How many shakti peeth in india: नवरात्रि का पावन त्योहार हिन्दू भक्तों के लिए बेहद ही खास माना जाता है। इस खास मौके पर माता के मंदिरों का दर्शन करना उससे भी अधिक पुण्य का काम माना जाता है।
हिन्दू मान्यता और अन्य कई पौराणिक कथा के अनुसार यह माना जाता है कि माता सती के 51 शक्तिपीठ हैं जो बेहद ही पवित्र स्थल माने जाते हैं। मान्यता के अनुसार जहां-जहां देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे, उन जगहों पर देवी के 51 शक्ति पीठ स्थित हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 51 शक्तिपीठों में से अधिकतर भारत में मौजूद है। इसके अलावा बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान और तिब्बत में भी शक्तिपीठ मौजूद हैं।
इस आर्टिकल में हम आपको माता सती के सभी शक्तिपीठों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां आप भी नवरात्रि के पावन दिनों में दर्शन करने के लिए पहुंच सकते हैं। इन शक्तिपीठों के दर्शन मात्र से सभी भक्तों की मुरादें पूरी हो जाती हैं।
कामाख्या देवी
माता सती के 51 शक्तिपीठों की चर्चा होती है, तो सबसे पहले कामाख्या देवी मंदिर का नाम जरूर लिया जाता है। यह पवित्र मंदिर असम के गुवाहाटी में मौजूद है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां माता सती की योनी गिरी थी। यहां हर साल लाखों भक्त दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।
माता कालिका पीठ
माता कालिका पीठ पश्चिम बंगाल के कोलकाता के कालीघाट में मौजूद है। कालिका पीठ के बारे में कहा जाता है कि यहां मां के बाएं पैर का अंगूठा गिरा था। नवरात्रि के मौके पर यहां हर दिन हजारों भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं।
देवगर्भ पीठ
देवगर्भ पीठ का दर्शन करने हर महीने लाखों भक्तों पहुंचते हैं। इस पीठ के को लेकर मान्यता है कि यहां माता सती की अस्थियाँ गिरी थी। इसलिए यहां देवी को देवगर्भ पीठ के नाम से जाना जाता है। यह पवित्र स्थल पश्चिम बंगाल के बीरभुम जिले में मौजूद है।
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कपालिनी पीठ
कपालिनी पीठ के बारे में कहा जाता है कि यहां माता सती की बायीं एड़ी (बयां टखना) गिरी थी। यहां माता को देवी कपालिनी के रूप में पूजा जाता है। यह पवित्र स्थल पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले में मौजूद है।
जुगाड्या पीठ
जुगाड्या पीठ पश्चिम बंगाल के वर्धनम जिले के खिरग्राम में मौजूद है। इस पीठ के बारे में बोला जाता है कि यहां माता सती के दाएं पैर का अंगूठा गिरा था। यहां हर दिन हजारों भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
मंगल चंद्रिका पीठ
मंगल चंद्रिका पीठ पश्चिम बंगाल के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार यहां माता सती की दाईं कलाई गिरी थी। यहां पीठ पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले में उज्जनि में मौजूद है।
महिषमर्दिनी पीठ
महिषमर्दिनी पीठ मां के 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस पीठ के बारे में कहा जाता है कि इस स्थान पर मां के भौंहों के बीच का सिर का भाग गिरा था, इसलिए इसे महिषमर्दिनी पीठ के नाम से जाना जाता है। यह पीठ भी पश्चिम बंगाल में मौजूद है।
भ्रामरी देवी पीठ
भ्रामरी देवी पीठ नॉर्थ ईस्ट इंडिया का एक पवित्र मंदिर माना जाता है। मान्यता है कि यहां माता का बायां पैर गिरा था। इसलिए यहां माता सती भ्रामरी के रूप में पूजी जाती है। यह पवित्र स्थल जलपाईगुड़ी में मौजूद है।
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फुल्लरा पीठ
फुल्लरा पीठ पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में मौजूद है। इस पीठ के बारे में कहा जाता है कि यहां माता का निचला होंठ गिरा था। यहां माता को फुल्लरा के रूप में पूजा की जाती है। नवरात्रि के मौके पर यहां लाखों भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
बाहुला पीठ
बाहुला पीठ पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले में मौजूद है। इस पीठ को लेकर मान्यता है कि यहां माता सती के बायां हाथ गिरा था। नवरात्रि के मौके पर यहां लाखों भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
अवंति पीठ
अवंति पीठ के बारे में कहा जाता है कि इस स्थान पर मां सती का ऊपरी होंठ गिरा था। यह पवित्र स्थल मध्य प्रदेश के उज्जयिनी में क्षिप्रा नदी के तट के किनारे मौजूद है। नवरात्रि में यहां भक्तों की खूब भीड़ होती है।
नंदिनी पीठ
देश भर में मां सती की नंदिनी रूप का पूजा-पता बड़े ही धूम-धाम से होता है। नंदिनी पीठ पश्चिम बंगाल में मौजूद है। नंदनी पीठ के बारे में कहा जाता है कि यहां देवी सती के गले का हार गिरा था।
देवी उमा शक्तिपीठ
देवी उमा पीठ, माता सती के पवित्र शक्तिपीठों में में एक माना जाता है। यह पवित्र स्थान भारत-नेपाल बॉर्डर पर मौजूद है। कहा जाता है कि इस स्थान पर मां सती का बायां कंधा गिरा था।
देवी कुमारी पीठ
देवी कुमारी पीठ, देश के पश्चिम बंगाल में रत्नाकर नदी के तट पर स्थित है। इस पीठ के बारे में कहा जाता है कि यहां माता का दायां कंधा गिरा था। नवरात्रि में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ जाती हैं।
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