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भारत में जिस तरह घूमने-फिरने वाले जगहों की कमी नहीं है, ठीक उसी तरह उन जगहों की कोई न कोई खासियत जरूर है। उन्हीं में से एक गुजरात है। गुजरात की गिनती भी एक खूबसूरत राज्य में होती है। यहां घूमने के लिए कई जगहें हैं, लेकिन एक ऐसा गांव है, जहां की परंपरा बहुत ही अनोखी है। इस गांव में किसी भी घर में रसोई नहीं है और न ही यहां खाना बनता है। आपको सुनने में भले ही अजीब लग रहा हो, लेकिन ये सच है।
हम गुजरात के मेहसाणा जिले में स्थित चंदनकी गांव की बात कर रहे हैं। दरअसल, यहां पूरे गांव का खाना एक ही जगह सामुदायिक रसोई में बनता है और लोग वहीं बैठकर खाना खाते हैं। हम आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी देने जा रहे हैं। आइए जानते हैं-
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अब आप सोच रही होंगी कि यहां घरों में खाना क्यों नहीं बनता है। तो आपको बता दें कि इस गांव के लोग एकता की मिसाल पेश करते हैं। ऐसे में इस गांव के लोगों ने मिलकर ये तय किया कि वे रोजाना अलग-अलग घरों में खाना नहीं बनाएंगे। खासतौर पर इसलिए कि गांव में ज्यादातर बुजुर्ग रहते हैं। कम उम्र वाले काम के सिलसिले में शहर से बाहर रहते हैं, तो बुजुर्गों को खाना बनाने में दिक्कत होती थी।
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इसी परेशानी को देखते हुए गांव वालों ने सामूहिक रसोई की शुरुआत की। इस सामूहिक रसोई में सभी लोगों के लिए एक साथ खाना तैयार किया जाता है और सभी मिलकर ही भोजन करते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि गांव में पहले करीब हजार लोगों की आबादी थी, लेकिन अब कई लोग बाहर जा चुके हैं। ऐसे में अब 500 के आसपास की लाेग इस गांव में बचे हैं। यहां रोज एक तय जगह पर खाना बनता है और लोग उसी जगह बैठकर भोजन करते हैं। ये तरीका गांव में एकता भी बनाए रखता है।

ये सेवा फ्री नहीं है। गांव में रहने वाले लोग महीने में लगभग दो हजार रुपये देते हैं, जिससे रसोई चलती रहती है। खाना बनाने के लिए रसोइयों को रखा गया है। इन्हें हर महीने करीब 11,000 रुपये का वेतन दिया जाता है।
इस सामुदायिक रसोई में रोजाना दाल-चावल, सब्जी, रोटी और जरूरत के हिसाब से बाकी खाने की चीजें बनाई जाती हैं। हालांकि, इस बात का पूरा ध्यान दिया जाता है कि जो भी चीजें बनें वो हेल्दी हों।
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ऐसा सुनने को मिलता है कि गांव के सरपंच पूनम भाई पटेल ने सामुदायिक रसोई की सोच को आगे बढ़ाया था। शुरुआत में ये सिर्फ बुजुर्गों की सुविधा के लिए था लेकिन आज ये गांव की पहचान बन चुका है। चंदनकी गांव दिखाता है कि मिल-जुलकर रहने से जिंदगी और खूबसूरत हो जाती है। सब लोग साथ खाते हैं, साथ हंसते हैं और गांव का माहौल परिवार जैसा बना रहता है।
तो अगर आप कभी भी गुजरात जाएं, तो इस गांव की अनोखी रसोई और सामूहिक खाने की परंपरा जरूर देखें। इससे आपके मन को शांति जरूर मिलेगी।
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Image Credit- Freepik
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