भारत के समृद्ध इतिहास के बारे में तो सभी जानते हैं। इस देश में पैदा होने वाले वीरों की गाथा भी हमने सुनी या पढ़ी है। इन वीरों में कुछ शक्तिशाली वीरांगनाएं भी थीं, जिनके साहस की हमने कहानियां सुनी। क्या आप जानते हैं कि इन महिलाओं ने हमारे देश के कुछ प्रसिद्ध स्मारकों को बनाया भी है? जी हां, आप में से शायद बहुत से लोग यह नहीं जानते होंगे कि ऐसे स्मारक जिन्हें आपने कभी न कभी एक्सप्लोर किया है, वो महिलाओं द्वारा बनाए गए हैं। आइए इस आर्टिकल में हम यही जानें कि भारत के किन प्रसिद्ध स्मारकों को महिलाओं ने बनाया है।
दिल्ली के हुमायूं के मकबरे में तो आप गए होंगे। कई सारी तस्वीरें भी आपने इस खूबसूरत जगह में खिंचवाई होंगी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा था कि इसे किसी महिला ने बनाया होगा ? जी हां, इसे हाजी बेगम या हमीदा बानो बेगम ने 1565-72 में बनाया था। यह स्मारक भारत में भारतीय मोटिफ्स के साथ फारसी वास्तुकला के फ्यूजन से बना पहला उदाहरण है। हालांकि सिकंदर लोदी का मकबरा भारत में बनने वाला पहला गार्डन-टूम्ब था, मगर हुमायूं के मकबरे ने एक नए प्रचलन की स्थापना की। मुगल वंश के कई शासकों को यहां दफनाया गया है। बहादुर शाह जफर ने भी 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान तीन राजकुमारों के साथ इसी मकबरे में शरण ली थी।
पानी के सम्मान में रानी की वाव इन्वर्टेड मंदिर उदयामति द्वारा सन 1063 में सोलंकी वंश के अपने पति राजा भीमदेव प्रथम के लिए बनाया गया था। हालांकि बाद में सरस्वती नदी में बाढ़ से जमा हुई गाद के नीचे यह बावड़ी खो गई थी। वर्षों बाद, खुदाई से पता चला कि गाद ने नक्काशी को सबसे अच्छी स्थिति में रहने में मदद की थी। यहां कई क्षेत्रीय फिल्मों की शूटिंग की गई है। इतना ही नहीं, इसे साल 2014 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में दर्जा भी मिला है।
भारत की कई रानियों के बीच एक नाम जो प्रसिद्ध है और हमेशा याद किया जाता है, वो पेपर क्वीन का है। गेरसोप्पा की रानी चेन्नाभैरदेवी को सबसे अच्छी काली मिर्च उगाने वाली भूमि पर शासन करने के लिए पुर्तगालियों द्वारा 'द पेपर क्वीन' का उपनाम दिया गया था। कई कारीगर दूर देशों में युद्धों से शरण लेने के लिए रानी के पास आए। इसके बदले में, उन्होंने 16वीं शताब्दी में रानी को मिरजन में अपना किला बनाने में मदद की। आज भी यह किला अपनी खूबसूरती को बनाए रखने में बरकरार है और यहां का मनोरम दृश्य आपके मन को सुकून पहुंचाएगा।
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जौनपुर की बीबी राजे जब सुल्तान महमूद शर्की की रानी थी, तो तब उन्होंने अपने महल के साथ-साथ संत सैय्यद अली दाऊद कुतुबुद्दीन के लिए लाल दरवाजा मजीद बनवाई थी। सन 1447 से उन्होंने जो स्मारक बनाए थे, उनमें से एक मदरसा जिसे जामिया हुसैनिया कहा जाता है, आज भी मौजूद है। उन्होंने अपने पति के शासनकाल के दौरान इस क्षेत्र में लड़कियों के लिए पहला स्कूल भी स्थापित किया था।
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क्या आपको सिर्फ आगरा में ताज महल के बारे में ही पता है? बड़ी मेहनत से तैयार किया गया यह मकबरा एक बेटी की अपने पिता को श्रद्धांजलि है और यह अपनी तरह का पहला मकबरा है। महारानी नूरजहां ने 1622-1628 के बीच अपने पिता मीर गयास बेग के लिए भारत में संगमरमर का पहला मकबरा बनवाया था। मकबरा बगीचे में एक ज्वेल बॉक्स की तरह दिखता है और इसमें मूंगों के साथ लाल और पीले बलुआ पत्थर का जड़ा हुआ काम है। इसी से प्रेरित होकर शायद नूरजहां के बेटे शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज के लिए ताज महल (रात में देखिए आगरा के ताज महल की खूबसूरती) बनवाया था।
अगर आप इन जगहों पर अब तक नहीं गए हैं, तो एक बार जरूर जाएं। इन खूबसूरत स्मारकों की डिटेलिंग, बनावट और वास्तुकला देखकर आप भी हैरान हो जाएंगे। हमें उम्मीद है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसे लाइक और शेयर करें। ऐसे दिलचस्प लेख पढ़ने के लिए विजिट करें हरजिंदगी।
Image Credit: unsplash & wikipedia
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