जहां भी बात भारत के आर्किटेक्चर की होती है, वहां बहुत ही अनोखी चीजें देखने को मिलती हैं। कोणार्क का सूर्य मंदिर हो या गुजरात की बावली, अजंता की केव्स हों या फिर पुराने जमाने में बने जंतर-मंतर। सभी में किसी ना किसी तरह से एस्ट्रोनॉमी, एस्ट्रोलॉजी और मैथ्स का उपयोग किया गया है। मजे की बात यह है कि जिस समय इन्हें बनाया गया था उस वक्त आधुनिक तकनीक में से कुछ भी उपलब्ध नहीं था। उस वक्त सिर्फ सूर्य की दिशा देखकर ही ये सब काम किए जाते थे। जंतर-मंतर भी इसी तरह का एक नमूना है।
कई लोगों को इसके बारे में जानकारी होगी कि जंतर-मंतर में सूर्य घड़ी है, लेकिन कम ही लोग ये जानते होंगे कि यह घड़ी घंटे और मिनट ही नहीं, सेकंड तक का समय भी बता देती है। जंतर-मंतर में बनी हुई घड़ी पत्थर की है जिसमें किसी भी तरह का कोई भी उपकरण नहीं इस्तेमाल होता। मॉडर्न टेक्नोलॉजी के परे जंतर-मंतर की घड़ी सिर्फ सूर्य की चाल पर काम करती है। इसमें विज्ञान और खगोल शास्त्र दोनों ही शामिल हैं।
दिल्ली का जंतर-मंतर अपने प्रोटेस्ट के लिए फेमस है। रेसलर्स प्रोटेस्ट के साथ-साथ यहां पर कई अन्य चीजें भी हुई हैं। दिल्ली में मौजूद यह जगह एक पॉलिटिकल अखाड़ा बन गई है। पर पुराने जमाने की स्थित को देखें, तो यह विज्ञान का एक अनूठा नमूना है।
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देश में हैं कितने जंतर-मंतर?
अंग्रेजों के जमाने तक देश में पांच जंतर-मंतर थे। कई लोगों को इसके बारे में पता नहीं है, लेकिन मथुरा में भी एक जंतर-मंतर था। इसे 1857 के विरोध के पहले ही तोड़ दिया गया था। फिलहाल, उज्जैन, जयपुर, वाराणसी और दिल्ली में ही जंतर-मंतर मौजूद हैं।
जयपुर में किले और रंगीन मार्केट के साथ-साथ जंतर-मंतर भी फेमस है और मजे की बात यह है कि यह जंतर-मंतर दिल्ली वाले से बड़ा है। जयपुर वाले जंतर-मंतर को ही UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट के तौर पर 2010 में संरक्षित किया गया था। दिल्ली वाला जंतर-मंतर छोटा है, लेकिन राजनीतिक मायने से उसका कद काफी बड़ा है और यही कारण है कि हमें दिल्ली वाले जंतर-मंतर के बारे में ज्यादा सुनने को मिलता है।
जंतर-मंतर का नाम है बहुत दिलचस्प
जंतर से आपका मतलब क्या होगा? भारत की कई डायलेक्ट्स में इसे जादू-टोने से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन सही मायने में यह जंतर यंत्र को दिखाता है। यंत्र को कुछ स्थानीय डायलेक्ट में अलग तरह से बोला जाता है। यहां जंतर का मतलब जादू-टोना नहीं है।
इसी जगह मंतर यानी मंत्र, नहीं-नहीं इन्हें श्लोक और मंत्र से परे समझिए। मंत्र का मतलब संस्कृत में जोड़-घटाना होता है। ऐसे में यंत्रों के साथ कई तरह की कैल्कुलेशन का मिश्रण ही है जंतर-मंतर। इससे सिर्फ दिन का समय नहीं, बल्कि ग्रहों की दशा भी देखी जाती थी।
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दुनिया की सबसे बड़ी सूर्य घड़ी
जंतर-मंतर जयपुर में दुनिया की सबसे बड़ी सूर्य घड़ी है जिसे ब्रिहात सम्राट यंत्र कहा जाता है। यह यंत्र स्थानीय समय को दो सेकंड के अंतराल से सटीक बता सकती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस सूर्य घड़ी का साइज 27 मीटर का है।
इसे इतना बड़ा बनाने के पीछे भी एक कारण था। जयपुर के महाराज सवाई जय सिंह द्वितीय ने इसे छोटा बनवाने की कोशिश भी की थी। पर छोटी घड़ी बनने पर समय सही नहीं दिख रहा था। जैसे-जैसे इसका साइज बढ़ता गया, वैसे-वैसे यह और सटीक होती गई। इसलिए इसे इतना विशाल बनाया गया।
क्या आपको पता था जंतर-मंतर के बारे में ये सब?
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