राजस्थान यानि एक तरह से ऐतिहासिक इमारत और अद्भुत फोर्ट के लिए पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहां के हर जिले में आपको एक से बढ़कर एक ऐतिहासिक फोर्ट मिल जायेंगे, जो भारत के लिए एक गौरवपूर्ण इतिहास रखता है। इन फोर्ट में घूमने के लिए देश से लेकर विदेशों तक के सैलानी हर साल लाखों की तदाद में आते हैं। राजस्थान के जैसलमेर शहर में एक ऐसा ही फोर्ट है, जो सभी सैलानियों को आश्चर्यचकित कर देता है। हम बात कर रहे हैं 'जैसलमेर फोर्ट' के बारे में, जो भारत के इतिहास के साथ अपनी बेहतरीन संरचना के लिए पूरे विश्व भर में विख्यात है। जैसलमेर फोर्ट ने मध्य काल में कई लड़ाइयों को देखा है और आज भी वैसे के वैसे भी खड़ा है। तो चलिए इस लेख में इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानते हैं।
रावल जैसल नामक भाटी राजपूत शासक द्वारा वर्ष 1156 में बनाया गया इस किले को। इसे किले को पाने के लिए मध्य काल में दिल्ली के सुल्तान द्वारा दो बार आक्रमण किया गया था। कहा जाता है कि वर्ष 1541 में फिर से हुमायूं ने भी इस महल पर आक्रमण किया जिसके बाद यहां के राजा को अपनी बेटी की शादी हुमायूं के बेटे अकबर से करनी पड़ी। जिसके बाद आक्रमण नहीं हुआ और महल को भी सुरक्षित किया गया।
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कई लोग तो सिर्फ इसे जैसलमेर किले के नाम से ही जानते हैं, लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कई लोग इसे सोनार किला या स्वर्ण किले के रूप में भी जानते हैं। कहा जाता है कि इस महल के ऊपर एक जासूसी उपन्यास भी लिखा गया था, और आगे चल के इसी उपन्यास पर एक फिल्म भी बनी थी। कहा जाता है कि इस फिल्म के बनने के बाद ही इस फोर्ट को सोनार किला या स्वर्ण किला के नाम से जाना जाने लगा।(जैसलमेर की इन जगहों पर घूमना है बहुत खास)
कहा जाता है कि भारत में ऐसे बहुत कम ही फोर्ट है जहां आपको एक साथ इस्लामी और राजपुताना शैली की वास्तुकला का एक अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। लेकिन, अगर आपको सच में एक साथ इस्लामी और राजपुताना शैली की वास्तुकला का उदहारण देखना है, तो इसके लिए जैसलमेर फोर्ट बेस्ट किला है। पीले बलुआ पत्थरों से तैयार और बेहतरीन नक्काशी और डिजाइन के चलते आज यह महल यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में से एक है।(जैसलमेर जाने का है प्लान तो जरूर करें ये 5 चीज़ें)
कहा जाता है कि भारत में एक मात्र ऐसा फोर्ट है जहां मध्य काल में हर रोज आम लोगों के लिए दुकाने गलती थी, जहां शहर के बाहर से आकर कोई भी खरीदारी कर सकता था। उस समय यहां विदेशी सामान भी इस बाज़ार में खरीदने और बिकने का कई बार जिक्र किया जाता है। सजावट की सामान, मसाला, आनाज आदि इस बाज़ार में प्रमुख रूप से मिलते थे।
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