खजुराहो को ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह एक ऐसा शहर है, जिसके बारे में शायद किसी ने ना सुना हो। मध्य प्रदेश में बसे इस प्राचीन शहर कई आश्चर्यजनक मंदिरों का घर है। खजुराहो के मंदिर अपनी बेहतरीन नक्काशी के लिए जाने जाते हैं। इन मंदिरों में दैवीय आकृतियों से लेकर कामुक कलाकृति तक देखने को मिलती है। इन मंदिरों की विशिष्ट नक्काशी ही इन्हें दुनिया भर में प्रसिद्ध बनाती है। इतना ही नहीं, यह मंदिर हिंदू धर्म और जैन धर्म सहित विभिन्न धार्मिक प्रभावों का मिश्रण भी दर्शाते हैं।
खजुराहो के बारे में यह कुछ ऐसी चीजें हैं, जिसके बारे में हर किसी को पता है, लेकिन इस ऐतिहासिक स्थान व यहां पर स्थित मंदिरों के बारे में ऐसी भी कई बातें हैं, जिनके बारे में अधिकतर लोग अनजान हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको खजुराहो से जुड़ी ऐसी ही कुछ बातों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें बारे में शायद अभी तक आपको भी ना पता हो-
अमूमन लोग यह मानते हैं कि खजुराहो में केवल हिन्दू मंदिर ही हैं, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। यहां जैन मंदिर भी हैं, जो क्षेत्र की धार्मिक विविधता को दर्शाते हैं। चंदेल शासक विभिन्न धर्मों को सम्मान देते थे। यहां पर जैन धर्म और हिंदू धर्म सदियों से शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व में थे।
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आज खजुराहो के मंदिरों को देखने के लिए पूरी दुनिया से लोग आते हैं, लेकिन एक समय था, जब यह इतिहास से ही गायब हो गया था।
खजुराहो कभी चंदेला राजवंश का एक संपन्न शहर था, लेकिन समय के साथ, यह इतिहास से गायब हो गया। इसके गायब होने का एक कारण यह रहा कि मंदिर जंगलों में काफी छिपे हुए थे। बाद में, उन्हें 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश सर्वेक्षक कैप्टन टी.एस. बर्ट द्वारा फिर से खोजा गया। उससे पहले, स्थानीय लोग मंदिरों की भव्यता को भूल चुके थे।
खजुराहो में लगभग 85 मंदिर हैं। हालांकि, उनमें से अधिकांश अब खंडहर में हैं। इन मंदिरों की विशेषता यह है कि उन्हें अलग-अलग शैलियों में बनाया गया था।
जहां कुछ मंदिरों में उत्तर भारतीय तो कुछ में दक्षिणी स्पर्श देखने को मिलता है। इन मंदिरों का निर्माण 9वीं और 12वीं शताब्दी के बीच किया गया था। इन मंदिरों को पूरे भारत के बिल्डर और आर्टिस्ट द्वारा किया गया था।
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जब आप खजुराहो के मंदिर का दौरा करते हैं तो आपको एक दिलचस्प चीज देखने को मिलती है। यहां पर नंदी की मूर्ति है, जो एक ही पत्थर से बनी है। जब आप इसके पीछे खड़े होकर बोलते हैं, तो आपकी आवाज़ लाउडस्पीकर की तरह गूंजती है। इस तरह अगर देखा जाए तो यह एक नेचुरल एम्पलीफायर की तरह काम करती है।
यूं तो खजुराहो में ज़्यादातर मंदिर शिव या विष्णु को समर्पित हैं, लेकिन यहां पर सूर्य देवता के लिए भी एक मंदिर है। खजुराहो भारत के चुनिंदा उन कुछ स्थानों में से एक है जहां सूर्य देवता की इतने विस्तृत तरीके से पूजा की जाती है। मंदिर में सूर्य को सात घोड़ों के साथ अपने रथ पर सवार देखा जा सकता है।
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