क्यों नारद मुनि किसी स्थान पर 6 मिनट से ज्यादा नहीं टिकते हैं?

नारद मुनि को यह श्राप मिला था कि वह किसी भी एक स्थान पर 6 मिनट से ज्यादा नहीं रुक सकते हैं। किसने दिया ये श्राप और क्या थी श्राप के पीछे की कथा आइये जानते हैं। 
why does narada muni not stay at any place for long time

भगवान विष्णु के परम भक्त माने जाने वाले नारद मुनि को लेकर कई बातें आपने सुनी होंगी, जैसे कि नारद मुनि ब्रह्मांड के पहले पत्रकार थे जो सबसे ज्यादा गति से बात सभी लोगों तक सही समय पर पहुंचाते थे या फिर नारद मुनि किसी भी एक स्थान पर ज्यादा समय के लिए नहीं टिकते थे आदि। ऐसे में आज हम इसी कड़ी में एक और बात बताने जा रहे हैं वो बात यह है कि नारद मुनि को यह श्राप मिला था कि वह किसी भी एक स्थान पर 6 मिनट से ज्यादा नहीं रुक सकते हैं। किसने दिया ये श्राप और क्या थी श्राप के पीछे की कथा आइये जानते हैं इस अबरे में विस्तार से ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।

क्यों एक जगह ज्यादा देर के लिए नहीं रुक सकते नारद मुनि?

पौराणिक कथा के अनुसार, राजा दक्ष की पत्नी आसक्ति ने 10 हज़ार पुत्रों को जन्म दिया था। राजा दक्ष की इच्छा थी कि उनके पुत्र उन्हीं की भांति राजपाट के साथ-साथ सांसारिक कर्तव्यों का भी निर्वाह करें, लेकिन नारद मुनि ने राजा दक्ष के इस स्वप्न को खंडित कर दिया।

narad muni ko ek sthan pr na rukne ka shrap kisne diya tha

नारद मुनि ने राजा दक्ष के सभी पुत्रों को पहले तो भगवद भजन और तपस्या में लीन कर दिया और फिर उन्हें मोक्ष की राह दिखाते हुए पिता दक्ष से दूर कर दिया। इससे राजा दक्ष के पास राज-पाट संभालने के लिए कोई नहीं बचा। राजा दक्ष बहुत चिंतित रहने लगे थे।

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इसके बाद, राजा दक्ष ने पंचजनी नामक एक सुकन्या से विवाह किया। पंचजनी से राजा रक्ष को एक हज़ार पुत्रों की प्राप्ति हुई। जब नारद मुनि को इस बारे में पता चला तो उन्होंने राजा दक्ष के पुत्रों को बाल अवस्था में ही तपस्या करने के लिए जाने हेतु प्रेरित कर दिया।

narad muni ko ek sthan pr na rukne ka shrap kyu mila tha

जब तपस्या पूर्ण कर राजा दक्ष के पुत्र लौटने लगे तो उन्होंने मोक्ष का रास्ता दिखाते हुए उन्हें चीर योग निद्रा में जाने के लिए प्रेरित किया। इस बात से राजा दक्ष को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने नारद मुनि को अपने महल में बुलाया और उनके वहां आते ही श्राप दे दिया।

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श्राप यह था कि नारद मुनि कभी भी किसी भी एक स्थान पर सिर्फ उतनी ही देर रुक पाएंगे जितने में एक गाय दुही जाती है यानी कि जितने देर में एक गाय के दूध की पहली धार बाहर आती है। एक गाय को दुहने में 6 मिनट का समय लगता है और उतनी देर ही नारद मुनि कहीं टिक सकते हैं।

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image credit: herzindagi

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