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बड़े से बड़े जहाज को अपनी तरफ खींच लेता था ये अद्भुत मंदिर, जानें रहस्य

भारत में एक ऐसा मंदिर था जो बड़े से बड़े जहाज को अपनी ओर खींच लेता था। आइये आपको मंदिर और इसके रहस्य के बारे में बताते हैं। 
Editorial
Updated:- 2021-04-23, 18:44 IST

विश्वभर में भारत अपनी प्राकृतिक और सांस्कृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। यहां कई ऐसे मनमोहक और अविश्वनीय स्थान हैं, जिन्हें देखने लोग दूर-दूर से आते हैं। भारत को रहस्यों से भरा माना जाता है। यहां कई ऐसे मंदिर हैं जो काफी रहस्यमय हैं। इनकी अद्भुत शक्ति के बारे में जानकर हर कोई हैरान रह जाता है। आज के आर्टिकल के हम आपको एक ऐसे अद्धुत मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसकी तरफ बड़े से बड़ा जहाज खिंचा चला आता था।

यह कोणार्क का सूर्य मंदिर है। यह अद्धभुत मंदिर उड़ीसा में जगन्नाथपुरी से उत्तर-पूर्व में कोणार्क शहर में स्थित है। यह मंदिर अपनी दैवीय शक्ति और आस्था के लिए जाना जाता है। इस मंदिर में कई ऐसी चीजें हैं जिन्हें देखने के लिए लोग विश्वभर से यहां आते हैं।

यूनेस्कों ने विश्व धरोहर किया घोषित

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कोणार्क का सूर्य मंदिर मध्यकालीन वास्तुकला का अनोखा नमूना है। 1984 में यूनेस्कों ने इस मंदिर को विश्व धरोहर घोषित किया था। इस मंदिर के गर्भगृह में सूर्य भगवान की मूर्ति स्थापित है। कहा जाता है कि भाग्यशाली लोगों को ही सूर्य भगवानके दर्शन करने का सौभाग्य मिलता है। कहा जाता है कि इस मंदिर मे 52 टन का चुंबक लगा हुआ था।

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मंदिर की ओर खींचे आते थे जहाज

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पौराणिक कथाओं के अनुसार, कोणार्क मंदिर में 52 टन का चुंबक लगा था। ऐसा माना जाता है कि ये विशालकाय चुंबक समुद्र की कठिनाइयों को कम करता था। यही वजह है कि यह मंदिर समुद्र के किनारे दशकों से खड़ा हुआ है। कहा जाता है कि एक समय विशालकाय चुंबक को अन्य चुंबकों के साथ इस तरह सजाया था कि मंदिर की मूर्ति हवा में तैरती दिखाई देती थी।

अंग्रेजों ने मंदिर से निकलवाई विशालकाय चुंबक

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वहीं, आधुनिक काल में मंदिर की चुंबक समस्या बनने लगी। मंदिर की विशालकाय चुंबक की शक्ति इतनी तेज थी कि मंदिर की तरफ पानी के जहाज खींचने लगते थे। जब अंग्रेजों को व्यापार में नुकसान होने लगा तो उन्होंने मंदिर की विशालकाय चुंबक को निकाल दिया था।

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चुंबक निकलते ही मंदिर का बिगड़ा संतुलन

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कोणार्क का सूर्य मंदिर चुंबकीय व्यवस्था के अनुरूप ही बनाया गया था। इस मंदिर से विशालकाय चुंबक के निकलने के बाद मंदिर का संतुलन बिगड़ गया और मंदिर की कई दीवारें गिर गई।

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