आज देशभर में महाशिवरात्रि का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। मंदिरों में महादेव के जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की भारी-भीड़ देखने को मिल रही है। अगर आप हरियाणा के रहने वाले हैं और भोले बाबा के दर्शन और जलाभिषेक के लिए किसी ऐतिहासिक मंदिर की तलाश में है, तो यह आर्टिकल आपके काम आएगा।
आज के इस आर्टिकल में हम आपको हरियाणा के कुछ ऐसे खास शिव मंदिरों के बारे में बताएंगे, जिसका इतिहास कई वर्षों पुराना बताया जाता है।
संगमेश्वर महादेव मंदिर
महादेव का यह मंदिर हरियाणा के कुरुक्षेत्र से महज 20 किलोमीटर दूरी पिहोवा में स्थित है। पिहोवा के गांव अरुणाय में स्थित इस मंदिर का कनेक्शन माता सरस्वती से जुड़ा हुआ है। यह जगह अरुणा और सरस्वती नदी के संगम का स्थल है। (नोएडा में हैं भोलेबाबा के विशाल मंदिर)
माना जाता है कि माता सरस्वती को विश्वामित्र ऋषि ने खून से बहने का श्राप दिया था। वह इस श्राप से मुक्ति पाना चाहती थी, इसलिए उन्होंने इसके लिए महर्षि वशिष्ठ से सहायता मांगी। जिसके बाद महर्षि ने उन्हें इसी मंदिर में शिव की आराधना करने को कहा था। जिसके बाद माता ने यहां भोले बाबा की आराधना की, और महादेव ने उन्हें श्राप मुक्त करते हुए फिर से जलधारा से भर दिया।
हरियाणा के इस मंदिर में नंदी के बिना हैं महादेव

संगमेश्वर महादेव मंदिर के अलावा कुरुक्षेत्र में कालेश्वर महादेव मंदिर भी है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यह देश का पहला ऐसा मंदिर है, जहां नंदी नहीं है। इस मंदिर की मान्यता है कि यहां पर ही रावण ने भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। (नोएडा में भी है भगवान शिव की विशाल शिव प्रतिमा)
जिसके बाद महादेव ने रावण को काल पर विजय का वरदान दिया था। लेकिन इस वरदान को मांगते समय रावण ने भोलेनाथ से कहा कि वह नहीं चाहता है कि इस वरदान के बारे में कोई और भी जानें। इसलिए महादेव ने नंदी को कुछ समय के लिए खुद से दूर कर दिया था। इसलिए ही इस मंदिर में नंदी महाराज नहीं है।
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श्री ग्यारह रुद्री शिव मंदिर
यह मंदिर हरियाणा के कैथल में स्थित है। इस खास मंदिर की वजह से ही कैथल को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि इस मंदिर को भगवान श्री कृष्ण ने बनवाया था।
दरअसल, जब कुरुक्षेत्र में महाभारत युद्ध का समापन हुआ, तो उन्हें युद्ध में मारे गए सैनिकों के आत्मिक शांति के लिए कार्य करना था। इसलिए उन्होंने यहां 11 रुद्रों की स्थापना की। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि भोलेनाथ से इसी स्थान पर अजुर्न को दर्शन भी दिए थे।
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Image Credit- dailymahadevstatus insta
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