आपने बहुत से सीरियल्स में देखा होगा कि राधा रानी और मां लक्ष्मी को एक ही दिखाया जाता है। यानी कि मां लक्ष्मी को राधा रानी या फिर राधा रानी को मां लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। हालांकि यह पुर्णतः गलत है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि राधा रानी और मां लक्ष्मी एकाग-अलग हैं। ऐसे में आइये जानते हैं कि आखिर कैसे हुई दोनों देवियों की उत्पत्ति और कैसे श्री राधा और मां लक्ष्मी एक दूसरे से भिन्न हैं।
क्या है राधा रानी और मां लक्ष्मी में अंतर?
श्रीमदभगवद और कृष्ण लीलाओं से जुड़े जितने भी ग्रंथ आदि हैं उन सभी में यह उल्लेख मिलता है कि जब भगवान विष्णु का द्वापर युग में श्री कृष्ण के रूप में जन्म लेने का समय आया था, तब भगवान विष्णु ने अपने भीतर से श्री कृष्ण को प्रकट किया।
जब श्री कृष्ण तेज के रूप में अवतरित हुए तब उन्हें अपने आधे अंग से श्री राधा रानी को प्रकट किया। असल में श्री कृष्ण पृथ्वी पर प्रेम का मूल अर्थ समझाना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने अपने शरीर के आधे अंग से सगरी राधा रानी को उत्पन्न किया।
श्री कृष्ण और राधा रानी का पृथ्वी पर जन्म हुआ और दोनों ने अपनी प्रेम लीलाओं से ब्रह्मांड को प्रेम का सही मतलब समझाया। वहीं, शास्त्रों में यह साफ-साफ उल्लेखित है कि मां लक्ष्मी श्री राधा रानी के सीधे हाथ की सबसे छोटी उंगली से प्रकट हुई थीं।
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राधा रानी मां लक्ष्मी की उत्पत्ति का कारण है लेकिन उनका अवतार नहीं हैं। मां लक्ष्मी राधा रानी की कनिष्ठा उंगली से अवतरित हुई हैं लेकिन वह उनका अवतार नहीं है। हां, मां लक्ष्मी का अवतार द्वापर में रुक्मणि देवी और त्रेता में सीता माता को कहा जा सकता है।
आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि श्री राधी रानी और मां लक्ष्मी क्या अलग-अलग हैं और कैसे हुई थी दोनों देवियों की उत्पत्ति। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
image credit: herzindagi
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