राजस्थान एक ऐसा राज्य है, जो अपने समृद्ध इतिहास के कारण बेहद ही प्रसिद्ध है। इस राज्य में कई शासकों का राज रहा है और यही कारण है कि इस राज्य में कई महत्वपूर्ण किले व इमारतें हैं। राजस्थान की इस विरासत को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं, फिर चाहे बात आमेर का किला हो या चित्तौड़गढ़ का दुर्ग या सिटी पैलेस। राजस्थान में स्थित ये किले, महल व दुर्ग व दुनियाभर में आकर्षण का केन्द्र हैं।
इन्हीं किलों में से एक है बाला किला। बाला किला राजस्थान के अलवर में स्थित है और इसलिए इसे अलवर का किला भी कहा जाता है। इस किले की एक खासियत यह भी है कि यह अलवर शहर की एक पहाड़ी पर स्थित है और सबसे पुरानी इमारत है। पहाड़ी पर स्थित होने के कारण यहां से शहर का बेहद ही खूबसूरत नजारा भी दिखाई देता है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको अलवर के किले या बाला किले के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं-
एक नहीं, कई नामों से है प्रसिद्ध
यूं तो इस किले का प्रमुख नाम बाला किला है। लेकिन यह सिर्फ इसी एक नाम से प्रसिद्ध नहीं है। बल्कि अधिकतर लोग इसे अलवर के किले के नाम से भी जानते हैं। यूं तो इस किले का निर्माण 1492 में किया गया था, लेकिन बाद में राजा प्रताप सिंह ने अलवर की स्थापना की और इस किले को भी अलवर के किले के नाम से जाना जाने लगा। इतना ही नहीं, इस किले का एक अन्य नाम कुंवारा किला भी है। इस किले को यह दिलचस्प इसलिए मिला, क्योंकि इतिहास में इस किले पर कभी युद्ध नहीं हुआ।(बोरिंग लाइफ से बाहर निकलने के लिए घूमें नीमराना)
बाला किले का इतिहास
बाला किले का इतिहास बेहद ही समृद्ध है। यहां तक कि अलवर शहर बनने से पहले ही इस किले का निर्माण हो चुका था, इसलिए इसे अलवर में बेहद ही महत्वपूर्ण किला माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस किले का निर्माण हसन खान मेवाती ने 1551 ईस्वी में किया था। इस किले पर मुगलों के अलावा मराठों और जाटों का भी शासन रहा था। बाद में कच्छवाहा राजपूत प्रताप सिंह ने इस किले पर कब्जा कर लिया और उन्होंने की 1775 में इसके निकट अलवर शहर की स्थापना की।(मुगल बादशाह अकबर ने शहजादे सलीम को 3 साल के लिए अलवर किले में भेजा)
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बाला किले की वास्तुकला
अगर बाला किले की वास्तुकला की बात की जाए तो यह भी बेहद अद्भुत है, क्योंकि इसे कई शैलियों के मिश्रण से तैयार किया गया है। यह किला लगभग 5 किलोमीटर की दूरी तक फैला हुआ है। इस किले में 6 प्रवेश द्वार हैं, जिन्हें पोल कहा जाता है। इन प्रवेश की एक खासियत भी है कि इनका नाम शासकों के नाम पर रखा गया है- चांद पोल, सूरज पोल, कृष्ण पोल, लक्ष्मण पोल, अंधेरी गेट और जय पोल। किले की दीवारों पर सुंदर मूर्तियां उभरी हुई है, जो इस किले को और भी खास बनाती हैं।
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किले की अन्य खासियतें
ऐसी कई चीजें हैं, जो इस किले को अन्य कई किलों से अलग बनाती हैं। मसलन, यह किला समुद्र तल से 1960 फुट की ऊंचाई पर है और पहाड़ी पर स्थित है, जिसके कारण यहां से शहर का बेहद ही अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। इस महल को मुख्य रूप से दुश्मनों पर गोली चलाने के लिए डिजाइन करवाया गया था। यही कारण है कि इस किले में बंदूकें चलाने के लिए करीबन 500 छिद्र हैं। इतना ही नहीं, किले में दुश्मनों पर पैनी नजर बनाए रखने के लिए लगभग 15 बड़े टॉवर और 51 छोटे टॉवर को तैयार करवाया गया।
तो अब आप जब भी अलवर जाएं तो इस सुप्रसिद्ध किले को अवश्य देखें और अपने एक्सपीरियंस हमारे साथ फेसबुक पेज के कमेंट सेक्शन में अवश्य शेयर कीजिएगा।
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Image Credit- Wikimedia, gosahin
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