चैत्र नवरात्रि का पर्व 9 अप्रैल से शुरू होने के बाद जगह-जगह माता के मंदिरों में लोगों की भीड़ देखी जा रही है। हर साल भक्तों का उत्साह नवरात्र महोत्सव के लिए दोगुना हो जाता है। भक्त इस नवरात्र महोत्सव के दौरान भारत के कई प्रसिद्ध देवी मंदिरों में दर्शन के लिए जाते हैं।
अगर आप जम्मू-कश्मीर में स्थित माता के वैष्णों देवी मंदिर में दर्शन के लिए जा चुके हैं और इस साल आप माता के शक्तिपीठ में माता के आर्शिवाद के लिए जा सकते हैं। आज के इस आर्टिकल में हम आपको उत्तराखंड के फेमस शक्तिपीठों के बारे में बताएंगे, जहां आप दर्शन के साथ-साथ पहाड़ों का सुंदर नजारा भी देख पाएंगे।
टिहरी गढ़वाल जनपद में स्थित मां चंद्रबदनी मंदिर भारतवर्ष में स्थित 51 शक्तिपीठों में से एक है। चंद्रकूट पर्वत पर स्थित यह सिद्धपीठ बांज‚ बुरांश, काफल और देवदार वृक्षों से घिरी है।
— Uttarakhand Tourism (@UTDBofficial) October 20, 2020
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माता का यह मंदिर उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में जमनीखाल नामक एक छोटे से गांव में स्थित है। यह देवप्रयाग से 35 किमी की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर भारत में स्थापित 51 शक्तिपीठों में से एक है। माता के इस मंदिर में देवी सती का धड़ गिरा था।
यहां मंदिर में आपको कछुए की पीठ के आकार का एक पत्थर मिलेगा। यहां माता की मूर्ति नहीं बल्कि इस आकार की पूजा होती है। अप्रैल के महीने में, मंदिर में एक मेला लगता है जो बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है। यह उत्तराखंड के फेमस मंदिरों में से एक है।
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माता का यह मंदिर जनपद में स्थित जौनुपर के सुरकुट पर्वत पर स्थित है। यह स्थान समुद्रतल से करीब 3 हजार मीटर ऊंचाई पर है। यहां से आपको बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री अर्थात चारों धामों की पहाड़ियां एक साथ नजर आएंगी। यहां माता का सिर गिरा था। इसलिए इसका नाम, सुरकंडा मंदिर पड़ा। यहां आपको पहुंचने के लिए 2.5 किमी की चढ़ाई करनी पड़ेगी।
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वैष्णो देवी से शुरू होने वाली नौ देवी यात्रा मे नैना देवी मंदिर का भी नाम आता है। माना जाता है कि इस मंदिर माता के नेत्र गिरे थे। इसलिए इस मंदिर का नाम नैना देवी पड़ा। यहां माता के दो नेत्रों की पूजा होती है। समुद्र तल से 1100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर के समीप ही में एक गुफा है जिसे नैना देवी गुफा के नाम से जाना जाता है। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां आकर माता नैना देवी के दर्शन करते हैं।
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