माता के शक्ति रूपों को शक्तिपीठ कहा जाता है। जब देवी सती अपने पिता के द्वारा होने वाले यज्ञ में नहीं बुलाई गई थीं तो वह अपने और भगवान शिव के अपमान से रूठ गई थीं। इस अपमान में उन्होंने खुद को अग्नि को समर्पित कर दिया था। जब भगवान शिव को सती के बारे में पता चला तो वह क्रोधित हो गए और उन्होंने तांडव करना शुरू किया। इससे सभी देवी-देवताओं, असुरों में भय पैदा हुआ। तब विष्णु ने सती की शरीर के अपने सुदर्शन चक्र से भाग किए और वह जिन जगहों पर गिरे, वहां शक्तिपीठ स्थापित हो गए। भक्तजन इन शक्तिपीठों को खूब मानते हैं। अगर आप भी इस बीच माता रानी के दर्शन करना चाहें, तो दक्षिण भारत के इन शक्तिपीठों के दर्शन जरूर करें।
चामुंडेश्वरी देवी मंदिर
यह मंदिर मैसूर शहर से 13 किलोमीटर दूर चामुंडी पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर 1000 साल से भी अधिक पुराना है, जो मां दुर्गा के चामुंडा रूप को समर्पित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जिस चामुंडी पहाड़ी पर यह मंदिर स्थित है, उसी स्थान पर माता चामुंडा ने महिषासुर का वध किया था। इसके अलावा यह तीर्थ स्थान 18 महाशक्तिपीठों में से एक माना जाता है।
पुराणों के अनुसार जब महिषासुर ने ब्रह्माजी की तपस्या से वरदान हासिल कर लिया तो वह देवताओं पर ही अत्याचार करने लगा था। ब्रह्माजी ने महिषासुर को वरदान दिया था कि उसका वध एक स्त्री के माध्यम से ही होगा। यह जानकारी सभी देवता मां दुर्गा के पास पहुंचे और इस समस्या का समाधान करने के लिए कहा। तब मां दुर्गा ने महिषासुर का वध करने के लिए चामुंडा का रूप धारण किया। इसके बाद इसी स्थान पर माता चामुंडा और महिषासुर में भयानक युद्ध हुआ और अंततः माता चामुंडा ने उस राक्षस का वध कर दिया।
जोगुलंबा मंदिर, तेलंगाना
आलमपुर भारतीय राज्य तेलंगाना के जोगलबा गडवाल जिले का एक शहर है। यह एक धार्मिक महत्व का शहर है जो पवित्र मानी जाने वाली नदियों तुंगभद्रा और कृष्णा के संगम पर स्थित है और इसे दक्षिण काशी (जिसे नवब्रह्मेश्र्वर तीर्थ भी कहा जाता है) कहा जाता है तथा इसे प्रसिद्ध शैव तीर्थ श्रीसैलम का पश्चिमी द्वारा भी कहा जाता है।
आलमपुर में कई हिंदू मंदिर हैं, जिनमें प्रमुख हैं जोगुलम्बा मंदिर, नवब्रह्म मंदिर, पापनासी मंदिर और संगमेश्वर मंदिर। जोगुलम्बा मंदिर 18 महा शक्तिपीठों में से एक है, जो शक्तिवाद में सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ और तीर्थ स्थल हैं। मान्यता है कि आलमपुर में जहां जोगुलाम्बा देवी मंदिर स्थापित है वहां माता सती के दांतों की ऊपर वाली पंक्ति गिरी थी। इस मंदिर के प्रमुख आराध्य 'मां जोगुलाम्बा' और 'बाल ब्रह्मेश्वरा स्वामी' हैं। माता सती को 'जोगुलाम्बा देवी' या 'योगाम्बा देवी' के नाम से और भगवान शिव को 'बाल ब्रह्मेश्वर स्वामी' के रूप में पूजा जाता है।
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पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान् ब्रह्मा ने एक संत के अभिशाप के फलस्वरूप अपनी सारी शक्तियां खो दी थीं। उन्होंने अपनी शक्तियां वापस पाने के लिए भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी। यह माना जाता है कि भगवान शिव ने तब नौ अलग-अलग रूपों में प्रकट हुए थे। आलमपुर में तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थापित नव ब्रह्मा मंदिरों के नौ विभिन्न मंदिर शिव जी के उन्हीं नौ रूपों - बाल ब्रह्मा, गरुड़ ब्रह्मा, स्वर्ग ब्रह्मा, पद्म ब्रह्मा, कुमार ब्रह्मा, तारक ब्रह्मा, अर्क ब्रह्मा, वीर ब्रह्मा और विश्व ब्रह्मा को समर्पित हैं।
मां भ्रमराम्बा शक्तिपीठ, श्रीसैलम
आंध्र प्रदेश राज्य के कुर्नूल ज़िले में नल्लमाला पर्वत पर स्थित 'श्रीसैलम' भगवान शिव और माता शक्ति के पावन धामों में से एक है, इसे 'दक्षिण का कैलाश' भी कहा जाता है। भारत में विभिन्न स्थानों पर शक्तिपीठ और ज्योतिर्लिंग मौजूद हैं। श्रीसैलम की विशेषता यह है कि यहां देवी भ्रमराम्बा शक्तिपीठ और मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग दोनों ही स्थित हैं, और इसके पौराणिक और ऐतिहासिक संदर्भ भी मिलते हैं।
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इसी प्राचीन मंदिर के विशाल परसिर में 'मां भ्रमराम्बा मंदिर' स्थापित है, जो मां शक्ति के पतित पावन 51 शक्तिपीठों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि यहां माता सती की ग्रीवा का पतन हुआ था। यहां माता की मूर्ति 'महालक्ष्मी' के रूप में स्थापित है और उन्हें 'भ्रमराम्बिका' या 'भ्रमराम्बा' देवी के नाम से पूजा जाता है। उनके साथ भगवान शिव 'शम्बरानंद भैरव' के रूप में विराजमान हैं, उन्हें 'मल्लिकार्जुन स्वामी' भी कहा जाता है।
कामाक्षी शक्तिपीठ, कांचीपुरम
मां कामाक्षी देवी मंदिर जिसे हम कांची शक्तिपीठ भी कहते हैं, भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है। पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ बनाए गए। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन मिलता है। यह शक्तिपीठ तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम नगर में स्थित है। यहां देवी की अस्थियां या कंकाल गिरा था। जहां पर मां कामाक्षी देवी का भव्य विशाल मंदिर है, जिसमें त्रिपुर सुंदरी की प्रतिमूर्ति कामाक्षी देवी की प्रतिमा है। यह दक्षिण भारत का सर्वप्रधान शक्तिपीठ है। इसमें भगवती पार्वती का श्रीविग्रह है, जिसको कामाक्षी देवी अथवा कामकोटि भी कहते हैं।
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