कारगिल जिले में लद्दाख से लगभग 105 किलोमीटर दूर स्थित है बेहद खुबसूरत ज़ंस्कार घाटी। जन्नत का अहसास करवाती ज़ंस्कार घाटी बर्फ से ढके पहाड़ों और स्वच्छ नदियों से सजी है। 'ज़हर या ज़ंगस्कर' जैसे स्थानीय नामों से जानी जाने वाली ज़ंस्कार घाटी द टेथिस हिमालय का एक हिस्सा है। ज़ंस्कार घाटी समुद्र तल से लगभग 13,154 की ऊंचाई पर बसी है। अगर इसके क्षेत्रफल की बात करें तो यह लगभग पांच हजार वर्ग किलोमीटर में फैली है। ऊंचे-ऊंचे बर्फिले पहाड़ों से ढकी यह घाटी अपनी खुबसूरती के लिए फेमस है, जो यहां एक बार घूमने जाता है वह अपना दिल वहीं छोड़ आता है। यह घाटी उन लोगों को ज्यादा आकर्षित करती है जो 'ट्रेकिंग' और 'रिवर राफ्टिंग' करना पसंद करते हैं। ज़ंस्कार घाटी उन पर्यटकों का खुले दिल से स्वागत करती है जो रोमांच पसंद करते हैं। यह उत्साही यात्रियों के घूमने लिए सबसे रोमांचक स्थानों में से एक है। तो चलिए जानते हैं इस घाटी के बारे में कुछ बातें।
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माना जाता है कि सातवीं शताब्दी में लद्दाख में ग्रेट लामा सोंगत्सेन गम्पो ने बौद्ध धर्म की शुरुआत की थी और इसका प्रभाव जल्द ही ज़ंस्कार घाटी पर दिखने लगा। उस दौरान अलगाव के कारण ज़ंस्कार क्षेत्र बौद्ध का भक्ति स्थल बना हुआ था, जबकि ज़ंस्कार से सटे कश्मीर का बड़ा हिस्सा इस्लाम में बदल गया था। स्वतंत्रता के बाद आंतरिक संघर्षों के कारण इस घाटी को लद्दाख (सितंबर में क्यों जाएं लद्दाख) से अलग कर दिया गया था। लेकिन लद्दाख और ज़ंस्कार घाटी के राजा एक ही परिवार के थे, इसलिए उन्होंने शांति वार्ता की और 1842 में लद्दाख और ज़ंस्कार जम्मू और कश्मीर का एक हिस्सा बन गए।
चादर ट्रैक लेह-लद्दाख (लेह के सफर से जुड़ी जरूरी बातें) के सबसे कठिन और सबसे खतरनाक ट्रेक में से एक है, जो ज़ंस्कार घाटी का सबसे प्रमुख आकर्षण है। चादर फ्रोजन रिवर ट्रेक दूसरे ट्रेकिंग वाली जगहों से बिल्कुल अलग है। इस ट्रैक को चादर ट्रैक इसलिए कहा जाता है, क्योंकि ज़ंस्कार नदी सर्दियों के दौरान बर्फ की सफेद चादर में बदल जाती है।
लेह-लद्दाख (लद्दाख जाए तो Ice Cafe जाना ना भूलें) में ज़ंस्कार घाटी के अलावा भी कई अन्य फेमस पर्यटक स्थल मौजूद हैं, जैसे- हेमिस मठ, पैंगोंग झील, शांग गोम्पा, गोत्संग गोम्पा, खर्दुंग ला पास, लेह पैलेस, गुरुद्वारा पत्थर साहिब, त्सो मोरीरी झील,चादर ट्रैक, फुगताल मठ, शांति स्तूप, ज़ंस्कार घाटी की यात्रा के दौरान इन्हें देखे बिना वापस ना आएं।
ज़ंस्कार घाटी में भालू, स्नो लेपर्ड, और मर्मोट जैसे जंगली जानवरों की विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं। इनके अलावा यहां डोज़ो, याक, भेड़ और घोड़े जैसे पालतू जानवरों को भी देखा जा सकता है।
ज़ंस्कार घाटी घूमने के लिए सबसे अच्छा समय जून से सितंबर का महीना होता है और इस दौरान यह जगह बेहद खूबसूरत लगती है। वहीं, सर्दियों के दौरान ज़ंस्कार घाटी नहीं जाने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इस मौसम में यहां भारी बर्फबारी होती है और तापमान में काफी गिरावट आ जाती है। सड़कें भी अवरुद्ध रहती हैं।
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यह घाटी सड़क मार्ग से लेह और जम्मू कश्मीर के दूसरे शहरों से अच्छी तरह से जुड़ी हुआ है और नियमित बस सेवाएं भी उपलब्ध हैं। लेकिन आपको बता दें कि इस घाटी के लिए कोई फ्लाइट या ट्रेन उपलब्ध नहीं है। अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो जुड़ी रहिए हमारे साथ। इस तरह की और जानकारी पाने के लिए पढ़ती रहिए हरजिंदगी।
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