हिंदू धर्म में चार धाम यात्रा का बहुत महत्व है। इन चार धामों में रामेश्वरम, बद्रीनाथ, द्वारिकापुरी और जगन्नाथ पुरी के नाम शामिल किए जाते हैं। मगर रोचक बात यह है कि जगन्नाथ पुरी के लिए कहा गया है कि यहां की यात्रा चार धामों की यात्रा के बराबर है। यानी आप अगर इन तीन धामों की यात्रा नहीं भी कर पाती हैं तो जगन्नाथ पुरीआना आपके लिए चार धाम की यात्रा करने के बराबर ही हो जाएगा। खैर, इस जगह का महत्व इसलिए भी है क्योंकि जगन्नाथ पुरी वह स्थान है, जहां भगवान कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा और बलभद्र के साथ 15 दिन की यात्रा के लिए हर साल निकलते हैं। इस अवसर को जगन्नाथ यात्रा पर्व की तरह यहां मनाया जाता है। इस यात्रा में लोग देश-विदेश से शामिल होने आते हैं। इस साल यह यात्रा 14 जुलाई से शुरु होगी। कानपुर निवासी मीना गुप्ता भी अपने परिवार के साथ इस जगह की यात्रा कर चुकी हैं।
अपनी ट्रैवेल ड्रायरी HerZindgi.com के साथ शेयर करते हुए मीना गुप्ता ने ट्रिप के दौरान हुई कई रोचक बातों का जिक्र किया। साथ ही उनहोंने इस जगह से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें शेयर कीं। अगर आप भी जगन्नाथ पूरी जाने का प्लान कर रही हैं तो एक बार इस ट्रैवल डायरी को जरूर पढि़एगा।
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मीना गुप्ता अपने हसबैंड और बेटी के साथ जगन्नाथ पुरी के ट्रिप पर 5 दिन के लिए गईं थीं। वह बताती हैं, ‘कानपुर से हमने सफर की शुरुआत की थी। पुरुषोत्तम एक्सप्रेस से हम 28 घंटों में पुरी पहुंचे थे। यह ट्रेन दिल्ली से चलती है और कानपुर, इलाहाबाद, बनारस, जमशेदपुर, खड़गपुर होते हुए जगन्नाथ पुरी पहुंचती है। अगर रेल मार्ग से जाना है तो इस ट्रेन से अच्छा और कोई दूसरा विकल्प नहीं है। ’
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आजकल का ट्रेंड है कि कहीं भी ट्रिप पर जाने से पहले लोग होटल में अपन कमरा बुक करवा लेते हैं। अगर आप जगन्नाथ पुरी जा रही हैं तो इस बात को ध्यान रखें कि होटल की बुकिंग पहले से करवा लें। खासतौर पर जगन्नाथ पुरी रथयात्रा फेस्टिवल के टाइप पर तो यह और भी जरूरी हो जाता है क्योंकि इस त्योहार को मनाने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। मीना गुप्ता बताती हैं, ‘अगर आपको रीजनेबल रेट पर अच्छी जगह पर रहना है तो जगन्नाथ पुरी में गुंडिचा देवी मंदिर ट्रस्ट के गेस्ट हाउस से अच्छी जगह और कोई नहीं हो सकती। यह जगह इसलिए भी अच्छी क्योंकि यहां पर गेस्ट हाउस के अंदर ही मेस बनी हुई है, जहां पर शुद्ध शाकाहारी खाना मिलता है और वो भी बहुत ही स्वादिष्ट। मगर इस जगह पर ठहरने के लिए आपको लगभग महीना भर पहले बुकिंग करानी होगी। इस गेस्ट हाउस में सिंगल, डबल और फैमिली सूट्स तक उपलब्ध हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि इस गेस्ट हाउस से जगन्नाथ मंदिर इतना नजदीक है कि आप पैदली वहां तक जा सकती हैं। साथ ही पूरी का दूसरा सबसे प्रसिद्ध गुंडिचा देवी मंदिर भी यहां से बेहद नजदीक है। गेस्ट हाउस से थोड़ी दूरी पर ‘पुरी बीच’ है। अगर आप सी-फेसिंग गेस्ट हाउस में रुकना चाहती हैं तो आप पंतनिवास गेस्ट हाउस में भी रुक सकती हैं।’
जगन्नाथ मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी लाइन लगती है। अगर गर्मी और उमस भरे मौसम में आप इन लाइनों में नहीं लगना चाहतीं तो गाइड जरूर कर लें। गाइड आपको स्पेशल पास के जरिए मंदिर के अंदर ले जाएगा और भगवान के दर्शन भी आसानी से करा देगा। इसके लिए आपको मात्र 50 रुपए का टिकट खरीदना होगा और गाइड को 200 से 500 रुपए तक देने होते हैं। मीना गुप्ता बताती हैं, ‘गाइड करने से आपको भीड़ का सामना नहीं करना होगा। साथ ही गाइड आपको भगवान के मुख्य कक्ष तक ले जाता है, जहां जा कर आप भगवान की प्रतिमा को छू तक सकती हैं।’
मीना गुप्ता बताती हैं, ‘मंदिर बेहद विशाल है। यहां पर भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा, भाई बलभद्र और जीजा सुदर्शन के साथ विराजमान है। सुदर्शन, अर्जुन का दूसरा नाम है। मंदिर में हर तरफ उजाला है मगर भगवान की कक्ष में यह व्यवस्था नहीं हैं। मैं यह जानना चाहती थी किए ऐसा तो किसी मंदिर में नहीं होता कि भगवान के कक्ष में अंधेरा हो। मैने एक पुजारी से पूछा तो उन्होंने बताया कि जगन्नाथ पुरी में भगवान कृष्ण अपने भाई-बहन के साथ विश्राम करते हैं। विश्राम करने वक्त उन्हें दिक्कत न हो इसलिए कक्ष में अंधेरा रखा जाता है और केवल दिए की रौशनी होती है।’
हर मंदिर के शिखर पर झंडा लगाया जाता है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है ईश्वर को हम कुछ भी देने लायक नहीं हैं झंडा लगा कर हम उन्हें सम्मान देते हैं। जगन्नथ में यह मंदिर के शिखर में झंडा लगाने की परंपरा बेहद अनोखें ढंग से निभाई जाती है। इस बारे में मीना बताती हैं, ‘यहां पर मंदिर का शिखर किसी विशाल पर्वत की तरह उंचा है। हैरानी की बात तो यह है कि इस शिखर पर रोज झंडा बदला जाता है और इस झंडे को बदलने के लिए व्यक्ति को बिना किसी सहारे के मंदिर के शिखर पर चढ़ना होता है। यह नजारा वाकई देखे वाला होता है। ऐसा हर रोज शाम 4 बजे शुरु होता है और लगभग आधे घंटे में ही व्यक्ति शिखर पर दूसरा झंडा लगा कर वापिस आ जाता है। यह देखना बेहद रोमांचित होता है। ’
जगन्नाथ पुरी जा रही हैं तो इसके आसपास की कुछ खास जगहों पर घूमना न भूलें। मीना गुप्ता बताती हैं, ‘पूरी जा रही हैं तो 4 दिन वहां जरूर ठहरें और भुवनेश्वर, कोर्णाक (कोणार्क के सूर्य मंदिर के बारे में जानें), सतपड़ा, पीपल, घौलगिरी और रघुराजपुर जरूर घुमें। इन सभी जगहों की अपनी खासियतें हैं। कहीं पर इतिहास देखने को मिलता है तो कहीं पर अद्भुद दृश्य।’
गुंडिचा देवी टेम्पल : यह मंदिर भगवान जगन्नाथ जी की मौसी का घर है । अपनी 15 दिनों की यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ यहां ठहरने आते हैं। यहां पर भगवान का अपना कक्ष भी है जहां उनकी प्रतिमा को हर साल 15 दिन के लिए स्थापित किया जाता है।
पिशि मां यानी भगवान कृष्ण की मौसी कुंती की कुतिया। जी हां, जगन्नाथ पुरी में भगवान की मौसी की कुटिया भी है। यहां पर भगवान गर्मियों के दिनों में बोटिंग करने आते हैं। दरअसल कुटिया के चारो तरफ एक झील है इसी झील में विशेष नाव पर बैठ कर भगवान कृष्ण बोटिंग का मजा लेते हैं।
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