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क्या आपने मध्य प्रदेश के Ram Raja Temple के बारे में सुना है, रामनवमी पर जाएं यहां दर्शन करने

भगवान राम को ओरछा में राजा के रूप में पूजा जाता है। उन्हें दिन में 4 बार सलामी भी दी जाती है। मध्य प्रदेश का यह सबसे बड़ा और सबसे फेमस राम मंदिर है। 
Editorial
Updated:- 2024-04-04, 18:56 IST

रामनवमी का पर्व देशभर में 17 अप्रैल को मनाया जाने वाला है। इस खास मौके पर लोग श्री राम के दर्शन के लिए अयोध्या जाने का प्लान बना रहे हैं। रामनवमी पर प्रशासन की ओर से उम्मीद जताई गई है कि 10 लाख के करीब भक्त यहां दर्शन के लिए आ सकते हैं।

हर दिन अयोध्या श्री राम के धाम में 1 से 2 लाख लोग आ रहे हैं। अगर आप भी रामनवमी पर कहीं जाना चाहते हैं, तो अयोध्या की बजाय मध्य प्रदेश के इस खास मंदिर में दर्शन का प्लान बना सकते हैं।

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में स्थित इस मंदिर का कनेक्शन श्री राम से जुड़ा हुआ है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको श्री राम के राम राजा मंदिर के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। 

कहां स्थित है मंदिर 

 

 

 

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यह मंदिर मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में स्थित निवाड़ी जिले में है। निवाड़ी जिले के ओरछा में इस मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

  • समय- मंदिर सुबह 8 से 12:30 बजे तक और शाम 8 बजे से रात 10:30 बजे तक खुला रहता है।
  • यहां आप ओरछा रेलवे स्टेशन से आ सकते हैं। यहां से मंदिर 15 मिनट की दूरी पर है। 
  • आप यहां बस या कैब से भी पहुंच सकते हैं। 
  • राम राजा मंदिर घूमने के बाद आप मध्य प्रदेश के कई फेमस मंदिर दर्शन के लिए जा सकते हैं। 

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बंदूकों से दी जाती है सलामी 

history of ram raja temple

मंदिर को लेकर बताया जाता है कि आज भी रामराजा मंदिर में भगवान राम दिन में निवास करने हैं और रात्रि को शयन के लिए अयोध्या चले जाते थे। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि भगवान राम को आरती के दौरान उन्हें बंदूकों से सलामी दी जाती है। यह मध्य प्रदेश का फेमस मंदिर है। 

मंदिर नहीं रसोई में विराजमान है श्री राम की मूर्ति

famous ram raja temple

पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि साल 1631 में ओरछा के शासक मधुकर शाह की पत्नी रानी कुंवरि की वजह से इस मंदिर का निर्माण हुआ था। ऐसा इसलिए, क्योंकि उनकी वजह से ही भगवान राम मध्य प्रदेश आए थे। कथा के अनुसार रानी कुंवरि राजा से अयोध्या जाने की जिद कर रही थी। उन्हें श्री राम के दर्शन के लिए अयोध्या जाना था। लेकिन राजा  कृष्ण के भक्त थे, वह वृंदावन जाना चाहते थे।

इसी बहस में राजा ने रानी से कहा कि अगर अयोध्या में सच में श्री राम हैं, तो उन्हें यहां ओरछा में लाकर दिखाओ। राजा की बात सुनकर रानी ने 21 दिनों तक अयोध्या में श्री राम को प्रकट करने के लिए तप किया। इतने लंबे समय के बाद भी जब भगवान नहीं आए, तो रानी  सरयू नदी में कूद गईं। इसी समय भगवान श्री राम बाल स्वरूप में उनकी गोद में बैठ गए। 

भगवान राम से मिलने पर रानी से उन्हें ओरछा चलने की विनती की। लेकिन प्रभु राम ने रानी के सामने 3 शर्तें रख दी। उन्होंने कहा कि वह ओरछा में एक बार जहां बैठ जाएंगे, वहां से उठेंगे नहीं। इस मांग को सुनकर राजा ने श्री राम के लिए चतुर्भुज के आकार का बेहद शानदार मंदिर का निर्माण किया। लेकिन रानी श्रीराम को गोद में लेकर रसोई में गई थी।

यहां पर ही उन्होंने श्री राम को बिठा दिया। इसके बाद उस समय बनवाए गए मंदिर में भगवान नहीं गए। वह महारानी की रसोई में ही विराजमान हो गए। यहां पर ही वर्तमान में अलग मंदिर बनाया गया है।ॉ

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Image Credit- wikipedia

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