महाभारत से जुड़े ऐसे कई किससे हैं जो बेहद रोचक और रहस्यमयी हैं। महाभारत के दौरान जितनी भी घटनाएं घटी थीं उन सबके पीछे भगवान श्री कृष्ण की कोई न कोई लीला छुपी हुई थी। इसी कड़ी में आज हम जानेंगे कि आखिर किसी भी अपराध को क्षमा न करने वाले श्री कृष्ण भगवान ने शिशुपाल की क्यों 100 गलतियां माफ कर दी थीं। आइये जानते हैं इस विषय में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।
शिशुपाल भगवान श्री कृष्ण की बुआ का बेटा था। शिशुपाल का जन्म बहुत असामान्य था, क्योंकि जन्म के समय उसके पास तीन आंखें और चार हाथ थे। यह देखकर उसकी माता-पिता बहुत चिंतित हो गए और उन्होंने निर्णय लिया कि इस बच्चे को त्याग दिया जाए। लेकिन तभी आकाशवाणी हुई, जिसमें कहा गया कि इस बच्चे का त्याग न करें, क्योंकि कुछ समय बाद उसकी एक आंख और एक हाथ स्वंय गायब हो जाएंगे। साथ ही आकाशवाणी में यह भी कहा गया कि जिस व्यक्ति की गोद में आते ही उसकी आंख और हाथ गायब होंगे, वही इस बच्चे का काल बनेगा।
कुछ समय बाद, एक दिन श्री कृष्ण ने शिशुपाल को अपनी गोद में उठा लिया। जैसे ही श्री कृष्ण ने शिशुपाल को गोद में लिया, उसी क्षण शिशुपाल की एक आंख और एक हाथ गायब हो गए। यह देखकर श्री कृष्ण की बुआ ने खुशी के साथ-साथ चिंता भी अनुभव की, क्योंकि आकाशवाणी के अनुसार जिसकी गोद में आते ही शिशुपाल के अतिरिक्त अंग गायब हो जाएंगे उसी के हाथों शिशुपाल की मृत्यु होनी तय थी।
यह भी पढ़ें: Mythology Facts: भगवान राम, श्री कृष्ण और शिव जी के धनुष का क्या नाम था?
जब श्री कृष्ण ने अपनी बुआ से उनकी चिंता का कारण पूछा, तो उन्होंने आकाशवाणी से जुड़ी सारी बातें श्री कृष्ण को बताईं। साथ ही बुआ ने श्री कृष्ण से यह वचन लिया कि वे उनके बेटे की गलती को माफ कर देंगे। बुआ की चिंता को देखकर श्री कृष्ण ने उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा, "मैं शिशुपाल की 100 गालियां यानी 100 गलतियां माफ करूंगा, लेकिन 101वीं गलती पर उसे दंड भुगतना पड़ेगा।
शिशुपाल रुक्मणि के भाई रुक्म का प्रिय मित्र था और वह रुक्मणि से विवाह करना चाहता था। रुक्म भी यही चाहता था, लेकिन रुक्मणि के माता-पिता अपनी बेटी का विवाह शिशुपाल से नहीं, बल्कि श्री कृष्ण से करना चाहते थे।
इस स्थिति में, रुक्म ने अपने माता-पिता की इच्छा के खिलाफ जाकर अपनी बहन का विवाह शिशुपाल से तय कर दिया लेकिन श्री कृष्ण ने रुक्मणि से विवाह कर लिया।
इस घटना से शिशुपाल श्री कृष्ण से बहुत नाराज हुआ और उसने श्री कृष्ण से गहरी नफरत करना शुरू कर दिया। वह मौका मिलने पर श्री कृष्ण का अपमान करने लगा। जब युधिष्ठिर को युवराज घोषित किया गया, तब इसके साथ राजसूय यज्ञ का आयोजन भी किया गया। इस यज्ञ में सभी राजाओं और रिश्तेदारों को न्योता भेजा गया। इस आयोजन में श्री कृष्ण और शिशुपाल भी आमंत्रित थे।
यह भी पढ़ें: Mahabharat Rahasya: श्री कृष्ण ने कर्ण को कब, क्यों और कौन से वरदान दिए थे?
आयोजन के दौरान, जब युधिष्ठिर श्री कृष्ण का सत्कार करते हैं, तो शिशुपाल को यह बहुत बुरा लगता है और वह श्री कृष्ण को बुरा-भला बोलने लगता है। श्री कृष्ण ने वचनबद्ध होकर उसे कुछ नहीं कहा और शांत मन से आयोजन में भाग लिया। लेकिन जैसे ही शिशुपाल ने अपनी 100वीं गाली पूरी की और 101वीं गाली दी, भगवान श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से उसकी गर्दन को धड़ से अलग कर दिया।
अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं और अपना फीडबैक भी शेयर कर सकते हैं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
image credit: herzindagi
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।