सावन के महीने में शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाना बहुत ही शुभ माना जाता है क्योंकि बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। ऐसी मान्यता है कि जब समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने हलाहल विष पिया था, तब उनके शरीर में बहुत गर्मी बढ़ गई थी। इस गर्मी को शांत करने के लिए देवी-देवताओं ने उन्हें बेलपत्र और जल अर्पित किया जिससे उन्हें शीतलता मिली। तभी से बेलपत्र भगवान शिव की पूजा का एक अभिन्न अंग बन गया। तीन पत्तियों वाला बेलपत्र ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है और इसे चढ़ाने से शिव जी जल्दी प्रसन्न होते हैं, भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। हालांकि ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि अक्सर लोग शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते हुए छोटी-छोटी गलतियां कर बैठते हैं जिससे पूजा का पूर्ण फल नहीं मिल पाता है। ऐसे में आइये जानते हैं कि शिवलिंग पर बेलपत्र कैसे चढ़ाना चाहिए।
सावन में शिवलिंग पर हमेशा तीन पत्तियों वाला बेलपत्र ही चढ़ाएं। इसे त्रिदेव का प्रतीक माना जाता है। बेलपत्र कहीं से कटा-फटा, सूखा या सड़ा हुआ नहीं होना चाहिए। पत्तियां पूरी और साफ होनी चाहिए। बेलपत्र हमेशा डंठल के साथ ही चढ़ाएं।
बेलपत्र पर किसी तरह के दाग-धब्बे नहीं होने चाहिए। अगर ताजे बेलपत्र न मिलें तो शिवलिंग पर चढ़ाए हुए सूखे बेलपत्र को धोकर दोबारा चढ़ा सकते हैं। शिव पुराण के अनुसार, बेलपत्र कभी बासी नहीं होता।
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सावन में शिवलिंग पर आप कितने भी बेलपत्र चढ़ा सकते हैं, लेकिन अगर आप किसी विशेष मनोकामना के साथ बेलपत्र अर्पित कर रहे हैं तो संख्या का तय करना जरूरी है। सावन में शिवलिंग पर मनोकामना पूर्ति के लिए संकल्प लेकर 1, 3, 5, 11, 21, 108 की संख्या में बेलपत्र चढ़ाने चाहिए।
इस बात का भी ध्यान रखें कि जब भी कभी आपकी मनोकामना पूरी हो तो शुरुआत में जितने बेलपत्र चढ़ाकर संकल्प आरंभ किया था उतने ही बेलपत्र चढ़ाकर संकल्प समाप्त करें।
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सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद, बेलपत्र को साफ पानी से अच्छी तरह धो लें। अगर संभव हो तो बेलपत्र की चिकनी वाली सतह पर अनामिका उंगली से चंदन से 'ॐ' या 'नमः शिवाय' लिखें। इसके अलावा, श्री राम भी लिख सकते हैं। बेलपत्र कभी भी सीधा नहीं चढ़ाया जाता है। अक्सर लोग यही गलती सबसे ज्यादा करते हैं। सावन के दौरान शिवलिंग पर बेलपत्र उल्टा चढ़ाएं। सिर्फ सावन ही नहीं, बल्कि कभी भी शिवलिंग पर बेलपत्र उल्टा अर्पित करें।
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