अगर कोई महिला पुरुषों की तरह दिखे या पुरुषों की तरह उसका रहन सहन हो तो लोग उसे टॉम बॉय कह कर पुकारते हैं मगर अगर कोई पुरुष महिलाओं की तरह सोलह श्रृंगार करने लगे और महिलाओं की तरह खुद को ड्रेसअप करने लगे तो आप उसे क्या कहेंगी? अरे अरे होल्ड उाउन, अपने दिमागी घोड़ों को दौड़ाना बंद करिए। हम जानते हैं ऐसे पुरुषों को क्या कहा जाता है। मगर भारत में एक ऐसी जगह है जहां पुरुषों को अच्छी बीवी और नौकरी के लिए महिलाओं की तरह सजना संवरना पड़ता है और उनकी तरह साड़ी पहननी पड़ती है।
केरल में है यह जगह
यह जगह साउथ इंडिया के सबसे खूबसूरत राज्य केरल में है। जी हां, केरल के कोल्लम जिले के कोट्टनकुलंगरा में श्रीदेवी नाम के मंदिर में पुरुषों को महिलाओं की तरह सोलह श्रृंगार करना पड़ता है तब ही उनकी मुराद पूरी होती है। सुन कर थोड़ी हैरानी होती है, क्योंकि भारत में ऐसी बहुत सा जगह और मंदिर हैं जहां पर महिलाओं को एंट्री तक नहीं दी जाती है। यहां पर महिलाओं की परछाई पड़ने तक से बवाल होजाता है, वहीं दूसरी जगह एक ऐसे मंदिर का होना, जहां पर पुरुषों को महिलाओं की तरह सज कर ही एंट्री मिलती हो, सुनने में अटपटा लगता है।
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क्यों है यह परंपरा
स्थानीय लोगों की मान्यता के अनुसार इस मंदिर में माता जी की मूर्ती अपने आप ही उत्पन्न हो गई थी। सालों पहले कुछ चरवाहों ने इस मूर्ती की पूजा महिलाओं के कपड़े पहन कर की थी, तब से यहां पर पुरुषों को महिलाओं जैसे कपड़े पहनकर ही मंदिर में एंट्री दी जाती है। ऐसा नहीं है कि इस मंदिर में महिलाएं नहीं आ सकतीं। इस मंदिर में पुरुषों के साथ महिलाओं को भी एंट्री दी जाती है वे अपने महिला रूप में ही मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं। दिक्कत तब आती है जब पुरुष और महिलाओं के बीच अंतर को समझना हो, क्योंकि यहां आने वाले सभी पुरुष पूरी तरह से महिलाओं के गेटअप में आते हैं। महिलाओं जैसा दिखने के लिए उन्हें उन्हीं की तरह मेकअप, आउटफिट और ज्वेलरी पहननी पड़ती है। इसके बाद पुरुषों को पहचानना मुश्किल होजाता है। वे सारे के सारे महिलाओं जैसे ही दिखते हैं।
कब करते हैं पुरुष सोलाह श्रृंगार
अगर आप इस अनोखे दृश्य का लुत्फ उठाना चाहती हैं तो टिकट बुक करा लीजिए और अपने बैग पैक कर लीजिए क्योंकि यह दृश्य आपको मार्च के महीने में ही देखने को मिल सकता है। दरअसल हर साल 23 और 24 मार्च को श्रीदेवी मंदिर में चाम्याविलक्कू उत्सव मनाया जाता है। इस उत्सव के तहत पुरुषों को महिलाओं के गेटअप में ही मंदिर में एंट्री दी जाती है।
परुष क्यों करते हैं ऐसा
आपने कई बार सुना होगा कि अच्छे हसबैंड को पाने के लिए महिलाएं भगवान शिव के सोलाह सोमवार के व्रत करती हैं। कुछ इसी तरह यहां के पुरुष अच्छी बीवी पाने के लिए देवी को खुश करने के लिए सोलाह श्रृंगार करतें हैं। कई पुरुष यहां अच्छी नौकरी की मुराद लेकर भी आते हैं और उन्हें भी महिलाओं की तरह ही सजना संवरना पड़ता है। इस खास तरह की पूजा की पूजा के लिए यह मंदिर दुनिया भर में मशहूर है।
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