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अजीब है इन मंदिरों की परंपरा, जहां प्रसाद में कोई चढ़ाता है वाइन तो कोई हवाई जहाज

सच में अजीब है इन मंदिरों की परंपरा जहां भगवान से अपनी मनोकामना पूरी कराने के लिए कोई चढ़ाता है वाइन तो कोई हवाई जहाज।
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2018-02-23, 19:53 IST

सच में अजीब है इन मंदिरों की परंपरा जहां भगवान से अपनी मनोकामना पूरी कराने के लिए कोई चढ़ाता है वाइन तो कोई हवाई जहाज। 

इंडिया कई सदियों से अपनी परंपराओं के लिए पूरे विश्व में जाना जाता रहा है। खासतौर पर यहां के मंदिरों से जुड़ी परंपराओं के लिए इंडिया की पूरे विश्व में अलग ही पहचान है लेकिन कुछ मंदिर ऐसे हैं जहां की परंपरा आपको हैरानी में डाल देती हैं। आपने भी कई मंदिरों में पारंपरिक चढ़ावे चढ़ाए ही होंगे लेकिन क्या आप जानती हैं कि देश के कई मंदिरों में चढ़ावे के तौर पर कई दिलचस्प चीजों का इस्तेमाल किया जाता है? 

कामाख्या देवी मंदिर 

असम के गुवाहाटी में मौजूद कामाख्या मंदिर की कहानी बेहद ही दिलचस्प है। जून में होने वाले अंबुबाची मेला (Ambubachi Mela) से पहले तीन दिन इस मंदिर को बंद रखा जाता हैं और चौथे दिन इस मंदिर का द्वार भक्तों के लिए खोला जाता हैं। 

इस मंदिर में देवी के मौजूदगी वाले छोटे कपड़ों को श्रद्धालुओं को प्रसाद के तौर पर बांटा जाता है। आपको बता दें कि इस फेस्टिवल के दौरान कामाख्या देवी के दर्शन के लिए हजारों भक्तों की भीड़ लगी रहती है। 

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अलागर मंदिर  

मदुरई में स्थित अलागर मंदिर भगवान विष्णु का है और इस मंदिर का असली नाम कालास्हागर था। इस मंदिर में लोग भगवान विष्णु को डोसा चढ़ाते हैं और इस डोसे का सबसे पहले भोग भगवान विष्णु को लगाया जाता है। बाकी डोसा भगवान विष्णु के दर्शन करने आए भक्तों में प्रसाद के तौर पर बांट दिया जाता है।

कर्नी माता मंदिर

राजस्थान में स्थित कर्नी माता मंदिर में 20,000 काले चूहे रहते हैं जिन्हें पवित्र माना जाता हैं। भक्तों द्वारा लाए गए प्रसाद और चढ़ावे को भी इन चूहों को खिलाया जाता हैं। यहां आने वाले भक्तों को चूहों के थूक से सना प्रसाद दिया जाता हैं। ऐसा लोग मानते हैं कि इस प्रसाद के सेवन से जीवन में सुख और समृद्धि आती है। 

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चाइनीज़ काली मंदिर 

कोलकाता में मौजूद चाइनीज़ काली मंदिर को यूं ही चाइनीज़ काली मंदिर नहीं कहा जाता हैं दरअसल चाइनाटाउन के लोग इस मंदिर में काली मां की पूजा करने आते थे तब से इस मंदिर का नाम चाइनीज काली मंदिर पड़ गया। पारंपरिक मीठे की जगह यहां काली मां को नूडल्स का चढ़ावा चढ़ता है। 

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शहीद बाबा निहाल सिंह गुरुद्वारा 

जालंधर में स्थित शहीद बाबा निहाल सिंह गुरुद्वारे को लोग ‘हवाई जहाज गुरुद्वारे’ के तौर पर भी जानते हैं। दरअसल यहां आने वाले श्रद्धालु खिलौने वाले हवाई जहाज को चढ़ावे के तौर पर इस्तेमाल करते हैं क्योंकि उनका मानना है कि इस चढ़ावे को चढ़ाने से उनके वीजा अप्रूवल में परेशानी नहीं आती है और उनका विदेश जाने का सपना पूरा होता है। 

यही वजह हैं कि इस गुरुद्वारे के बाहर आपको कई दुकानों में खिलौने वाले विमान नजर आ जाएंगे।

मुरुगन मंदिर

तमिलनाडु के पलानी हिल्स में स्थित यह मंदिर अपने अलग तरीके के प्रसाद के लिए जाना जाता हैं। यहां प्रसाद के तौर पर कोई पारंपरिक मिष्ठान नहीं बल्कि गुड़ और शुगर कैंडी से बने जैम का इस्तेमाल किया जाता हैं। इस पवित्र जैम को पंच अमृतम कहा जाता हैं। इस मंदिर के पास में ही एक प्लांट भी स्थित है जहां इस जैम को तैयार किया जाता है। 

पनाकला नरसिम्हा मंदिर 

आंध्र प्रदेश के इस मंदिर में भगवान विष्णु की एक प्रतिमा नरसिंह के अवतार में स्थित हैं प्राचीन परंपरा के तहत इस प्रतिमा के मुंह में गुड़ का पानी भरा जाता हैं और ऐसा माना जाता हैं कि पेट भर जाने की स्थिति में मूर्ति के मुंह से आधा पानी बाहर आने लगता हैं और इसी पानी को फिर श्रद्धालुओं में प्रसाद के तौर पर बांटा जाता है।

काल भैरव नाथ मंदिर

उज्जैन शहर के प्रमुख देवताओं में शुमार काल भैरव नाथ पर रोज वाइन की बोतलें चढ़ाई जाती हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां आने वाले भक्तों को प्रसाद के तौर पर भी वाइन की बोतलें मिलती हैं। मंदिर के बाहर पूरे साल अलग-अलग तरह की वाइन की दुकानें खुली रहती हैं इस मंदिर का निर्माण मराठा काल में हुआ था।

 

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