वृंदावन के प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिरों में से एक है बांके बिहारी मंदिर जहां श्री राधा कृष्ण की युगल प्रतिमा स्थापित है। बिरज में ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति अपने जीवन काल में सिर्फ एक बार भी अगर बांके बिहारी जी के दर्शन कर ले तो कन्हैया और राधा रानी उस व्यक्ति के हेमशा साथ रहते हैं।
हमेशा उनका सानिध्य और उनकी असीम कृपा व्यक्ति को प्राप्त होती है। जहां एक ओर इस मंदिर की बहुत महिमा मानी जाती है तो वहीं, इस मंदिर से जुड़े कई रहस्य भी हैं जो आज भी अबूझ हैं। इन्हीं में से एक है इस मंदिर में न होने वाली मंगला आरती। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं इसके पीछे का कारण।
बांके बिहारी मंदिर में क्यों नहीं होती है मंगला आरती?
- पौराणिक कथा के अनुसार, जब कन्हैया का जन्म हुआ था तब लाला की मनमोहक छवि देखकर सभी गांव वाले इतने भाव विभोर और आकर्षित हो गए थे कि रोजाना लल्ला के दर्शनों के लिए जाया करते थे।
- सभी ब्रज वासी प्रातः काल यानी कि भोर के समय सबसे पहले नंद बाबा के घर पहुंच जाते और दूर से लल्ला को निहारते रहते। उस समय भगवान की आरती का समय होता था लेकिन गांव वाले वो तक नहीं करते थे।

- असल में सभी ब्रज वासियों का इतना प्यार का कन्हैया से कि उन्हें लगता था कि अगर उन्होंने पूजा के लिए घंटी बजाई तो कन्हैया की नींद खुल जाएगी, छोटा सा कन्हैया शोर सुन डर जाएगा और रोने लगेगा।
- जब स्वामी हरिदास जी ने बांके बिहारी जी की स्थापना की थी तब उन्हें ब्रज वासियों का यही भाव याद आया और तब से अब तक भी इसी प्रेम भाव के कारण बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती नहीं होती है।
आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आखिर बांके बिहारी मंदिर में क्यों नहीं होती है मंगला आरती। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
image credit: herzindagi
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