Hanuman Jayanti 2024: भारत में नहीं इन देशों में है हनुमान जी के विशाल पैरों के निशान

आज तक आपने बजरंग बली की बड़ी से बड़ी मूर्ति जरूर देखी होगी, लेकिन उनके इतने बड़े पैरों के निशान के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। 

 

hanuman giant footprint  thailand malaysia

आज प्रभु श्रीराम के परम भक्त पवनपुत्र हनुमान जी का जन्मोत्सव पूरे देश में मनाया जा रहा है। इन तस्वीरों को देखकर आप समझ सकते हैं, कि आखिर यह कितना विशाल होगा। पृथ्वी पर भगवान के प्राचीन उपस्थिति के भौतिक निशान साफ देखे जा सकते हैं। उनके विशाल पैरों के निशान पत्थर पर इस तरह छप गए हैं, जैसे पत्थर भी भगवान के शरीर का वजन का सह नहीं पाया।

जिसकी वजह से उनके पैरों के निशान जमीन पर उतर आए। आज के इस आर्टिकल में हम आपको ऐसे कुछ जगहों के बारे में बताएंगे जहां भगवान के बड़े पैरों के निशान जमीन पर बने हुए हैं।

माना जाता है कि इनमें से कुछ पदचिह्न सैकड़ों लाखों वर्ष पुराने है। धरती पर लोग रामायण में वर्णित भगवान राम के महान भक्त भगवान हनुमान से परिचित हैं, लोगों का मानना है कि आज भी भगवान धरती पर ही हमारे बीच हैं।

कहां है भगवान के पैरों के निशान

footprint hanuman in shrilanka

यह निशान श्रीलंका में भगवान हनुमान के पदचिह्न के माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब हनुमान भारत से श्रीलंका की ओर चले तो वे इसी स्थान पर उतरे थे, तब उनके शरीर की शक्ति इतनी ज्यादा थी कि उनके पदचिह्न ठोस पत्थर में दब गए। (यहां सिर के बल खड़े हैं बजरंगबली)

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विदेश में इस जगह भी है हनुमान जी के पदचिह्न

hanuman giant footprint

मलेशिया के पेनांग में आप ऐसे बड़े भगवान हनुमान के पदचिह्न देख सकते हैं। यहां पर लोग हनुमान जी के पदचिह्न के लिए दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं। भक्त सौभाग्य के लिए यहां पदचिह्न पर सिक्के फेंकते हैं।

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थाईलैंड में भी है हनुमान जी के पदचिह्न

यह तस्वीर भारत नहीं बल्कि थाईलैंड की है। लेकिन अभी तक इसके बारे में साफ जानकारी नहीं मिली है। ऐसे ही पैरों के निशान आपको आंध्र प्रदेश के लेपाक्षी में भी मिलेंगे।

यहां रहने वाले कुछ लोगों का मानना है कि यह पदचिह्न भगवान हनुमान का है, और अन्य कहते हैं कि यह माता सीता के पदचिह्न हैं। (यहां 108 बार श्री राम लिखने पर मिलती है एंट्री)

लेपाक्षी के ऐतिहासिक शहर के बारे में आप भारतीय महाकाव्य रामायण में पढ़ सकते हैं। जब रावण सीता देवी का अपहरण कर लंका की ओर जा रहा था तो जटायु नामक पक्षी ने उससे युद्ध किया था।

तभी धरती पर माता सीता के पैरों के निशान यहां बन गए। जटायु रावण से अधिक देर तक युद्ध नहीं कर सका और इसी स्थान पर गिर पड़ा। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, भगवान राम, लक्ष्मण के साथ इसी स्थान पर मरते हुए पक्षी जटायु से मिले थे।

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Image Credit- Freepik

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