Famous Krishna Temples In South India: होली पूरे भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार माना जाता है। इस साल पूरे देश में 13 मार्च को छोटी होली और 14 मार्च को बड़ी होली का त्योहार मनाया जाएगा।
होली भारतवासियों के लिए एक ऐसा त्योहार होता है, जब देश के हर हिस्से में रंग और गुलाल ही गुलाल दिखाई देता है। होली के पावन अवसर के मौके पर कई लोग भगवान कृष्ण की नगरी यानी वृंदावन में कृष्ण जी का दर्शन और घूमने करने के लिए पहुंचते हैं।
मथुरा में वृंदावन के अलावा, देश में ऐसे कई प्रसिद्ध और पवित्र कृष्ण मंदिर मौजूद हैं, जहां भी होली के मौके पर हजारों की संख्या में लोग घूमने और होली खेलने के लिए पहुंचते हैं।
दक्षिण भारत में स्थित राजगोपालस्वामी भी एक ऐसा मंदिर है, जहां होली के मौके पर हजारों की संख्या में लोग घूमने और होली सेलिब्रेट करने के लिए पहुंचते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको राजगोपालस्वामी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं।
राजगोपालस्वामी मंदिर कहां है? (Where Is Rajagopalaswamy Temple)
राजगोपालस्वामी मंदिर की खासियत जानने से पहले आपको यह बता दें कि राजगोपालस्वामी दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु के मन्नारगुडी जिले में स्थित है। यह प्रसिद्ध मंदिर पूर्व रूप से भगवान कृष्ण को समर्पित है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि राजगोपालस्वामी मंदिर तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से करीब 319 किमी है। इसके अलावा, यह मंदिर पुदुकोट्टई से करीब 97 किमी, तंजावूर से करीब 39 किमी और कुंभकोणम से महज 37 किमी की दूरी पर स्थित है।
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राजगोपालस्वामी मंदिर का इतिहास (Rajagopalaswamy Temple History)
राजगोपालस्वामी मंदिर का इतिहास काफी पुराना माना जाता है। इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि 10वीं शताब्दी में चोल वंश द्वारा इस मंदिर की स्थापना की गई थी। कई लोगों का मानना है कि कुलोथुंगा चोल प्रथम 10 वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण करवाया था। कुछ लोगों का मानना है कि इसका निर्माण 11-12वीं शताब्दी के आसपास में हुआ था।
राजगोपालस्वामी मंदिर के इतिहास को लेकर अन्य मत है कि मंदिर निर्माण के कई वर्षों बाद तंजावुर के नायकों ने मंदिर के विस्तार में महत्वपूर्ण कार्य किया था। इसके बाद होयसल और विजयनगर राजाओं भी विस्तार किया गया था।
दक्षिण का द्वारका के नाम से है प्रसिद्ध
राजगोपालस्वामी मंदिर को सिर्फ तमिलनाडु ही नहीं बल्कि, पूरे दक्षिण भारत का एक पवित्र और प्रसिद्ध माना जाता है। राजगोपालस्वामी मंदिर को 'दक्षिणी द्वारका' के नाम से भी जाना जाता है।
राजगोपालस्वामी मंदिर को कई लोग भगवान कृष्ण को समर्पित एक प्रसिद्ध वैष्णव मंदिर भी मानते हैं। स्थानीय लोगों के लिए यह मंदिर काफी पवित्र माना जाता है। कहा जाता है कि यहां जो ही सच्चे मंदिर से दर्शन करने के लिए पहुंचता है, उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं।
राजगोपालस्वामी मंदिर की वास्तुकला
राजगोपालस्वामी मंदिर की वास्तुकला की भक्तों को खूब आकर्षित करती है। यह प्रसिद्ध मंदिर करीब 23 एकड़ में फैला हुआ है। कहा जाता है कि इस मंदिर का सबसे ऊंचा टॉवर करीब 154 फीट है।
राजगोपालस्वामी मंदिर की लगभग सभी दीवारों में चित्रकारी का बेहतरीन नमूना देखा जाता है, जो द्रविड़ शैली में निर्मित है। इस मंदिर में चोल और नायक वास्तुकला के नमूने भी देखे जा सकते हैं।
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होली पर लगती है भीड़
होली के शुभ मौके पर राजगोपालस्वामी मंदिर का दर्शन करने देश के हर कोने से भक्त पहंचते हैं। यहां मार्च-अप्रैल के बीच में रथ उत्सव का आयोजन होता है। रथ उत्सव के मौके पर लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं।
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