About Shri Gopinath Mandir: उत्तराखंड देश का एक प्रमुख राज्य होने के साथ-साथ एक विश्व प्रसिद्ध पर्यटन केंद्र भी माना जाता है। इसलिए यहां हर साल लाखों देशी और विदेशी पर्यटक घूमने के लिए पहुंचते रहते हैं।
उत्तराखंड सिर्फ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही नहीं, बल्कि कई पवित्र और प्रसिद्ध मंदिरों के लिए भी जाना जाता है। इसलिए उत्तराखंड को देव भूमि के नाम से भी जाना जाता है।
उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ, बद्रीनाथ और तुंगनाथ जैसे चर्चित मंदिरों के बारे में लगभग हर कोई जानता है, लेकिन गोपीनाथ मंदिर के बारे में बहुत कम लोग ही जानते होंगे, जहां भगवान शिव की पूजा गोपी के रूप में होती है।
इस आर्टिकल में हम आपको गोपीनाथ मंदिर का इतिहास और इससे जुड़ी कुछ पौराणिक कहानियों के बारे में बताने जा रहे, जहां आपको भी एक बार जरूर जाना चाहिए।
गोपीनाथ मंदिर की पौराणिक कथा के बारे में जानने से पहले आपको यह बता देते हैं कि यह मंदिर कहां है। यह पवित्र मंदिर चमोली जिले के गोपेश्वर में मौजूद हैं। कहा जाता है कि यह मंदिर बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम मार्ग का केंद्र बिंदु है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोपीनाथ मंदिर से करीब 42 किमी और बद्रीनाथ से करीब 92 किमी की दूरी पर है। इसके अलावा कर्णप्रयाग से 38 किमी और नंदप्रयाग से करीब 17 किमी की दूरी पर है।
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गोपीनाथ मंदिर पूर्ण रूप से भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। जी हां, इस पवित्र मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण 9वीं शताब्दी से लेकर 11वीं शताब्दी के बीच कत्यूरी शासकों की ओर से किया गया था।
गोपीनाथ मंदिर के लेकर कई लोगों का मानना है कि इस मंदिर में मौजूद अभिलेखों से कत्यूरी शासकों व नेपाली शासकों के इतिहास का भी संबंध है। यहां 13वीं शताब्दी से जुड़े कुछ अभिलेख भी मौजूद हैं। हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि यह मंदिर आदि काल से चमोली की धरती पर मौजूद है। (उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध शिव मंदिर)
गोपीनाथ मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा काफी रोचक है। जी हां, इस पवित्र मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह एक ऐसा शिव मंदिर है, जहां शिवलिंग की पूजा गोपी के रूप में की जाती है।
गोपीनाथ मंदिर को लेकर एक अन्य पौराणिक कथा है कि जब कामदेव ने भगवान शिव के ध्यान को भंग करने की कोशिश की थी तो शिव ने मारने के लिए जो त्रिशूल फेंका था वो इस मंदिर प्रांगण में मौजूद है। इसलिए यहां स्थित त्रिशूल को भी काफी पवित्र माना जाता है।
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गोपीनाथ मंदिर शिव भक्तों के लिए बेहद ही खास मंदिर माना जाता है। माना जाता है कि यहां भी सच्चे मन से दर्शन करने पहुंचता है, उसकी सबसे मुरादें पूरी हो जाती हैं।
शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के मौके पर स्थानीय लोगों के साथ-साथ राज्य के हर कोने से भक्त यहां पहुंचते हैं। इसके अलावा सावन में सोमवार के दिन यहां हजारों लोग गंगा जल अर्पित करने के लिए पहुंचते हैं।
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