why we should not stand between shivling and nandi at temple

क्यों मंदिर में शिवलिंग और नंदी की प्रतिमा के बीच नहीं खड़े होना चाहिए?

नंदी हमेशा शिवलिंग की ओर मुख करके बैठे नजर आते हैं जिसके पीछे एक महत्वपूर्ण तथ्य है और यही वजह है कि शास्त्रों में वर्णन है कि कभी भी किसी भी शिव मंदिर में नंदी और शिवलिंग के बीच में खड़े नहीं होना चाहिए।
Editorial
Updated:- 2025-07-10, 13:22 IST

नंदी को भगवान शिव का परम भक्त माना जाता है। शास्त्रों और कई धार्मिक कथाओं में इस बात का उल्लेख मिलता है कि जहां भी नंदी का वास होता है वहां भगवान शिव जरूर होते हैं या फिर जहाना भी भगवान शिव रहते हैं वहां नंदी विराजित होते हैं। इसी कारण से दुनिया में जितने भी शिवालय हैं उन सभी में शिवलिंग के समक्ष नंदी मौजूद हैं। इसी कड़ी में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि नंदी हमेशा शिवलिंग की ओर मुख करके बैठे नजर आते हैं जिसके पीछे एक महत्वपूर्ण तथ्य है और यही वजह है कि शास्त्रों में वर्णन है कि कभी भी किसी भी शिव मंदिर में नंदी और शिवलिंग के बीच में खड़े नहीं होना चाहिए। तो चलिए जानते हैं कि शिवलिंग और नंदी के बीच में खड़े होने से क्या होता है।

मंदिर में शिवलिंग और नंदी के बीच में खड़े होने से क्या होता है?

नंदी भगवान शिव के सबसे प्रिय भक्त, वाहन और द्वारपाल हैं। उन्हें शिव का एक अभिन्न अंग माना जाता है। नंदी हमेशा शिवलिंग की ओर मुख करके बैठे रहते हैं, जो उनकी अटूट भक्ति और एकाग्रता का प्रतीक है। वे निरंतर भगवान शिव के ध्यान में लीन रहते हैं और उनसे पल भर के लिए भी अपनी दृष्टि हटाना नहीं चाहते।

mandir mein shivlinga aur nandi ke beech kyu nahi khade hona chahiye

जब कोई व्यक्ति शिवलिंग और नंदी के बीच में खड़ा होता है तो ऐसा माना जाता है कि वह नंदी की भगवान शिव के प्रति एकाग्रता और ध्यान को भंग करता है। यह एक तरह से उनके बीच में हस्तक्षेप करने जैसा है। नंदी को शिव तक पहुंचने का एक माध्यम भी माना जाता है और उनके सामने खड़े होकर आप इस दिव्य मार्ग में बाधा उत्पन्न कर रहे होते हैं।

यह भी पढ़ें: नंदी जी के कौन से कान में बोलनी चाहिए अपनी मनोकामना?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने से आपकी पूजा या प्रार्थना भी पूरी तरह से सफल नहीं हो पाती है क्योंकि आप शिव और उनके परम भक्त नंदी के बीच की पवित्र ऊर्जा के प्रवाह को बाधित कर देते हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी देखें तो शिवलिंग से निकलने वाली ऊर्जा बहुत शक्तिशाली मानी जाती है और नंदी की प्रतिमा उस ऊर्जा को सही दिशा देने और नियंत्रित करने में सहायक होती है।

जब आप इन दोनों के ठीक बीच में खड़े होते हैं तो आप इस ऊर्जा के स्वाभाविक प्रवाह को बाधित कर सकते हैं जिससे आपको या मंदिर के वातावरण को कुछ नकारात्मक प्रभाव मिल सकते हैं। यह ऊर्जा ज्वाला की तरह होती है जिसे शांत रखने के लिए शिवलिंग पर लगातार जलधारा चढ़ाई जाती है। बीच में खड़े होने से इस ऊर्जा में व्यवधान आ सकता है।

यह भी पढ़ें: मंदिर में नंदी की परिक्रमा कितनी बार लगानी चाहिए?

एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब शिव जी ने हलाहल विष पिया था तब नंदी ने ठीक शिव जी के सामने बैठकर उनकी जलन को कम करने के लिए उनके चेहरे पर फूंक मारी थी। ऐसा माना जाता है कि आज भी अप्रत्यक्ष रूप से नंदी शिवलिंग के सामने बैठकर निरंतर फूंक मारते हैं। ऐसे में बीच में खड़े होने से नंदी के कार्य में बाधा पैदा होती है।

mandir mein shivling aur nandi ke beech kyu nahi khade hona chahiye

अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं और अपना फीडबैक भी शेयर कर सकते हैं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: herzindagi 

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

FAQ
हर शिव मंदिर में नंदी क्यों होते हैं?
नंदी भगवान शिव के परम भक्त हैं और उन्हें यह वरदान प्राप्त है कि जहां भी नंदी होंगे वहीं भगवान शिव का वास होगा। 
नंदी के कौन से कान में प्रार्थना करनी चाहिए?
नंदी के बाएं कान में प्रार्थना करनी चाहिए। 
Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।

;