History Of Delhi: दिल्ली में ऐसी कई खूबसूरत और ऐतिहासिक जगहें मौजूद हैं जिन्हें देखने के लिए हर दिन हजारों लोग पहुंचते हैं। यहां मौजूद इंडिया गेट, लाल किला, लोटस टेम्पल या फिर जमा मस्जिद देखने के लिए हजारों लोग पहुंचते हैं।
देश की राजधानी के रूप में दिल्ली एक राजनीतिक केंद्र भी है, इसलिए यहां विदेशी राजनयिक भी पहुंचते रहते हैं। ऐसे में अगर आपसे यह सवाल किया जाए कि राजधानी के बारे में आप कितना जानते हैं तो फिर आपका जवाब क्या होगा?
अगर आप भी यह जानना चाहते हैं कि दिल्ली का नाम कब, क्यों और कैसे पड़ा तो फिर आपको इस आर्टिकल को जरूर पढ़ना चाहिए।
सबसे पहले यह जानते हैं कि दिल्ली का नाम कहां से आया। एक मिथक के अनुसार 50 ईसा पूर्व में ढिल्लू नाम के एक राजा ने यहां एक शहर को स्थापित किया था। बाद में उसी के नाम से इस शहर को दिल्ली कहा जाने लगा। ढिल्लू राजा को कई लोग धिल्लु और दिलु के नाम से भी जानते थे।
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अब यह जान लेते हैं कि दिल्ली का प्राचीन इतिहास क्या रहा है। शायद आपको मालूम हो, अगर नहीं मालूम हो तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि महाभारत काल में दिल्ली को इंद्रप्रस्थ की राजधानी के रूप में जाना जाता था।
कहा जाता है कि पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण और इंद्रा के सहयोग से इंद्रप्रस्थ नामक नगर बसाया था। ऐसा माना जाता है कि राजधानी बनाने के लिए खंडावरण्य के जंगल को चुना गया था।
इतिहास के अनुसार लगभग 736 ईस्वी के आसपास में दिल्ली में तोमर राजवंश का शासन था। इसके बाद चौहान राजवंश ने दिल्ली पर शासन शुरू किया। इसके बाद साल 1206 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली में गुलाम राजवंश की स्थापना की थी।(लाल किला के बारे में 9 अनसुनी बातें)
गुलाम राजवंश के बाद दिल्ली पर तुगलक वंश राज था। इसके बाद साल 1450 से लेकर 1526 तक लोदी वंश ने राज किया। साल 1526 में दिल्ली में मुगल वंश की स्थापना की। इसके बाद 1857 की क्रांति के बाद मुगल वंश खत्म हो गया और अंग्रेजों कब्जा कर लिया।
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि लगभग 1903 ईस्वी के आसपास से लेकर आजादी तक दिल्ली अंग्रेजों के अधिक रहा और आजादी के बाद दिल्ली को स्वतंत्र भारत की राजधानी घोषित किया गया। अंग्रेजों के शासन काल में ही इंडिया गेट और राष्ट्रपति भवन जैसी इमारतों का निर्माण किया गया था।(इंडिया गेट के पास इन चीजों जरूर लुत्फ उठाएं)
इतिहास के अनुसार दिल्ली को राजधानी बनाने की घोषणा 12 दिसंबर 1911 को दिल्ली दरबार में की गई थी। इसके बाद औपचारिक रूप से दिल्ली 13 फरवरी 1931 को देश की राजधानी बनी। आपको यह भी बता दें कि इससे पहले (कलकत्ता) अब कोलकाता देश की राजधानी थी।
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