कई बार प्रकृति अपना ऐसा रंग दिखाती है कि हम सब चौंक जाते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ है महाराष्ट्र की लोनार झील के साथ। रातों-रात इस झील का पानी गुलाबी हो गया। अब तो ये गुलाबी झील ट्विटर ट्रेंड भी बन चुकी है। यहां के स्थानीय लोग भी इस घटना के बाद सकते में आ गए और अब वैज्ञानिक उन कारणों का पता लगाने में जुटे हुए हैं कि आखिर इस झील के पानी ने अपना रंग कैसे बदल लिया। पानी का तो कोई रंग नहीं होता फिर कैसे ये बदलकर गुलाबी दिखने लगा।
आपने ऑस्ट्रेलिया की पिंक झील के बारे में सुना है? वहां दूर-दूर से लोग सिर्फ उस झील को देखने आते हैं और वो एक अंतरराष्ट्रीय टूरिस्ट डेस्टिनेशन बन चुका है। तो अब आपको गुलाबी झील देखने के लिए ऑस्ट्रेलिया जाने की जरूरत नहीं है, महाराष्ट्र में ही वो देखने को मिल जाएगी। हां, ये कब तक गुलाबी रहेगी इसके बारे में तो वैज्ञानिक भी शोध कर रहे हैं।
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50 हज़ार साल पहले बनी थी ये झील-
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस प्राकृतिक झील की उम्र 50 हज़ार साल है। एक उल्कापिंड के पृथ्वी पर गिरने की वजह से ये झील बनी है। इस झील के बारे में पहले ये अनुमान लगाया गया था कि ये ज्वालामुखी का क्रेटर है, लेकिन बाद में ये साबित हुआ कि ये खारे पानी की झील उल्कापिंड के गिरने से बनी है। हालांकि, 2010 में हुई एक स्टडी कहती है कि इस झील की उम्र 50 हज़ार साल से भी ज्यादा पुरानी हो सकती है।
Smithsonian Institution, United States Geological Survey, Geological Survey of India जैसी सभी संस्थाओं ने इस साइट पर रिसर्च की है।
#LonarLake currently. Wonders of the nature. @YaleBlueGreen @YaleFES @YaleE360
— Suman Rawat Chandra, IAS (@oiseaulibre3) June 10, 2020
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चांद के पत्थरों जैसे मिनरल हैं मौजूद-
आपको ये जानकर बहुत आश्चर्य होगा कि IIT बॉम्बे की एक स्टडी में पाया गया है कि जो मिट्टी इस तालाब में मौजूद है उसके मिनरल काफी हद तक उन पत्थरों से मेल खाते हैं जो अपोलो प्रोग्राम के तहत पृथ्वी पर वापस लाए गए थे। अब ये यकीनन अनोखा फैक्ट है।
कहां मौजूद है लोनार झील-
मुंबई से 500 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र के बुल्ढाना जिले में ये झील मौजूद है। ये महाराष्ट्र के लोकप्रिय टूरिस्ट स्पॉट्स में से एक है।
पहली बार नहीं बदला है पानी का रंग-
एक्सपर्ट्स की मानें तो पहली बार इस पानी का रंग नहीं बदला है बल्कि ये पहले भी हुआ है। इस बार ये बहुत ज्यादा गुलाबी हो गया है। शुरुआती जांच में एक्सपर्ट्स अंदाज़ा लगा रहे हैं कि इस पानी के खारेपन और इसमें मौजूद काई और शैवाल की वजह से ऐसा बदलाव आया है।
इस झील का डायामीटर लगभग 1.2 किलोमीटर का है और ये अब प्राकृतिक बदलाव का एक अनूठा उदाहरण बन गई है।
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बहुत खास है ये झील-
लोनार झील बहुत खास है क्योंकि इसे नेशनल जियो हेरिटेज मॉन्युमेंट भी घोषित किया गया है। इसके खारे पानी का pH लेवल 10.5 है। PTI से बात करते हुए लोनार लेक कंसर्वेशन एंड डेवलपमेंट कमेटी के मेंबर गजानन करात ने बताया कि लोनार झील की सतह से 1 मीटन नीचे कोई ऑक्सीजन नहीं है। ईरान की एक झील का पानी लाल हो जाता है और वो भी इसी तरह का खारा पानी है।
अभी इसके पानी के रंग को लेकर कई थ्योरी सामने आ रही हैं, लेकिन जब तक कोई ठोस रिसर्च सामने नहीं आती तब तक किसी पर भी पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जा सकता है।
तो अब कोरोना वायरस लॉकडाउन खत्म होने और चीज़ें सामान्य होने पर अगर आप महाराष्ट्र घूमने का प्लान बना रही हैं तो एक बार लोनार झील की ट्रिप भी प्लान कर लीजिए। ये बहुत ही खूबसूरत झील है और आपको यहां की सैर कर बहुत अच्छा लगेगा।
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