दौलताबाद किला: 12 वीं शताब्दी में निर्मित महाराष्ट्र के सात अजूबों में से एक

महाराष्ट्र के दौलताबाद में स्थित दौलताबाद किला इतिहास के नज़र से पूरे महाराष्ट्र के लिए आज भी शान है।

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देश के किसी भी राज्य का इतिहास उठाकर देख लीजिये आपको हर राज्य में कोई न कोई प्रसिद्ध और ऐतिहासिक इमारत, महल या किला ज़रूर मिल जायेगा। राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश या फिर महाराष्ट्र शहर ही क्यों न हो। इन हर राज्यों में कोई न कोई विश्व प्रसिद्ध फोर्ट का निर्माण प्राचीन काल से लेकर मध्यकाल में ज़रूर हुआ है। महाराष्ट्र में स्थित दौलताबाद का किला भी इसी क्रम में एक विश्व प्रसिद्ध फोर्ट है, जिसे महाराष्ट्र में सात अजूबों में से एक कहा जाता है। प्राचीन संरचना, अद्भुत नक्काशी और हरियाली के बीच में स्थित यह किला महारष्ट्र में घूमने के लिए सबसे परफेक्ट जगह है। आज इस लेख में हम आपको इस किले के बारे में कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद आप भी पहले नहीं सुना हो। अगर आप महाराष्ट्र घूमने के लिए जा रहे हैं, तो कुछ समय निकालकर यहां भी घूमने के लिए ज़रूर पहुंचें।

किले का इतिहास

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अगर आप घूमने के साथ-साथ इतिहास में दिलचस्पी रखते हैं, तो दौलताबाद फोर्ट आपके लिए एक बेस्ट जगह हो सकती है। साल 1187 में यादव वंश द्वारा निर्मित यह किला पूरे महाराष्ट्र के लिए 'सात अजूबों' में से एक है। इसका निर्माण और इसकी नक्काशी ही इसे सात अजूबों में शामिल करती है। मध्यकाल में इस किले को सबसे अधिक सुरक्षित किला समझा जाता था। हालांकि, इस किले का नियंत्रण दिल्ली में मौजूद उस समय के शासक तुगलक वंश के अधीन था। दिल्ली से ही इस किले पर हुकूमत चलाई जाती थी। तुगलक वंश ने कई वर्षों तक इस किले को राजधानी के रूप में भी इस्तेमाल किया। हालांकि, शहर में पानी की कमी के चलते बहुत जल्दी ही इस किले को छोड़कर तुगलक वंश चले गए।

किले का निर्माण

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मध्यकाल में इस किले को पूरे महाराष्ट्र के लिए सामरिक और शक्तिशाली निर्माण के लिए जाना जाता था। इस किले का कुछ इस तरह निर्माण किया गया कि कोई भी दुश्मन इस किले पर आक्रमण नहीं कर सकता था। इस किले को लगभग 200 मीटर की ऊंचाई पर एक बड़े से चट्टान को काटकर निर्माण किया गया है। दुश्मन को इस किले पर चढ़ने के लिए कई दिन क्या है, कई महीने लग जाते थे। शायद यहीं वजह रहा है कि आज तक इस किले पर कोई भी आक्रमण नहीं कर सका। इस किले के चारों तरफ बड़े-बड़े खाई भी खोद कर उसमें मगरमच्छों को छोड़ा जाता था ताकि शत्रु अन्दर नहीं आ सके।(कलिंजर फोर्ट)

किले की टाइमिंग और एंट्री फ़ीस

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अगर आप महारष्ट्र घूमने के लिए जा रहे हैं, तो आपको यहां ज़रूर घूमने के लिए जाना चाहिए। यह किला महारष्ट्र के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी एक बेहतरीन पिकनिक की जगह है। बरसात के मौसम में यहां हजारों सैलानियों की भीड़ लगी रहती है। यहां आप सोमवार से रविवार सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे के बीज कभी भी घूमने के लिए जा सकते हैं। एंट्री फ़ीस की बात करें तो भारतीय सैलानियों के लिए 10 रुपये और विदशी सैलानियों के लिए 100 रुपये रखा गया है। आपको बता दें कि यहां विदेशी सैलानी भी भारी संख्या में घूमने के लिए आते हैं।(नाहरगढ़ फोर्ट)

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आसपास घूमने की जगह

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ऐसा नहीं है कि इस किले के आसपास घूमने के लिए कोई जगह नहीं है। बल्कि, इस किले के आसपास एक से एक बेहतरीन जगह है घूमने के लिए। किले से कुछ ही दूरी पर स्थित घृष्णेश्वर मन्दिर, बानी बेगम गार्डन, सलीम अली झील और औरंगजेब का मकबरा जैसी कई जगह है घूमने के लिए। आप इन जगहों पर कभी भी घूमने के लिए जा सकते हैं। यहां आप घूमने के साथ-साथ मुगलाई और हैदराबादी व्यंजनों का भी मजेदार लुत्फ़ उठा सकते हैं। प्रसिद्ध रेस्तरां-तंदूर रेस्टोरेंट एंड बार और चाइना टाउन आदि जगहों पर भी खाने के लिए जा सकते हैं।

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