why aarti should be done in shape of eight

Puja-Path: आठ के आकार में ही क्यों की जाती है आरती? जानें कारण

आरती करना देवी-देवताओं के आवाहन का भी प्रतीक माना जाता है। पूजा-पाठ के बाद अगर आरती न की जाए तो उस पूजा में दोष लगता है और पूजा खंडित हो जाती है। 
Editorial
Updated:- 2025-04-10, 16:14 IST

शास्त्रों में बताया गया है कि किसी भी पूजा-पाठ या हवन-अनुष्ठान के बाद आरती करना आवश्यक होता है, तभी किये गए उस आध्यात्मिक कार्य का पूर्ण फल मिलता है। आरती करना देवी-देवताओं के आवाहन का भी प्रतीक माना जाता है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि किसी भी पूजा-पाठ के बाद अगर आरती न की जाए तो उस पूजा में दोष लगता है और पूजा खंडित हो जाती है।

इसके अलावा, आरती करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि पूजा-पाठ या हवन आदि के बाद जब देवी-देवता उस स्थान से जा रहे होते हैं तो उस समय की गई आरती के माध्यम से वह जाते-जाते अपनी सकारात्मक और दिव्य ऊर्जा उस स्थान पर ही छोड़ जाते हैं। आरती करने के कई नियम भी शास्त्रों में बताये गए हैं। इन्हीं में से एक है आरती को आठ के आकार में करना। आइये जानते हैं इस बारे में।

आठ के आकार में ही क्यों करते हैं आरती?

भगवान की आरती हर जगह होती है फिर चाहे मंदिर हो या फिर घर। हालांकि मंदिरों में आरती करते समय उसे आठ के आकार में घुमाया जाता है जबकि घरों में अक्सर लोग आरती करते समय कई गलतियां कर बैठते हैं क्योंकि उन्हें सही तरीका नहीं पता होता है।

8 ke aakar mein hi aarti karne se kya hota hai

घर हो या मंदिर भगवान की आरती हमेशा आठ के आकार में ही करनी चाहिए। आरती को आठ के आकार में घुमाने के पीछे न सिर्फ धार्मिक कारण है बल्कि ज्योतिष आधार भी मौजूद है। धर्म और ज्योतिष के अनुसार, 8 अंक शनि देव एवं मां लक्ष्मी का माना जाता है।

यह भी पढ़ें: Lakshmi ji ki Aarti: धन-धान्य में वृद्धि और सुख-समृद्धि पाने के लिए करें मां लक्ष्मी की आरती

ऐसे में जब हम आठ के आकार में आरती करते हैं तो आपने कभी गौर किया होगा कि आरती नीचे से शुरू होती है, फिर ऊपर की ओर जाती है, फिर वापस से नीचे की ओर जाती है और फिर आखिर में ऊपर की ओर दोबारा जाती है। इसी तरह क्रम चलता रहता है।

आठ के आकार में आरती करना जीवन के चक्र को दर्शाता है कि व्यक्ति कभी नीचे होगा तो कभी ऊपर होगा, कभी नीचे से ऊपर जाएगा तो कभी ऊपर से नीचे की ओर जाएगा। यह क्रम शनि देव की साढ़े साती को भी दर्शाता है। शनि की साढ़े साती 3 चरण की होती है।

8 ke aakar mein hi kyu karni chahiye aarti

पहले चरण में व्यक्ति अपनी खराब स्थिति में होता है और धीरे-धीरे दूसरे चरण तक ऊपर की ओर आता है। फिर दूसरे चरण के समापन पर वह फिर से नीचे गिरता है और तीसरे चरण तक नीचे ही रहता है और तीसरे चरण के समापन पर पुनः ऊपर उठता है।

ऐसे में आठ के आकार में किसी भी देवी-देवता की आरती करें लेकिन उसके प्रभाव से शनि देव नियंत्रित रहते हैं, साढ़े-साती के दौरान कष्ट आते हैं लेकिन आपको उससे बाहर निकलने का सामार्थ भी स्वयं शनिदेव ही प्रदान करते हैं। आठ के आकार में आरती करने से शनि शांत रहते हैं।

यह भी पढ़ें: Puja-Path: सूर्यास्त के बाद पूजा-पाठ की है मनाही फिर क्यों होती है मंदिरों में रात को आरती?

इसके अलावा, 8 के आकार में आरती करने से मां लक्ष्मी का वास घर में बना रहेता है। मां लक्ष्मी के अष्ट स्वरूपों की कृपा प्राप्त होती है। घर की आर्थिक स्थिति भी बेहतर बनती है और घर में कभी भी ध का अभाव नहीं होता है। धन से जुडी समस्याओं का निवारण स्वतः ही हो जाता है।

8 ke aakar mein hi kyu ki jati hai aarti

अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं और अपना फीडबैक भी शेयर कर सकते हैं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: herzindagi 

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।

;