सोनपुर मेले में हाथी से लेकर सुई तक बिकती है, 32 दिनों तक चलता है यह मेला

सोनपुर मेला इंडिया का ऐसा मेला है जहां सुई से लेकर हाथी तक सब मिलता है। 

sonepur mela bihar

सोनपुर मेला इंडिया का ऐसा मेला है जहां सुई से लेकर हाथी तक सब मिलता है। 32 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेले की बुधवार से शुरुआत हो गई। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने मेले का उद्घाटन किया।

बिहार के सारण जिले के सोनपुर में 32 दिनों तक लगने वाला विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला शायद दुनिया का एकमात्र ऐसा मेला है, जहां खरीद-बिक्री के लिए सुई से लेकर हाथी तक उपलब्ध होते हैं। मोक्षदायिनी गंगा और गंडक नदी के संगम पर ऐतिहासिक, धार्मिक और पौराणिक महत्व वाले सोनपुर क्षेत्र में लगने वाला सोनपुर मेला प्रत्येक वर्ष कार्तिक महीने से शुरू होकर 32 दिनों तक चलता है।

प्राचीनकाल से लगने वाले इस मेले का स्वरूप कलांतर में भले ही कुछ बदला हो लेकिन इसकी महत्ता आज भी वही है। यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष लाखों देशी और विदेशी पर्यटक यहां पहुंचते हैं। सरकार भी इस मेले की महत्ता बरकरार रखने को लेकर हरसंभव प्रयास में लगी है।

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सोनपुर मेले की खासियत

टूरिस्ट्स के रहने के लिए इस साल मेला परिसर में 20 स्विस कॉटेज बनाए गए हैं जिसमें अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। बिहार पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक डॉ़ हरेंद्र प्रसाद ने मंगलवार को बताया, "21 नवंबर से प्रारंभ होने वाले सोनपुर मेला इस वर्ष 22 दिसंबर तक चलेगा।“

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सोनपुर मेले से जुड़ी कहानी

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह स्थल 'गजेंद्र मोक्ष स्थल' के रूप में भी चर्चित है। ऐसी मान्यता है कि भगवान के दो भक्त हाथी (गज) और मगरमच्छ (ग्राह) के रूप में धरती पर उत्पन्न हुए। कोणाहारा घाट पर जब गज पानी पीने आया तो उसे ग्राह ने मुंह में जकड़ लिया और दोनों में युद्ध प्रारंभ हो गई। कई दिनों तक युद्ध चलता रहा। इस बीच गज जब कमजोर पड़ने लगा तो उसने भगवान विष्णु की प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुदर्शन चक्र चलाकर दोनों के युद्ध को समाप्त कराया।

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इस स्थान पर दो जानवरों का युद्ध हुआ था, इस कारण यहां पशु की खरीदारी को शुभ माना जाता है। इसी स्थान पर हरि (विष्णु) और हर (शिव) का हरिहर मंदिर भी है जहां प्रतिदिन सैकड़ों भक्त श्रद्धा से पहुंचते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण स्वयं भगवान राम ने सीता स्वयंवर में जाते समय किया था।

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