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कुतुब मीनार का दरवाजा क्यों नहीं खोला जाता है? जानिए फैक्ट्स

आपने कई बार कुतुब मीनार देखी होगी, लेकिन क्या आपको इसके दरवाजे से जुड़ा हुआ ये रहस्य पता है।  
Editorial
Updated:- 2023-01-11, 21:08 IST

यह तो हम सभी को पता है कि ईंट की बनी कुतुब मीनार दुनिया की सबसे ऊंची इमारत है, जो ऐतिहासिक इंडो-इस्लामिक आर्किटेक्चर का बेहतरीन नमूना है। मगर इसको लेकर आए दिन कई तरह के रहस्य या विवाद चलते रहते हैं, जिसके बारे में जानने के लिए तमाम लोग काफी इच्छुक रहते हैं जैसे कि इसका नाम कुतुब मीनार कैसे रखा?

हालांकि, इसको लेकर कई इतिहासकारों में विवाद है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसका नाम कुतुबुद्दीन ऐबक के नाम पर पड़ा, जो भारत के पहले मुस्लिम शासक थे। वहीं, कुछ और इतिहासकार मानते हैं किसका नाम ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के सम्मान में कुतुब मीनार पड़ा, जो बगदाद के एक संत थे और जिन्हें इल्तुतमिश बहुत ज्यादा सम्मान देते थे।

बरहाल इसकी खूबसूरत के लोग इतने दीवाने हैं कि आज भी लोगों को उतना ही प्रभावित करती है, जितना अपने शुरूआती दौर में थी। कुतुब मीनार के आसपास भी कई ऐतिहासिक और भव्य इमारते भी स्थित हैं। यह जगह यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में शुमार है।

मगर जब भी हम कुतुब मीनार जाते हैं तो यकीनन हमारे दिमाग में यह सवाल जरूर आता है कि कुतुब मीनार का दरवाजा आखिर क्यों बंद है। अगर आप भी यही सोच रहे हैं, तो यकीनन इस लेख को पूरा पढ़ना चाहिए।

कुतुब मीनार का इतिहास

qutub minar facts

कुतुब मीनार का निर्माण 1199 से 1220 के दौरान हुआ था। इसे बनाने की शुरुआत कुतुबुद्दीन-ऐबक ने की थी, जिसे बाद में उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने पूरा किया था। हालांकि, तब कुतुब मीनार का दरवाजा खुला था, जिसे देखने के लिए लोग अंदर जाते थे।

मगर कुछ समय बाद इसके अंदर लोगों का आना-जाना बंद हो गया था, जिसके पीछे की कई वजहे थीं। हालांकि, कुतुब मीनार के आसपास कई चीजों को भी बनाया गया है जैसे- कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद, अलाई दरवाजा, इल्तुतमिश की कब्र, अलाई मीनार, अलाउद्दीन का मदरसा और कब्र, इमाम जमीन की कब्र और सेंडरसन का सन डायल आदि।

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कुतुब मीनार के बारे में जानिए

history of qutub minar

कुतुब मीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर है। इसमें लगभग 379 सीढ़ियां हैं, जो हमें मीनार के शिखर तक पहुंचती हैं। नीचे से यह इमारत 14.32 मीटर है, जो ऊपर से 2.75 मीटर है। इस इमारत की कला इतनी खूबसूरत है कि लोग दूर-दूर से निहारने आते हैं।

साथ ही, यहां आपको कुतुब कॉम्प्लेक्स के ऊपर 10 मिनट की फिल्म दिखाई जाती है। इस फिल्म में इमारतों के बारे में कई दिलचस्प बातें जानने को मिलती हैं।

क्या है बंद दरवाजे के पीछे का रहस्य

बात सन 1974 की है, जब कुतुब मीनार में आम लोगों की एंट्री हुआ करती थी। 4 दिसंबर 1981 में लोगों के साथ एक भयानक हादसा हुआ, जिसके बाद अंदर भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में लगभग 45 लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद कुतुब मीनार का दरवाजा बंद कर दिया गया था। (वेस्ट दिल्ली की ये जगहें घूमने के लिए हैं एकदम बेस्ट)

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कुतुब मीनार के द्वार को क्या कहा जाता है?

History of qutub minar in hindi

कुतुब मीनार पर बने दरवाजे का एक नाम भी है, जिसे अलाई द्वार भी कहा जाता है। अलाई दरवाजा, कुतुब मीनार का प्रवेश द्वार दिल्ली सल्तनतके अला-उददीन खिलजी द्वारा निर्मित किया गया था। इस दरवाजे से कुतुब परिसर के तमाम परिसर जोड़े गए हैं, जिसे अंदर जाकर हम तमाम चीजें देख सकते हैं।

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