सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। जब हर भक्त भोलेनाथ की विशेष कृपा पाने के लिए उनकी पूजा-अर्चना करता है, तो उन्हें विशेष फलों की प्राप्ति होती है। इस पवित्र मास में शिवलिंग पर जलाभिषेक और विभिन्न सामग्रियों का अर्पण करना बेहद शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि सावन में की गई शिव पूजा से महादेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। हालाकि, शिव पूजा में कई चीजें चढ़ाई जाती हैं, लेकिन एक ऐसी चीज है जिसके बिना शिवलिंग की पूजा अधूरी मानी जाती है। यह चीज भोलेनाथ को तो अत्यंत प्रिय है है, साथ ही साथ इसे अर्पित करने से भक्तों को भी विशेष लाभ मिलता है। बहुत से लोग सावन में रोज़ाना शिव मंदिर जाते हैं या घर पर ही शिवलिंग की पूजा करते हैं, लेकिन शायद उन्हें इस एक महत्वपूर्ण चीज के बारे में पूरी जानकारी नहीं है, या वे इसे अर्पित करने का सही तरीका नहीं जानते हैं, इसलिए उन पर भोलेनाथ की कृपा नहीं बरसती है। शास्त्रों और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष चीज को रोजाना शिवलिंग पर अर्पित करने से भगवान शिव अत्यधिक प्रसन्न होते हैं और आपकी हर इच्छा पूरी करते हैं। आइए ज्योतिषाचार्य अरविंद त्रिपाठी से उस एक चीज के बारे में जान लेना जरूरी है, जिसके बिना शिव पूजा अधूरी मानी जाती है।
भगवान शिव की पूजा में अनेक वस्तुएं अर्पित की जाती हैं, जैसे जल, दूध, धतूरा, भांग आदि, लेकिन इन सब में बेलपत्र का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं और शिव पुराण के अनुसार, शिवलिंग की पूजा बेलपत्र के बिना अधूरी मानी जाती है। सावन के पवित्र महीने में रोजाना शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तों को मनचाहा वरदान देते हैं। बेलपत्र को भगवान शिव को अति प्रिय माना गया है और इसके पीछे कई पौराणिक और धार्मिक कारण हैं।
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बेलपत्र की तीन पत्तियां ब्रह्मा, विष्णु और महेश की त्रिमूर्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। कुछ मान्यताओं के अनुसार, ये पत्तियां शिवजी की तीन आंखों (सूर्य, चंद्र और अग्नि) का प्रतिनिधित्व करती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन के दौरान निकला विष पी लिया था, तो उनके शरीर में भयंकर जलन होने लगी थी। देवताओं ने उनकी जलन शांत करने के लिए उन्हें बेलपत्र अर्पित किया था। तभी से बेलपत्र शिवजी को शीतलता प्रदान करने वाला और अति प्रिय माना जाता है। शिव पुराण में बेलपत्र की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है। यह कहा गया है कि बेलपत्र चढ़ाने से शिवजी उतनी ही प्रसन्नता प्राप्त करते हैं, जितनी गंगा स्नान या करोड़ों कन्यादान से होती है।
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