23 मार्च तक करा सकती हैं कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन

21 फरवरी, बुधवार से विदेश मंत्रालय ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू होने की घोषणा कर दी। इस साल यह यात्रा दो पारंपरिक मार्गों सिक्किम के नाथू ला दर्रा और उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रा से की जाएगी।

Kailash Mansarovar yatra

21 फरवरी, बुधवार से विदेश मंत्रालय ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू होने की घोषणा कर दी। इस साल यह यात्रा दो पारंपरिक मार्गों सिक्किम के नाथू ला दर्रा और उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रा से की जाएगी। यह घोषणा ऐसे समय की गई है जब चीन ने कहा है कि वह यात्रा के लिए नाथू ला दर्रे का इस्तेमाल करने की अनुमति देगा।

यहां आपको बता दें कि पिछले साल डोकलाम विवाद की वजह से इस मार्ग को ब्लॉक कर दिया गया था।

विदेश मंत्रालय ने इस बात की घोषणा करते हुए बताया कि रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया 23 मार्च तक चलेगी। साथ ही बताया कि इस साल कैलाश मानसरोवर की यात्रा 8 जून से शुरू होकर 8 सितंबर तक चलेगी। इस यात्रा के आवेदकों को 1 जनवरी 2018 तक कम से कम 18 वर्ष का और अधिक से अधिक 70 वर्ष का होना चाहिए।

Kailash Mansarovar yatra inside

लखनपुर से नजंग तक सफर के लिए हेलीकॉप्टर ही विकल्प

इस घोषणा के बाद खबर मिली कि कैलाश मानसरोवर यात्रा पैदल मार्ग पर लखनपुर से नजंग तक 6 किमी हिस्सा बुरी तरह टूट गया है। सीमा सड़क संगठन की ओर से सड़क निर्माण के दौरान भूस्खलन होने से यह स्थिति आई है।

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ऐसे में इस बार कैलाश यात्रियों के लिए हेलीकॉप्टर ही एकमात्र विकल्प बच गया है। गर्मियों में वापस गांवों की ओर जाने वाले सीमांत के लोगों को भी नेपाल से होते हुए निकलना पड़ेगा।

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कैलाश यात्रा मार्ग की इस स्थिति पर सोच-विचार करने के लिए एसडीएम एसके पांडे ने सीमा सड़क संगठन के कमांडिंग अफसर, विभागीय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक की। सीमा सड़क संगठन के कमांडिंग अफसर मेजर रोहित ने बताया कि लखनपुर के पास हुए भूस्खलन के कारण सड़क निर्माण कार्य में रुकावट आई है। 4 अप्रैल तक नजंगगाड़ तक सड़क पहुंचाने के लक्ष्य को धक्का लगा है हालांकि संपर्क मार्ग बनाने का कार्य जारी है। बैठक में यह तय हुआ कि लखनपुर और नजंग के बीच दो पुल लोक निर्माण विभाग बनाएगा।

साथ ही उन्होंने बताया कि लोग जानमाल की सुरक्षा के लिए जून तक लखनपुर से नजंग तक के पैदल मार्ग का उपयोग नहीं करेंगे तो बेहतर होगा।

लखनपुर से नजंग के बीच अप्रैल तक मार्ग को घोड़े और खच्चरों लायक बन पाना संभव नहीं है। ऐसे में अप्रैल में उन ग्रामीणों को जो जाड़ों में नीचे उतर आते हैं गांव वापस जाने में दिक्कतें होंगी। जून से होने वाले भारत-चीन व्यापार भी प्रभावित होगा। ये लोग नेपाल के रास्ते नजंग तक पहुंचाए जा सकते हैं।

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