Ujjain Me Ghumne Ki Best Jagah: मध्य प्रदेश के सबसे चर्चित, ऐतिहासिक और धार्मिक शहर का नाम लिया जाता है, तो उस लिस्ट में टॉप पर उज्जैन जरूर शामिल रहता है। यह खूबसूरत शहर क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित है।
उज्जैन, भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। महाकालेश्वर मंदिर का दर्शन करने दुनिया के हर कोने से लोग पहुंचते हैं।
उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर के बारे में तो आप भी जानते होंगे, लेकिन इस शहर में स्थित भर्तृहरि गुफा के बारे में शायद आप भी नहीं जानते होंगे, जहां कई पर्यटक घूमने के लिए पहुंचते रहते हैं।
उज्जैन में भर्तृहरि की गुफाएं कहां है?
भर्तृहरि की गुफाओं का इतिहास और रहस्यमयी कहानी जानने से पहले आपको यह बता दें कि भर्तृहरि की गुफाएं उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है। यह गुफा महाकालेश्वर मंदिर से करीब 4 किमी की दूरी पर स्थित है। महाकालेश्वर मंदिर से आप पैदल या फिर टैक्सी लेकर भी जा सकते हैं।
भर्तृहरि की गुफाओं का इतिहास
क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित का इतिहास काफी पुराना बताया जाता है। इन गुफाओं के बारे में कहा जाता है कि इसका इतिहास राजा भर्तृहरि से जुड़ी हैं। कई लोगों का यह भी मानना है कि भर्तृहरि की गुफाओं का निर्माण प्रसिद्ध ऋषि 'भर्तृहरि' के नाम से बनी हैं। भर्तृहरि को एक महान विद्वान और प्रसिद्ध कवि भी माना जाता था।
भर्तृहरि की गुफाओं को लेकर कुछ अन्य लोगों का मानना इसका निर्माण राजा विक्रमादित्य के भाई सौतेले भाई के इसका निर्माण करवाया था। हालांकि, इसका निर्माण किस वर्ष में हुआ था, इसकी सटीक जानकारी नहीं है।
भर्तृहरि की गुफाओं का निर्माण क्यों किया गया था
भर्तृहरि की गुफाओं के निर्माण के पीछे कई कारण हैं हालांकि, एक कारण सबसे अधिक प्रचलित है। किंदवंती के अनुसार, जब भर्तृहरि ने सांसारिक जीवन त्यागने का फैसला किया, उन्हें एक ऐसी जगह की तलाश थी, जहां वो ध्यान कर सकें। भर्तृहरि ने इसी गुफा को ध्यान स्थल के रूप में चुना, जिसके बाद इसे भर्तृहरि गुफा के नाम से जाना जाने लगा।
भर्तृहरि की गुफाओं की रहस्यमयी कहानी
भर्तृहरि की गुफाओं की रहस्यमयी कहानियां पर्यटकों को खूब आकर्षित करती हैं। किंदवंती के अनुसार आज भी इस गुफा में ऋषि भर्तृहरि वास करते हैं। कहा जाता है कि इस गुफा के अंदर भी एक गुफा है, जिसे सैलानियों के लिए बंद कर दिया गया है।
एक अन्य किंदवंती के अनुसार इस गुफा में एक अंदर टूटा हुआ पत्थर है, जिसे देखकर कई लोग मानते हैं कि इस पत्थर से गुफा का भार रोका गया है। आपको बता दें कि इस गुफा को भारतीय शैल-कर्तित वास्तुकला का उदाहरण माना जाता है। गुफा के पास गोपीचंद की मूर्ति भी मौजूद है।
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भर्तृहरि गुफा के आसपास घूमने की जगहें
महाकाल मंदिर के अलावा, भर्तृहरि गुफा के आसपास ऐसी कई जगहें मौजूद हैं, जिन्हें आप एक्सप्लोर कर सकते हैं। जैसे-भर्तृहरि गुफा से कुछ ही दूरी पर स्थित जंतर मंतर, राम घाट, सांदीपनि आश्रम और सिद्ध वट को एक्सप्लोर कर सकते हैं।
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