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छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध है उत्तर प्रदेश का यह पवित्र मंदिर, सावन में दर्शन मात्र से मुरादें होती हैं पूरी

Shiva Temples In UP: उत्तर प्रदेश के काशी विश्वनाथ मंदिर के बारे में तो आप जानती ही होंगी, लेकिन क्या आप गोला गोकर्णनाथ के बारे में जानती हैं? मान्यता के अनुसार सावन में गोला गोकर्णनाथ के दर्शन मात्र से भक्तों की मुरादें हो जाती हैं पूरी। आप भी पहुंच जाएं।
Editorial
Updated:- 2025-07-14, 10:45 IST

Gola Gokarannath Temple: सावन का पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। आज यानी 14 जुलाई को सावन का पहला सोमवार है और सोमवार भगवान शिव भक्तों के लिए सबसे खास दिन होता है। सावन के सोमवार के दिन लाखों भक्त शिव मंदिरों में पूजा-पाठ करने और गंगा जल अर्पित करने पहुंचते हैं। उत्तर प्रदेश के शिव मंदिरों की बात होती है, तो काशी विश्वनाथ मंदिर के अलावा, गोला गोकर्णनाथ के बारे में जरूरत होती है। गोला गोकर्णनाथ यूपी की छोटी काशी के नाम से जाना जाता है, जहां सावन में लाखों भक्त अपनी-अपनी मुरादें लेकर पहुंचते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको गोला गोकर्णनाथ पौराणिक मान्यता और कहानी बताने जा रहे हैं।

गोला गोकर्णनाथ का इतिहास

गोला गोकर्णनाथ का इतिहास बताने से पहले आपको बता दें कि यह पवित्र और प्रसिद्ध मंदिर उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में स्थित है। इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना बताया जाता है। मान्यता के अनुसार इसका इतिहास पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। कई लोगों का मानना है कि इसका इतिहास भगवान शिव और रावण से भी जुड़ा हुआ है।

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गोला गोकर्णनाथ की पौराणिक कथा

gola gokarannath temple

गोला गोकर्णनाथ की पौराणिक कथा शिव भक्तों को खूब आकर्षित करता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार एक समय भवन शिव यहां मृग रूप में विचरण करने आए थे। जब भगवान शिव यहां विचरण करने आए थे तब, उनको यह वन क्षेत्र काफी खूबसूरत और सुंदर लगा और वो यहीं रह गए। लोक कथा के अनुसार इस मंदिर का निर्माण राजा मोरध्वज ने करवाया था, जो भगवान शिव के भक्त थे। मान्यता के अनुसार जो यहां सच्चे मन से पहुंचता है, उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं।

छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध है गोला गोकर्णनाथ

त्रेतायुग से संबंधी गोला गोकर्णनाथ आसपास के इलाके के लिए तीर्थ स्थल से कम नहीं है। यह मंदिर इस कदर प्रसिद्ध है कि इसे कई लोग उत्तर प्रदेश की छोटी काशी के नाम से भी जानते हैं। कहा जाता है कि यह स्थापित शिवलिंग का आकार गाय के कण की तरह है, जिसके चलते मंदिर का नाम गोकर्णनाथ पड़ा। इस प्रसिद्ध मंदिर के पास में ही गोकर्ण तीर्थ स्थाल है। तीर्थ स्थाल के पास ही एक विशाल शिव की मूर्ति भी स्थापित है।

सावन में लाखों भक्त पहुंचते हैं

gola gokarannath temple in uttar pradesh

गोला गोकर्णनाथ शिव मंदिर का दर्शन करने सिर्फ स्थानीय भक्त ही नहीं, बल्कि राज्य के हर कोने से पहुंचते हैं। सावन के महीने में यहां देश के हर कोने से भक्त गंगा जल अर्पित करने पहुंचते हैं। खासकर, सावन के सोमवार के दिन खूब भीड़ देखी जाती है। इसके अलावा, महाशिवतात्रि के मौके पर यहां भक्तों की लंबी-लंबी लाइन भी लगती है। इसके अलावा, यहां चैती मेला का भव्य आयोजन देखने के लिए देश के हर कोने से भक्त पहुंचते हैं।  

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गोला गोकर्णनाथ कैसे पहुंचें

गोला गोकर्णनाथ पहुंचना बहुत ही आसान है। आप जान चुके होंगे कि यह मंदिर उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में है, और लखीमपुर खीरी रेलवे स्टेशन देश के कई बड़े शहरों से अच्छे से जुड़ा हुआ है।  उत्तर प्रदेश के कई शहरों से लखीमपुर खीरी के लिए ट्रेन चलती रहती है। इसके अलावा, यह शहर सड़क मार्ग से भी जुड़ा हुआ है।  
     
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