अरुणाचल प्रदेश! इस राज्य का नाम सुनते ही सबसे उंचे-उंचे पहाड़, खूबसूरत नज़ारे आदि की तरफ जाती है। नार्थ-ईस्ट के राज्यों में शामिल अरुणाचल के ऐसी जगह जहां हर साल लाखों सैलानी घूमने के लिए जाते हैं। चीन के करीब होने के चलते यह जगह भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण राज्य है। यहां मौजूद इमारत, महल और बौद्ध मठ पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है। इन्हीं मठ में शामिल है दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तवांग मठ जिसे तवांग मोनेस्ट्री के नाम से भी जाता है।
अक्सर, जब भी अरुणाचल प्रदेश घूमने के बारे में जिक्र होता है, तो ध्यान में सबसे पहले उठता है कि तवांग मठ किसने और कब बनवाई होगी? या फिर इतने उंचे पहाड़ों पर तवांग मठ बनाने के पीछे का लक्ष्य हो सकती है? आज इस लेख में हम आपको कुछ इसी तरह के सवालों का जवाब देने जा रहे हैं। तो आइए तवांग मठ के बारे में कुछ रोचक तथ्य जानते हैं।
इतिहास के बारे में
दुनिया के दूसरे सबसे बड़े तवांग मठ का निर्माण लगभग 1680 के आसपास मेराक लामा लोद्रे ग्यास्तो ने करवाया था। उस मसय बौद्ध धर्म में जुड़े लगभग पांच सौ से अधिक बौद्ध भिक्षु यहां रहते हैं। समुद्र तल से लगभग हज़ार फुट से भी अधिक ऊंचाई पर स्थित इस मठ में आज भी हजारों लोग घूमने के लिए आते हैं। 1962 के दौरान चीन ने इस मठ पर कुछ महीनों के लिए कब्ज़ा कर लिया था। हालांकि, बाद में चीन को यहां से पीछे हटना पड़ा था। तंवाग नदी के किनारे मौजूद होने के चलते हैं यह मठ भारत और चीन के लिए सामरिक रूप भी बेहद महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है।
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तवांग मठ से जुड़ें कुछ तथ्य
इस मठ के निर्माण के पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। किवदंती के अनुसार माना जाता है कि मरद लामा लोद्रे ग्यात्सो का घोड़ा चतरे-चरते एक स्थान पर पहुंच गया। खोज-बिन के बाद एक पहाड़ी पर उन्हें अपना घोड़ा मिला। इस संकेत को उन्होंने आशीर्वाद के रूप में चुना और इस जगह पर मठ का निर्माण करने का लक्ष्य रखा। बाद में स्थानीय लोगों की मदद से यहां मठ का निर्माण करवाया गया। इसी तरह एक अन्य किंवदंती भी घोड़े से ही प्रेरित है, जिसे ल्हासा के राजकुमार से जोड़कर देखा जाता है।(इस जगह पर सुबह 4.30 बजे ही निकल जाता है सूरज)
तवांग मठ की संरचना
प्रारंभ में इस मठ को एक छोटे से माकन के रूप में निर्माण करवाया गया था। कुछ वर्षों बाद इसे एक भव्य झोपड़ी के आकार में तब्दील कर दिया गया। यहां के हर दीवारों पर दिव्य और संतों के चित्र चित्रित किए गए हैं। यह मठ तीन मंजिला इमारत के रूप में है। इसके अंदर एक भव्य पुस्तकालय भी मौजूद है। हर मंजिल पर के दीवारों को बौद्ध प्रतीकों के साथ चित्रित करते हुए निर्माण किया गया है। इस मठ में बुद्ध की 18 फीट की एक विशाल प्रतिमा स्थापित है।
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आसपास घूमने की जगह
अरुणाचल प्रदेश में तवांग मठ के अलावा ऐसी कई बेहतरीन जगहें भी मौजूद है, जहां आप घूमने के लिए जा सकते हैं। नूरानांग जलप्रपात, गोरीचेन पीक और तवांग वॉर मेमोरियल आदि जगहों पर भी घूमने के लिए जा सकते हैं। यहां आप सुबह सात बजे से लेकर शाम सात बजे के बीच कभी भी घूमने के लिए जा सकते हैं। (अरुणाचल प्रदेश में डेस्टिनेशन्स) वांग मठ घूमने जाने का बेस्ट समय मार्च से सितंबर माना जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दुनिया का सबसे बड़ा तवांग मठ ल्हासा के पोताला महल को माना जाता है।
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