हमारा देश कई खूबसूरत पहाड़ों और झीलों से ओत -प्रोत है। कई विविधताओं से परिपूर्ण होने के साथ यहां कई रहस्यमयी तथ्य भी मौजूद हैं। कई बार कुछ ऐसे रोचक तथ्य भी यहां देखने को मिलते हैं जिनका पता लगा पाना आज भी मुश्किल है। कभी कोई पर्वत ऐसा होता है, तो कभी किसी झील से जुड़ी कुछ रहस्यमयी बातें होती हैं जो हमें सोचने पर मजबूर कर देती हैं।
एक ऐसे ही आश्चर्य से भरी हुई झील है हिमाचल की कमरुनाग झील। इस झील की खूबसूरती अपने आप में देखते ही बनती है। साथ ही इससे जुड़े कुछ ऐसी बाते हैं जो आपको भी आश्चर्य में डाल सकती हैं। आइए जानें कमरुनाग झील के बारे में कुछ ऐसे रहस्यमयी तथ्यों के बारे में जो आपने पहले नहीं सुने होंगे।
कहां स्थित है झील
कमरुनाग झील, हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले से 51 किलोमीटर दूर करसोग घाटी में स्थित है। इस झील तक पहुंचने के लिए पहाड़ियों के बीच रास्ता है। ऐसा माना जाता है कि कमरूनाग झील के दृश्यों को देखकर सभी यात्रियों की थकान दूर हो जाती है। इस स्थान पर पत्थर से निर्मित कमरूनाग बाबा की प्रतिमा है। हर साल जून में कमरूनाग मंदिर में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। जिसे देखने दूर-दूर से यात्री इकठ्ठे होते हैं।
महाभारत काल से जुड़ी कथा
पौराणिक कथा के अनुसार झील, यक्षों के राजा के सम्मान में बनाई गई थी और इसका महाभारत में भी उल्लेख किया गया है। पांडवों में से एक भीम ने इस झील का निर्माण किया था। माना जाता है कि यक्ष धरती पर विभिन्न स्थानों पर छिपे धन के आकाशीय संरक्षक हैं। इस विश्वास के आधार पर, लोग आज भी इस झील पर जाते रहते हैं और इसे यक्ष का निवास मानते हैं। मान्यता है कि इस झील में सोना और चांदी चढाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। स्थानीय लोग कमरुनाग देवता को वर्षा की अध्यक्षता करने वाले देवता के रूप में पूजते हैं इसलिए, उन्हें प्रार्थनाओं की पेशकश करने के लिए झील के पास एक मंदिर बनाया गया है। कमरुनाग मंदिर की निकटता के कारण, प्राचीन झील का नाम इसके नाम पर रखा गया है।
झील के भीतर अरबों का खजाना
लोगों की मान्यताओं और सोने और चांदी अर्पित करने की वजह से समय के साथ, झील के अंदर बेशुमार दौलत इकट्ठी हो गई है। कोई भी झील की तलहटी पर मौजूद सही धन का पता लगाने की हिम्मत नहीं करता है। बहुत से लोग इस स्थल पर जाते हैं और देवताओं को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धापूर्वक धन की पेशकश करते हैं। हालांकि, कमरुनाग झील की अथाह प्रकृति दशकों के लिए आज तक एक रहस्य बनी हुई है। कई कथाओं के अनुसार चोरों द्वारा अंतर्निहित धन की झील को लूटने का प्रयास कई बार किया गया, लेकिन स्थानीय लोगों की मानें तो ये सभी प्रयास व्यर्थ साबित हुए।
इसे जरूर पढ़ें:क्या आप जानते हैं हुसैन सागर झील की बुद्धा मूर्ति से जुड़े ये रोचक तथ्य
यहां पहुंचना थोड़ा मुश्किल
रोहांडा से कमरुनाग तक का ट्रेक 3 से 4 घंटे का है, और यह 6-8 किमी तक लंबा है। रास्ता तेज है और घने कोहरे से भरा है। ट्रेकर्स के लिए शारीरिक रूप से फिट होना अनिवार्य है। सड़क मार्ग से जाने की योजना बनाने वाले पर्यटक 35 किमी की दूरी पर सुंदरनगर से रोहांडा तक जा सकते हैं। रोहंडा पहुंचने पर, कमरुनाग तक पैदल यात्रा करें। ट्रेन के यात्री कमरुनाग से 101 किमी की दूरी पर स्थित जोगिंदर नगर रेलवे स्टेशन पर उतर सकते हैं। रेलवे स्टेशन से, निजी टैक्सी उपलब्ध हैं। कमरुनाग मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा भुंतर हवाई अड्डा है।
होती हैं मनोकामनाएं पूरी
इस झील में स्थित बाबा कमरूनाग का मंदिर भक्तों के बीच मुख्य आकर्षण का केंद्र है। भक्त यहां अपनी सामर्थ्य के अनुसार सोना चढ़ाते हैं। मान्यता है कि बाबा कमरूनाग को सोना-चांदी चढ़ाने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इसके लिए लोग रुपये और जेवर झील में डालते हैं। लोगों की बाबा कमरूनाग में अटूट श्रद्धा है। सदियों से यह परंपरा चली आ रही है। इसी वजह से जानकारों के अनुसार ये झील अरबों का खजाना समेटे हुए एक रहस्य से भरी हुई है।
अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Recommended Video
Image Credit: hpmandi.nic.in and wikipedia
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों