हिंदू धर्म में तुलसी को सिर्फ एक पौधा या औषधि नहीं, बल्कि पूजनीय और देवी का रूप माना जाता है। इसे 'वृंदा' के नाम से भी जाना जाता है। स्कंद पुराण, पद्म पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण सहित कई धार्मिक ग्रंथों में तुलसी की महिमा का गुणगान किया गया है। मान्यता है कि तुलसी में भगवान विष्णु का वास होता है और भगवान कृष्ण को भी तुलसी अत्यंत प्रिय है। यही वजह है कि तुलसी को 'हरि प्रिया' भी कहा जाता है। तुलसी की नियमित पूजा और तुलसी स्त्रोत का पाठ करने से भक्तों को आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं। साथ ही, कई प्रकार के भौतिक सुखों और आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति भी होती है। तुलसी स्त्रोत के पाठ के पुण्य प्रभाव से आर्थिक संकटों से छुटकारा मिलता है। यही नहीं, घर में धन-धान्य की वृद्धि के लिए भी तुलसी स्त्रोत का पाठ अत्यंत लाभकारी माना गया है। इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाकर आर्थिक संकटों से मुक्ति तथा समृद्धि का अनुभव कर सकते हैं। तो आइए ज्योतिषाचार्य अरविंद त्रिपाठी से जानते हैं कि तुलसी स्त्रोत का पाठ सप्ताह के किन दिनों में करना शुभकारी होता और इससे क्या-क्या लाभ मिलते हैं।
तुलसी स्त्रोत भगवान नारायण द्वारा नारद जी को बताया गया एक पवित्र स्तोत्र है, जिसमें तुलसी देवी की स्तुति और उनके गुणों का वर्णन किया गया है। इस स्त्रोत का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं, रोग-शोक दूर होते हैं और दरिद्रता का नाश होता है। यह स्त्रोत सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और घर में सुख-शांति लाता है।
तुलसी स्त्रोत का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बुधवार और गुरुवार का दिन तुलसी स्त्रोत के पाठ के लिए विशेष रूप से फलदायी माना गया है। धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, बुधवार का दिन भगवान गणेश और देवी दुर्गा को समर्पित है, लेकिन इसे बुध ग्रह से भी जोड़ा जाता है। आर्थिक स्थिरता और बुद्धि के लिए बुधवार को तुलसी स्त्रोत का पाठ करना शुभ माना जाता है। इस दिन पाठ करने से व्यापार और नौकरी में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। वहीं, गुरुवार भगवान विष्णु और बृहस्पति देव को समर्पित है।
भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है, इसलिए गुरुवार को तुलसी स्त्रोत का पाठ करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी दोनों प्रसन्न होते हैं। इस दिन पाठ करने से धन आगमन के नए रास्ते खुलते हैं। इतना ही नहीं, इसके पुण्य प्रभाव से कर्ज से मुक्ति मिलती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। इसके अलावा, एकादशी और कार्तिक मास में तुलसी स्त्रोत का पाठ करने का भी अत्यधिक महत्व बताया गया है। एकादशी पर तुलसी को जल नहीं चढ़ाया जाता है, लेकिन उनका पूजन और स्त्रोत पाठ करना वर्जित नहीं है।
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तुलसी स्त्रोत का नियमित और श्रद्धापूर्वक पाठ करने से कई लाभ होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण लाभ आर्थिक संकटों से मुक्ति और धन-धान्य की वृद्धि है। घर से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों का प्रभाव कम होता है। परिवार में प्रेम, सौहार्द और सुख-शांति बनी रहती है। स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और निरोगी काया प्राप्त होती है। अनजाने में हुए पापों का प्रायश्चित होता है। आध्यात्मिक उन्नति होती है और अंततः मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। तुलसी स्त्रोत का पाठ एक शक्तिशाली माध्यम है जो आपको आध्यात्मिक और भौतिक दोनों स्तरों पर लाभ पहुंचा सकता है।
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