल जाते हैं। कुछ लोग तो फैमिली-फ्रेंड्स के साथ प्लान बनने का भी इंतजार नहीं करते हैं और अकेले ही बस्ता लेकर पहाड़ों में घू्मने निकल जाते हैं। सोलो ट्रैवलिंग में जो लाइफ एक्सपीरियंस और कॉन्फिडेंस हमें मिलता है, वह फैमिली-फ्रैंड्स के साथ ट्रिप पर जाने से नहीं आता है। अगर आप भी सोलो ट्रैवलिंग और माउंटेन लवर हैं, तो आज का यह आर्टिकल जरूर पसंद आ सकता है।
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में पार्वती वैली में स्थित छोटा-सा गांव कसोल आज देश नहीं, बल्कि दुनियाभर में फेमस है। कसोल को कई लोग मिनी इजरायल के नाम से भी जानते हैं, यह अपनी नाइट लाइफ और पार्टीज के लिए युवाओं के बीच खासा फेमस है।
पार्टीज, ट्रैकिंग और खूबसूरत वादियों के बीच सुकून की तलाश में हजारों लोग हर साल कसोल आते हैं। अगर आप भी छुट्टियों में कसोल जाने की प्लानिंग कर रही हैं, तो यहां हम पर्सनल एक्सपीरियंस पर बेस्ड कुछ टिप्स शेयर कर रहे हैं।
दिल्ली से कसोल कैसे पहुंचा जा सकता है?
दिल्ली से कसोल पहुंचने के लिए पहले आप अपना बजट तय कर लें। अगर आप अपना ट्रिप मेरी यानी लेखक की तरह सस्ती रखना चाहते हैं, तो दिल्ली से हिमाचल प्रदेश के कसोल जाने के लिए बस का चुनाव कर सकते हैं। कसोल जाने के लिए बस की बुकिंग ऑनलाइन की जा सकती है। बुकिंग करते समय बस इस बात का ध्यान रखें कि आपका ड्रॉप प्वाइंट कहां का है। ऐसा इसलिए, क्योंकि कुछ बस कसोल नहीं जाती हैं और 30 किमी पहले भूंतर नाम की जगह पर उतार देती हैं। ऐसे में भूंतर से कसोल जाने के लिए आपको अलग बस या टैक्सी लेनी पड़ सकती है। इसलिए, बस की बुकिंग करते समय कसोल का बस स्टैंड ही ड्रॉप प्वाइंट चुनें।
आप चाहें तो कसोल पहुंचकर भी होटल या हॉस्टल ले सकते हैं और पहले से ऑनलाइन बुकिंग भी कर सकते हैं। अगर आप सोलो ट्रैवल कर रहे हैं, तो हॉस्टल में रुकना फायदेमंद साबित हो सकता है। वहीं, अगर आप दोस्तों और परिवार के साथ कसोल जा रहे हैं, तो होटल, होम स्टे या कैंपिंग का भी ऑप्शन ले सकते हैं। कसोल में सस्ते में रुकने की सुविधा मिल जाती है।
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कसोल में कहां-कहां घूमा जा सकता है?
कसोल अपने आप में एक बहुत ही छोटा-सा गांव है, जहां एक मार्किट और ईको पार्क है। इको पार्क में एंट्री के लिए टिकट होती है, जो आप पहुंचने पर वहां खरीद सकते हैं और अंदर क्वालिटी टाइम स्पेंड कर सकते हैं। इसके अलावा, कसोल के आस-पास कई ट्रैक और मणिकर्ण गुरुद्वारा हैं। आइए, सबसे पहले जान लेते हैं कि कसोल से मणिकर्ण गुरुद्वारा कितनी दूर है और यहां कैसे पहुंच सकते हैं।
मणिकर्ण गुरुद्वारा
कसोल से मणिकर्ण गुरुद्वारा की दूरी महज 3 किलोमीटर की है। आप यह दूरी टैक्सी, लोकल बस या पैदल भी कर सकते हैं। कसोल में टैक्सी यूनियन है, जिसके रेट फिक्स हैं ऐसे में ज्यादा भाव-तौल नहीं हो पाता है।
टैक्सी और बस से उतरने के बाद एक पुल पार करके मणिकर्ण गुरुद्वारा पहुंचा जा सकता है। यह पुल पार्वती नदी पर बना है। पुल पार करने के बाद गुरुद्वारा का परिसर शुरू हो जाता है, जहां गर्म पानी के कुंड में स्नान करके दर्शन के लिए जा सकते हैं। गुरुद्वारा में दर्शन करने और लंगर खाने के बाद आप पौराणिक शिव मंदिर भी जा सकते हैं।
मणिकर्ण गुरुद्वारा और शिव मंदिर के दर्शन करने के बाद मार्केट से गुजरते हुए आप प्राचीन राम मंदिर और नैना माता के दर्शन भी कर सकते हैं। ये सभी मंदिर पौराणिक महत्व रखते हैं।
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ट्रैकिंग
अगर आप ट्रैकिंग के शौकीन हैं, तो खीरगंगा, मलाणा और तोश जा सकते हैं। ये सभी ट्रैक कसोल से थोड़ी दूरी पर शुरू होते हैं और खूबसूरत नजारों से भरे होते हैं। खीरगंगा ट्रैक करीब दो दिन का होता है, जिसमें से एक दिन आप रात के समय वादियों और जंगल के बीच कैंपिंग भी कर सकते हैं। ध्यान रहे, अगर आप फैमिली के साथ जा रहे हैं और परिवार में बच्चे से लेकर बूढ़े हैं तो ट्रैकिंग का ऑप्शन न चुनें।
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पार्टीज के लिए फेमस
कसोल अपनी नाइट लाइफ और पार्टीज के लिए फेमस है। यहां ऐसे कई कैफे हैं, जहां ओपन माइक, लाइव सिंगिंग और म्यूजिक सेशन होते हैं। जो एक अलग ही दुनिया में ले जाते हैं। अगर आप पार्टी के शौकीन हैं, तो हिमाचल प्रदेश का यह छोटा-सा गांव, लेकिन वर्ल्ड फेमस टूरिस्ट स्पॉट आपको खूब पसंद आ सकता है।
क्रिसमस और न्यू ईयर के मौके पर कसोल में कई म्यूजिक फेस्टिवल्स का आयोजन होता है। ऐसे में अगर आप क्रिसमस और न्यू ईयर के समय कसोल जाने का प्लान कर रहे हैं, तो पहले से ही अपने रुकने की जगह का इंतजाम कर लें, क्योंकि उस समय ज्यादातर होटल बुक रहते हैं।
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Image Credit: Writer's Personal
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