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Shivratri 2021: जानिए क्यों प्रसिद्ध है किन्नर कैलाश, 79 फिट के शिवलिंग का बदलता रहता है रंग

किन्नर कैलाश शिवलिंग के दर्शन करना आसान नहीं है। 79 फिट के रंग बदलने वाले शिवलिंग को देखने के लिए आपको ऐसी तैयारियां करनी होंगी।
Editorial
Updated:- 2021-03-03, 14:34 IST

हिमालय की बर्फीली चोटियों में कई ऐसे देव स्थान छुपे हैं जिनकी धार्मिक मान्यताएं बहुत हैं। ऐसा ही एक स्थान है हिमाचल में मौजूद किन्नर कैलाश पर्वत जो किन्नौर जिले में स्थित है। शिवरात्रि 2021 अब आ गई है और इस मौके पर हम आपको इसी पर्वत और यहां मौजूद 79 फिट के शिवलिंग के बारे में बताने जा रहे हैं। दरअसल, पहाड़ की चोटी पर स्थित ये शिवलिंग बहुत ही खास है। इस शिवलिंग की खूबसूरती की बात की जाए तो किन्नर कैलाश का ये शिवलिंग बादलों से घिरा रहता है और आस-पास बर्फीले पहाड़ों की चोटियां हैं।

ये शिवलिंग समुद्र तल से 17200 फिट की ऊंचाई पर स्थित है। क्योंकि ये हिमाचल के दुर्गम स्थान पर स्थित है इसलिए यहां न तो आपको बहुत भीड़ मिलेगी और न ही यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को छेड़ा गया है।

कब है इस ट्रेक को करने का सबसे अच्छा समय-

ये खूबसूरत ट्रेक मई से अक्टूबर तक ही रहता है। सर्दियों के महीने में यहां बर्फ बहुत ज्यादा होती है और लोग यहां आ नहीं पाते। क्योंकि ये ट्रेक मुश्किल है और इस इलाके में बारिश की काफी समस्या होती है इसलिए यहां मिड मानसून में आने को भी मना किया जाता है।

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क्यों खास है किन्नर कैलाश का शिवलिंग-

जैसा कि हमने पहले कहा है कि ये शिवलिंग 79 फिट ऊंचा है। दरअसल, ये एक पत्थर है जो शिवलिंग और त्रिशूल जैसा लगता है। पहाड़ की चोटी पर ये बहुत अच्छी तरह से बैलेंस्ड है। इसकी एक और खास बात ये है कि शिवलिंग बार-बार रंग बदलता रहता है। मान्यता है कि इस शिवलिंग का रंग हर पहर में बदलता है। ये सुबह कुछ और रंग का दिखता है, दोपहर को सूरज की रौशनी में इसका रंग अललग दिखता है और शाम होते होते ये रंग फिर से अलग दिखने लगता है। ये पार्वती कुंड के नजदीक स्थित है और इसलिए भी इसकी मान्यता ज्यादा है।

क्या हैं किन्नर कैलाश से जुड़ी मान्यताएं-

किन्नर कैलाश पर्वत से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। ऐसा माना जाता है कि इसके पास स्थित कुंड देवी पार्वती ने खुद बनाया था। ये पार्वती और शिव भगवान के मिलने का स्थान था। मान्यता ये भी कहती है कि सर्दियों में यहां सभी देवताओं का वास होता है इसलिए यहां अक्टूबर के बाद नहीं जाते हैं।

kinner kailash trek

ट्रेक है बहुत मुश्किल-

किन्नर कैलाश पर्वत का ट्रेक काफी मुश्किल माना है। दरअसल, 14 किलोमीटर लंबे इस ट्रेक के आस-पास बर्फीली चोटियां हौ सेब के बागान भी। खूबसूरती की बात करें तो यहां आपको सांग्ला और हंगरंग वैली के नजारे देखने को मिलेंगे। इस ट्रेक का शुरुआती प्वाइंट है तांगलिंग गांव। सतलुज नदी के किनारे बसा ये गांव बहुत ही खास है। यहां से 8 किलोमीटर दूर मलिंग खटा तक ट्रेक कर जाना होता है। इसके बाद 5 किलोमीटर दूर पार्वती कुंड तक, वहां के दर्शन करने के बाद 1 किलोमीटर और ट्रेक करने पर किन्नर शिवलिंग आता है।



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क्योंकि ये ट्रेक बहुत मुश्किल है इसलिए लोगों को सलाह दी जाती है कि वो पूरी तैयारी के साथ यहां आएं और स्थानीय गाइड्स से मदद लें। साथ ही साथ, गर्म कपड़ों की जरूरत यहां हर मौसम में होती है इसलिए ये ध्यान रखें। इस ट्रेक के लिए पहाड़ चढ़ते और उतरते दोनों समय खतरा होता है इसलिए जूते ऐसे ही चुनें जिनमें ग्रिप अच्छी हो।

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All Photo Credit: India In Motion Youtube/ Travel and explore/ Tripodo

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