भारत में लोग आध्यात्मिक शांति को पाने के लिए कई तरह के मंदिरों का निर्माण करवाता है। यहां के हर राज्य में विभिन्न मंदिर स्थित है। इनमें से कुछ बेहद ही प्राचीन है और उनका ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक है। वहीं, कुछ अपनी आस्था और चमत्कारों के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। ये मंदिर भारतीय संस्कृति और जीवन शैली की विविधता को दर्शाते हैं। भारत में मंदिर वास्तुकला ने हमेशा अनुभव, स्थान और समय का प्रतिनिधित्व का किया है।
वहीं अगर खजुराहो की बात की जाए तो वहां पर कई मंदिर स्थित हैं। 12वीं सदी तक खजुराहो में 85 मंदिर थे। जब 13वीं शताब्दी के दौरान, मध्य भारत पर दिल्ली सल्तनत ने कब्जा कर लिया, तो कुछ मंदिरों को नष्ट कर दिया गया और बाकी को उपेक्षित छोड़ दिया गया। जिसके बाद यहां पर केवल 22 मंदिर ही बच पाए। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको खजुराहो में स्थित कुछ हिन्दू मंदिरों के बारे में बता रहे हैं-
मंदिर परिसर में देवी काली की महिला योगिनियों के 64 छोटे कक्ष हैं। इन्हीं के आधार पर मंदिर का नाम रखा गया है। हैरानी की बात यह है कि इन 64 छोटे कक्ष में से किसी पर भी कोई चित्र नहीं है। खजुराहो में यह एकमात्र मंदिर है जो पूरी तरह से ग्रेनाइट से बना है। और उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम की ओर उन्मुख है। मंदिर में कुल 65 कक्ष है, जिनमें से अब केवल 35 ही बचे हैं।
इसकी मंदिर की गिनती खजुराहो के सभी मंदिरों में सबसे बडे़ मंदिर के रूप में होती है। यह 10वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व का है और यह 109 फीट ऊंचा और 60 फीट चौड़ा है। कंदरिया मंदिर की दीवारों पर लगभग नौ सौ चित्र हैं। वहीं, मूर्तियों की ऊंचाई 2.5 फीट से 3 फीट तक है। गर्भगृह के अंदर एक संगमरमर का लिंग है, जो भगवान शिव का प्रतीक स्वरूप है।
खजुराहो में स्थित वामन मंदिर को 11वीं सदी के अंत में बनाया गया था। यह मंदिर विष्णु के बौने अवतार को समर्पित है। गर्भगृह की दीवारों पर अधिकांश प्रमुख देवी-देवता हैं। मंदिर में विष्णु अपने कई रूपों में प्रकट होते हैं। यह एक बेहद ही खूबसूरत मंदिर है, जहां आकर व्यक्ति को बहुत अधिक शांति का अहसास होता है।
खजुराहो के अधिकतर मंदिर अब केवल पर्यटक स्थल बन गए हैं, जबकि यह मंदिर अभी भी उपयोग में है। यहां पर सुबह और दोपहर में पूजा होती है। गर्भगृह में लगभग 81/2 फीट लंबा एक विशाल लिंग स्थापित है।
खजुराहो सागर के तट पर स्थित इस मंदिर के गर्भगृह के अंदर चार मुख वाली (चतुर्मुख) एक छवि है। हालांकि, यह छवि संभवतः भगवान शिव की हो सकती है, लेकिन स्थानीय उपासकों द्वारा इसे भगवान ब्रह्मा की छवि माना गया और इसलिए इस मंदिर का नाम भी ब्रह्मा मंदिर रखा गया। गर्भगृह और पश्चिम की खिड़कियों पर भगवान विष्णु की आकृतियां हैं। यह खजुराहो के कुछ मंदिरों में से एक है जो ग्रेनाइट और बलुआ पत्थर दोनों से निर्मित है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 9वीं के उत्तरार्ध या 10वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध के आसपास किया गया था।
यह मुख्य खजुराहो मंदिरों से लगभग डेढ़ मील दूर है और मूल रूप से शिव पंथ को समर्पित था। 70 फीट ऊंचे और 41 फीट चौड़े इस मंदिर में पांच कक्ष हैं। ऐसा माना जाता है कि मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी के आसपास हुआ था।
तो अब आप जब भी खजुराहो जाएं, वहां के इन मंदिरों के दर्शन अवश्य करें। साथ ही अपना एक्सपीरियंस हमारे साथ फेसबुक पेज पर शेयर करें।
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Image Credit- wikimedia
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