भारत में शिव और पारवती जी के कई मंदिर हैं। कोई मंदिर मैट्रो शहर में है, तो कोई गांव में तो कोई पहाड़ों पर मगर इनका एक मंदिर दुनिया के सबसे छोटे रिवर आइलैंड उमानंदा में है। यह आइलैंड भारत के असाम राज्य के गोहवाटी शहर में मौजूद ब्रह्मापुत्रा नदी के बीचों-बीच है। वैसे तो आइलैंड पर साल भर टूरिस्टों की भीड़ रहती है, मगर सावन, शिवरात्री और नवरात्र के समय यह भीड़ दोगुनी हो जाती है। दरअसल यहां पर शिव जी एक प्राचीन मंदिर है। स्थानीय लोगों के बीच मंदिर को बहुत महत्व है। इसलिए सावन और शिवरात्री के समय इस मंदिर पर उत्सव मनाया जाता है। अब आप सोच रही होंगी कि नवरात्र के समय पर यहां पर क्यों भीड़ रहती है? यह सवाल आपके मन में आना जायज है। मगर शिव जी के इस मंदिर में नवरात्री में भीड़ होने के पीछे एक धार्मिक कहानी जुड़ी हुई है।
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क्या है कहानी
उमानंद आइलैंड से कुछ ही दूरी पर कामाख्या देवी केा मंदिर है। कहते है कि जब शिव जी इस आइलैंड पर बैठ कर तपस्या कर रहे थे तब पारवती जी उनका इंतजार कामाख्या देवी मंदिर पर बैठ कर कर रहीं थी। बस तब से ही इस इस जगह का नाम उमानंद पड़ गया। स्थानिय लोग तो यह भी मानते हैं कि कामाख्या देवी मंदिर के दर्शन करने से पहले इस मंदिर में भक्तों को आकर पहले शिव जी के दर्शन करने चाहिए तब ही कामाख्या देवी के दर्शन सफल हो पाते हैं। नवरात्र के समय क्योंकि कई भक्त कामाख्या देवी के दर्शन करने आते हैं। इसलिए जिन्हें इस कहानी के बारे में पता है वे पहले शिव जी के दर्शन करते हैं और बाद में देवी मंदिर जाते हैं।
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इस मंदिर में कैसे पहुंचें
क्योंकि यह मंदिर ब्रह्मापुत्र नदी के बीचों-बीच है इस लिए यहां तक पहुंचने के लिए जरूरी है कि गोहवाटी के किसी भी घाट से नाव के सहारे 10 से 15 मिनट की राइड लेकर यहां पर पहुंचा जा सकता है। आइलैंड पर पहुंचते ही आपको मंदिर का प्रवेश द्वार दिखने लगेगा। इस लिए आपको यहां मंदिर ढूंढने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कुछ सीढ़यां चढ़ने के बाद आप उमानंद मंदिर के परिसर में पहुंच जाएंगे। यहां पर दर्शन करने के बाद जैसे ही आप मंदिर से बाहर निकलेंगे आपको यहां पर आपको दो और मंदिरों के दर्शन करने को मिलेंगे यह मंदिर भी शिव जी के ही दूसरे स्वरूपों के हैं। यहां पर आपको शिव जी के बद्रीनाथ और महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन करने को मिलेंगे।
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भुकंप और बाढ़ भी नहीं डुबो सकी यह आइलैंड
यहां के स्थानिय लोग मानते हैं कि भगवान शिव के यहां निवास करने से उनके शहर पर किसी भी तरह की विपदा नहीं आएगी। ऐस हुआ भी है। गोहवाटी में कई बारे तेज भुकंप और बाढ़ आई मगर न तो शहर में कोई नुकसान हुआ और न ही इस आइलैंड को। इस लिए लोगों का इस मंदिर को लेकर विश्वास बढ़ता ही जा रहा है। अब असाम की सरकार इस आइलैंड को टूरिस्ट प्लेस बनाने की भी तैयारी कर रही है।
यहां देखने को मिलेगी गोल्डन लंगूरों के अनोखी स्पीशीज
उमानंद आइलैंड पर ज्यादा जानवर नहीं हैं। मगर यहां पर गोल्डन लंगूर बंदरों की एक टोली है। इस स्पीशीज के बंदर अब बहुत ही कम देखने को मिलते हैं। इस आइलैंड पर भी अब ऐसे केवल 5 बंदर ही बचे हैं। इन बंदरों को आदमियों जैसी हरकतें करते देख आपको बेहद हैरानी होगी। मगर आपको बता दें कि ये बंदर यहां आने वाले भक्तों को देख देख कर उनकी एक्टिंग करते हैं और लोगों का मनोरंजन करते हैं। मंदिर के पुजारियों का कहना है कि कुछ सालों पहले दो लोग इस आइलैंड पर इन बंदरों के साथ आए थे और फिर इन बंदरों को यहीं छोड़ कर चले गए।
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